खुश रहने और दिन की अच्छी शुरुआत के लिए अपनाएं ये 5 प्रमुख जापानी आदतें
क्या है खबर?
काम-काज की व्यस्तता और तनाव के चलते खुशी कहीं खो सी जाती है। लोग दिनभर छोटे-बड़े मसलों को सुलझाने में लगे रहते हैं और अपने लिए समय निकालना ही भूल जाते हैं।
इस बीच हमें जापान के लोगों से खुश रहने के कुछ प्रभावी तरीके सीखने चाहिए। जापानी संस्कृति शरीर और आत्मा को खुशी प्रदान करने वाली कई प्राचीन परंपरओं से भरी है।
आइए आज के लेख में ऐसी ही 5 परंपराओं के बारे में जानते हैं।
#1
कांशा
जापानी भाषा में कांशा का मतलब होता है कृतज्ञता अभ्यास, जिसे इस देश में बेहद अहम माना जाता है।
इस परंपरा के दौरान उन सभी चीजों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है, जिनके लिए आप शुक्रगुजार हों।
रोजाना सुबह थोड़ा समय निकालें और उन चीजों के बारे में लिखें, जो आपके जीवन को खुशहाल बनाती हैं।
आप इसके लिए एक जर्नल रख सकते हैं, करीबियों से बात कर सकते हैं या भगवान का शुक्रिया कह सकते हैं।
#2
वाबी-साबी
आम तौर पर लोग परफेक्शन के पीछे भागते हैं, जो उदासी की ओर ले जाता है। हालांकि, आप जापान की वाबी-साबी परंपरा को अपनाकर खुशियां तलाश सकते हैं।
यह एक पुरानी परंपरा है, जो इम्पर्फेक्शन्स में भी खूबसूरती ढूंढ लेती है। इसके जरिए आपको अवास्तविक इच्छाओं को पीछे छोड़ने और वर्तमान में संतुष्टि महसूस करने में मदद मिल सकती है।
जब आप अपनी खामियों में भी खूबियां तलाशने लगेंगे तो खुशी अपने आप बढ़ जाएगी।
#3
शिनरीन-योकू
शिनरीन-योकू एक जापानी परंपरा है, जिसका मतलब होता है माइंडफुलनेस के साथ सैर करना।
इसके दौरान अपने आस-पास के नजारों, ध्वनियों और सुगंधों पर ध्यान देते हुए प्रकृति के बीच टहलना शामिल होता है।
शिनरीन-योकू के दौरान किसी मंजिल तक पहुंचने पर नहीं, बल्कि रास्ते का आनंद लेने पर जोर दिया जाता है।
धीरे-धीरे चलते हुए प्राकृतिक वातावरण को देखने से आपको शांति मिल सकती है और खुशहाली की भावना बढ़ सकती है।
#4
इकिगाई
इकिगाई एक जापानी अवधारणा है, जिसका मतलब होता है 'जीने का कारण'।
यह रोजमर्रा की जिंदगी में एक उद्देश्य खोजने का तरीका है और इसके जरिए छोटी-छोटी चीजों में खुशी भी तलाशी जा सकती है।
अपनी इकिगाई को खोजने के लिए अपने जुनून और सपनों के बारे में सोचें। जब आप अपने जीवन के उद्देश्य को जान लेंगे तो आपके जीवन का असली अर्थ भी सामने आ जाएगा।
इसके जरिए आपकी खुशी में भी इजाफा होगा।
#5
साडो
जापानी लोगों को चाय पीने का शौक होता है और यहां इससे जुड़ी एक परंपरा भी निभाई जाती है। इसे 'चाय की कला' या साडो कहा जाता है।
यह एक ऐसी प्रथा है, जो जागरूकता, सम्मान और शांति को बढ़ावा देती है। यहां के लोगों का मानना है कि केवल एक कप चाय भी मन को शांत करके खुशहाली को बढ़ा सकती है।
चाय बनाने से लेकर पीने तक, सभी चरणों का अच्छी तरह आनंद लें और खुशी महसूस करें।