किसान आंदोलन: संयुक्त किसान मोर्चा ने मई में 'संसद मार्च' निकालने का किया ऐलान
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले चार महीनें से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब अपने प्रदर्शन में और तेजी लाने का निर्णय किया है। संयुक्त किसान मोर्चा की बुधवार को हुई आमसभा में मई के पहले पखवाड़े में शांतिपूर्ण तरीके से 'संसद मार्च' निकालने का फैसला किया गया है। इसके अलावा अप्रैल में किए जाने वाले प्रदर्शनों की भी रूपरेखा तैयार की है।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सितंबर, 2020 में तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
किसान आंदोलन में फिलहाल क्या चल रहा है?
किसानों और सरकार के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए 11 दौर की औपचारिक बात हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों के अमल पर अस्थायी रोक लगा चुका है। गणतंत्र दिवस को किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी, जिसमें जमकर हिंसा हुई। इसके बाद किसानों ने 6 फरवरी को चक्का जाम, 17 फरवरी को रेल रोको अभियान और 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया था।
मई में 'संसद मार्च' निकालने का किया निर्णय
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार गाजीपुर बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की कॉन्फ्रेंस में डॉ दर्शनपाल ने बताया कि महासभा में मई के पहले पखवाड़े में 'संसद मार्च' निकालने का निर्णय किया है। इसकी तरीख की घोषणा बाद में की जाएगी। उन्होंने बताया कि मार्च में किसानों के साथ महिला, मजदूर, आदिवासी, बरोजगार युवा और सभी समाजों के लोग शामिल होंगे। यह मार्च पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा। इसमें किसी भी तरह की हिंसा नहीं होगी।
यह रहेगी 'संसद मार्च' की योजना
किसान नेता गुरनाम सिंह चादुनी ने बताया कि मार्च के दिन देशभर के किसान अपने-अपने वाहनों से दिल्ली की सीमाओं तक आएंगे। उसके बाद संसद तक पैदल मार्च किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मार्च में शामिल होने वाले लोगों को किसी भी प्रकार की हिंसा होने पर पुलिस की कार्रवाई से अवगत कराने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। इसके अलावा मार्च में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।
5 अप्रैल को FCI कार्यालयों का किया जाएगा घेराव
चादुनी ने बताया कि 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा और देशभर में FCI कार्यालयों का घेराव किया जाएगा। इसी तरह 10 अप्रैल को 24 घंटों के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे ब्लॉक किया जाएगा, जबकि 13 अप्रैल को वैशाखी का त्यौहार दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल को डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर संविधान बचाओ दिवस के रूप में मनाई जाएगी और 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाएगा।
आंदोलन में जान गंवाने वालों के सम्मान के लिए 6 मई को होगा कार्यक्रम
चादुनी ने बताया कि आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान के लिए 6 मई को सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। इसमें संबंधित किसानों के परिजनों को भी आमंत्रित किया जाएगा। किसान अपनी मांगे पूरी कराकर ही दम लेंगे।
कृषि कानूनों पर बनाई गई समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के ओर से जनवरी में कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने गत 19 मार्च को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी है। हालांकि, रिपोर्ट का अभी खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 5 अप्रैल का दिन निर्धारत किया है। बता दें कि इस समिति में अनिल घनवट के अलावा कृषि-अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी को शामिल किया गया था।