भारत में इसी महीने एक और कोरोना वैक्सीन के ट्रायल का तीसरा चरण होगा शुरू
अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी जाइडस कैडिला अपनी कोरोना वैक्सीन ZYCoV-D के तीसरे चरण के ट्रायल शुरू करने को तैयार हैं। देशभर में लगभग 60 से अधिक क्लिनिकल साइट्स पर 30,000 वॉलेंटियर्स पर इसका ट्रायल किया जाएगा। उम्मीद है कि इस महीने इंसानी ट्रायल का तीसरा चरण शुरू हो जाएगा और मार्च-अप्रैल तक इसके नतीजे सामने आ जाएंगे। यह वैक्सीन पूरी तरह से भारत में तैयार होगी। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
रविवार को मिली मंजूरी
रविवार को भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के साथ-साथ जाइडस कैडिला को भी अपनी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल शुरू करने की अनुमति मिली थी।
कंपनी का दावा- वैक्सीन को स्टोर और ट्रांसपोर्ट करना आसान
द प्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में कंपनी के प्रमुख पंकज पटेल ने बताया कि लगभग 60 जगहों पर 30,000 वॉलेंटियर्स पर तीसरे चरण का ट्रायल शुरु होगा। मार्च के अंत तक कंपनी के पास इस वैक्सीन की प्रभावकारिता से जुड़े आंकड़े उपलब्ध हो सकते हैं। हाइड्रोक्सिक्लोरोक्विन और रेमडेसिवीर बनाने वाली कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन को स्टोर और ट्रांसपोर्ट करना आसान है। साथ ही लोगों को इसकी खुराक देना भी आसान साबित होगा।
2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर होगी वैक्सीन
पटेल ने कहा कि जाइडस की वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है और यह 25 डिग्री तक के तापमान पर एकदम खराब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि कंपनी के पास 3-4 महीने का डाटा है, जिससे पता चलता है कि 25 डिग्री के तापमान पर भी वैक्सीन खराब नहीं होती। इस लिहाज से अगर ट्रांसपोर्टेशन के दौरान तापमान कम-ज्यादा भी होता है तो उससे वैक्सीन की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
लगाने में भी आसान होगी जाइडस की वैक्सीन- पटेल
जाइडस की वैक्सीन की खासियत के बारे में बता करते हुए पटेल ने कहा कि यह इंट्राडर्मल इंजेक्शन है। इसे देना बहुत आसान है और यह वैक्सीन की वजह से होने वाले गंभीर साइड इफेक्ट्स की आशंका को भी कम कर देता है। बता दें कि इंट्राडर्मल इंजेक्शन वो होते हैं, जो मांसपेशियों की बजाय त्वचा में लगाए जाते हैं। इस वजह से वैक्सीन लगवाते समय होने वाला दर्द भी कम हो जाता है।
अभी तक मिले अच्छे नतीजे- पटेल
पटेल ने आगे कहा कि कंपनी को अभी तक के दो चरणों के ट्रायल में अच्छे नतीजे मिले हैं और वैक्सीन मजबूत इम्युन रिस्पॉन्स पैदा करने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि कपनी ने वॉलेंटियर्स को खुराक देने के बाद तीन महीनों से ज्यादा समय तक उनकी सेहत पर नजर रखी है। इस दौरान पाया गया कि उनके शरीर में एंटीबॉडीज की मात्रा कई गुना बढ़ी है। इसलिए उम्मीद है यह वैक्सीन वायरस के खिलाफ मजबूत सुरक्षा देगी।
जाइडस के अलावा पांच और वैक्सीन पर चल रहा काम
बता दें कि भारत में अभी कम से कम छह कंपनियां ऐसी हैं जो कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित कर रही हैं। इनमें जायडस कैडिला की अपनी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है। वहीं रूस की स्पूतनिक-V का भी दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल जारी है। अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स, हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई, पुणे स्थित जिनोवा कंपनी और भारत बायोटेक की चार अन्य वैक्सीनें भी इंसानी ट्रायल में हैं।