प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में प्रतिदिन होती हैं 20 आत्महत्याएं, गुजरात विधानसभा में गूंजा मुद्दा
भारत को विकसित देश बनाने का सपना दिखाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। दरअसल, सोमवार को गुजरात विधानसभा में सरकार की ओर से राज्य के आपराधिक आंकड़े प्रस्तुत किए गए थे। इन आंकड़ों में प्रदेश की भयावह स्थिति सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में प्रतिदिन 20 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर गुजरात में लोग आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?
दो साल में 14,702 लोगों ने की आत्महत्या
सरकार की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत किए गए आपराधिक आंकड़ों के अनुसार गुजरात में जनवरी 2018 से 31 दिसंबर, 2019 तक कुल 88,081 लोगों की अप्राकृतिक तरीके से मौत हुई। इनमें से 14,702 लोगों ने आत्महत्या की था। इस हिसाब से प्रदेश में प्रतिदिन करीब 20 लोगों ने आत्महत्या की। इस रिपोर्ट के आते ही विपक्ष ने विधानसभा में हंगामा कर दिया और सरकार पर लोगों के हितों को ध्यान में नहीं रखने का आरोप लगाया।
सूरत में सबसे ज्यादा लोगों ने की आत्महत्या
सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा 2,153 आत्महत्याएं सूरत में की गईं। राज्य की राजधानी अहमदाबाद दूसरे नंबर पर रही और जहां इस अवधि में 1,941 लोगों ने आत्महत्या की। इसी तरह राजकोट में 1,651, वडोदरा में 699, कच्छ में 681, जूनागढ़ में 629, जामनगर में 567, वलसाड में 557, भावनगर में 529, गांधीनगर में 428 और मोरबी जिले में 357 लोगों ने आत्महत्या की।
डांग जिले में सबसे कम आत्महत्या
गुजरात के शहरी जिलों में जहां अधिक आत्महत्याएं दर्ज की गईं, वहीं आदिवासी बहुल डांग जिले में सबसे कम 50 आत्महत्या हुईं। इसी तरह तापीन, दाहोद, महीसागर, छोटा उदेपुर, नर्मदा, अरवल्ली व पंचमहाल जिलों में भी बहुत कम लोगों ने आत्महत्या की है।
दुनियाभर में प्रतिवर्ष आठ लाख लोग करते हैं आत्महत्या
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल करीब आठ लाख लोग आत्महत्या करते हैं। ऐसे में दुनिया में प्रत्येक 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या करने वालों में 79 प्रतिशत उन देशों के लोग शामिल हैं, जहां प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। आत्महत्या करने वालों की संख्या पूरी दुनिया में युद्ध और नरसंहार में मारे गए लोगों से भी कहीं ज्यादा है।
अन्य अपराधों में यह रही राज्य की स्थिति
गुजरात सरकार की ओर से प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में आत्महत्या के अलावा ये भी बताया गया कि राज्य में इस अवधि में लूट की 2,491, हत्या की 2,034, डकैती की 559, चोरी की 25,723, बलात्कार की 2,720, अपहरण की 5,879, सेंध लगाकर चोरी की 7,611, रोयोटिंग की 3,305 और 28,298 लोगों की आकस्मिक मौत हुई है। इस हिसाब से राज्य में प्रतिदिन चोरी की 10, बलात्कार की चार, हिंसक दंगे की चार और हत्या की तीन वारदातें होती हैं।
अहमदाबाद में 34 प्रतिशत बढ़े बलात्कार के मामले
रिपोर्ट में बताया गया है कि अहमदाबाद में बलात्कार के मामलों में साल 2018 की तुलना में 2019 में 34.57% की वृद्धि दर्ज की गई। 2018 में जहां बलात्कार की 188 घटनाएं हुई थीं, वहीं 2019 में ये आंकड़ा 253 पर पहुंच गया।
कांग्रेस नेता ने सरकार पर लगाए आरोप
बजट सत्र में सरकार की ओर से आंकड़े प्रस्तुत किए जाने के बाद कांग्रेस नेता परेश धनानी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वो आत्महत्या के मामलों पर 'नियंत्रण' दिखाने के लिए उन्हें 'अप्राकृतिक मौत' बता रही है। इस पर गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने आरोपों को राजनीतिक बताते हुए कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति करना चाहती है। उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि संकट के कारण बहुत कम किसानों ने आत्महत्या की है।
"पारिवारिक कारण से आत्महत्या को किसान आत्महत्या नहीं कहा जा सकता"
वहीं मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि आत्महत्याओं के रिकॉर्ड में हमेशा व्यक्ति के पेशे का उल्लेख किया जाता है, लेकिन किसी के पारिवारिक कारणों से आत्महत्या करने पर उसे किसान की आत्महत्या नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा, "किसानों के पास खेती के अलावा भी आत्महत्या के लिए अन्य कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में विपक्ष को इन मुद्दों पर राजनीति करने से बचना चाहिए।"