केंद्र ने पंजाब से प्रवासी मजदूरों को ड्रग्स देने के मामले में कार्रवाई को कहा
केंद्र सरकार ने पंजाब को एक चिट्ठी लिखकर सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा की गई जांच में सामने आए तथ्यों पर कार्रवाई करने को कहा है। BSF की जांच में सामने आया था कि पंजाब के खेतों में काम करने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासी मजदूरों से ज्यादा घंटों तक काम लेने के लिए उन्हें ड्रग्स दी जाती हैं। दूसरी तरफ किसानों ने कहा कि यह चिट्ठी उन्हें बदनाम करने की साजिश है।
गृह मंत्रालय ने पिछले महीने भेजा था पत्र
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को यह पत्र भेजा था। पत्र में लिखा है कि BSF ने गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर जिलों से 58 लोगों को पकड़ा था। पूछताछ के दौरान सामने आया कि उनमें से अधिकतर मानसिक रूप से अस्वस्थ या कमजोर स्थिति थे और उनसे पंजाब के गांवों में बंधुआ मजदूरी कराई जाती है। ये लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं।
पत्र में किया गया मानव तस्करी का जिक्र
पत्र में मानव तस्करी का जिक्र करते हुए लिखा गया है मानव तस्कर अच्छे वेतन का लालच देकर उत्तर प्रदेश और बिहार से मजदूरों को पंजाब ले आते हैं। पंजाब आने के बाद उनका उत्पीड़न किया जाता है, उन्हें पैसा नहीं दिया जाता और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। खेतों में उनसे ज्यादा काम करवाने के लिए उन्हें ड्रग्स दी जाती हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालती है।
मंत्रालय ने मांगी कार्रवाई की जानकारी
पंजाब सरकार को भेजे इस पत्र में लिखा गया है कि यह मामला मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी और मानवाधिकारों से जुड़ा है। इसलिए इस संबंध में उचित कदम उठाने और की गई कार्रवाई की जानकारी गृह मंत्रालय को देने का आग्रह किया जाता है।
पंजाब पुलिस के अधिकारी ने जताई हैरानी
पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पत्र में लिखी बातों की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने कहा कि BSF की जांच के ये परिणाम वास्तविकता से दूर लगते हैं। उन्होंने पत्र में लिखी बातों पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि BSF ने पंजाब पुलिस के साथ होने वाली नियमित बैठकों में कभी यह मुद्दा नहीं उठाया। यह अवास्तविक लगता है कि यहां ड्रग्स दी जाती हैं और बंधुआ मजदूरी कराई जाती है।
किसानों ने लगाया छवि खराब करने का आरोप
गृह मंत्रालय के इस पत्र पर किसान नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को बदनाम करना चाहती है। उन्होंने कहा, "हमें खालिस्तानी और आतंकवादी कहने के बाद सरकार अब सांप्रदायिक कार्ड खेल रही है। BSF का यह सर्वे 2019-20 का है और केंद्र सरकार किसान आंदोलन के बीच इसे लेकर पत्र लिख रही है।"
किसानों की पत्र वापस लेने की मांग
उन्होंने गृह मंत्रालय से पत्र वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि सरकार किसानों और मजदूरों के बीच भेदभाव पैदा करना चाहती है। उन्होंने कहा कि वो सीमाई जिलों के जिलाधिकारियों से मिलकर इस पत्र पर अपना रोष प्रकट करेंगे।
SAD ने भी किया पत्र का विरोध
कृषि कानूनों को लेकर भाजपा का साथ छोड़ चुकी शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने इस पत्र को राज्य के किसानों की छवि खराब करने की कोशिश बताया है। पार्टी के पूर्व सांसद चंदू सिंह माजरा ने कहा कि ऐसे पत्र गलत संकेत देते हैं और टकराव का माहौल बनाते हैं। वहीं पंजाब के भाजपा नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा कि यह पूरी प्रशासनिक पत्र है और इस पर राजनीति करना उचित नहीं है।