आठ महीने और चलेगा किसान आंदोलन, 10 मई के बाद बड़ा होगा प्रदर्शन- राकेश टिकैत
कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले चार महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों का प्रदर्शन अभी भी जारी है। बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने मई के पहले पखवाड़े में 'ससद मार्च' निकालने का ऐलान किया था। इसके बाद अब भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बड़ी चेतावनी दे दी है। उन्होंने ऐलान किया है कि किसान आंदोलन अभी आठ महीने और चलेगा तथा 10 मई यह उग्र हो जाएगा।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सितंबर, 2020 में तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
किसान आंदोलन में फिलहाल क्या चल रहा है?
किसानों और सरकार के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए 11 दौर की औपचारिक बात हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों के अमल पर अस्थायी रोक लगा चुका है। गणतंत्र दिवस को किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी, जिसमें जमकर हिंसा हुई। इसके बाद किसानों ने 6 फरवरी को चक्का जाम, 17 फरवरी को रेल रोको अभियान और 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया था।
मई में 'संसद मार्च' निकालने का किया निर्णय
संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को महासभा में मई के पहले पखवाड़े में 'संसद मार्च' निकालने का निर्णय किया है। इसकी तरीख की घोषणा बाद में की जाएगी। इसी तरह 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा और देशभर में FCI कार्यालयों का घेराव किया जाएगा। इसके अलावा 10 अप्रैल को 24 घंटों के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे ब्लॉक किया जाएगा, जबकि 13 अप्रैल को वैशाखी का त्यौहार दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा।
आठ महीने और चलेगा आंदोलन- टिकैत
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार टिकैत ने कहा, "किसान आंदोलन अभी आठ महीने और चलेगा। किसानों को आंदोलन तो करना ही पड़ेगा, अगर आंदोलन नहीं होगा तो किसानों के अधिकार और उनकी जमीन चली जाएगी। किसान 10 मई तक अपनी गेंहू की फसल काट लेंगे, उसके बाद आंदोलन तेजी पकड़ेगा।" टिकैत के इस ऐलान से साफ हो गया है कि किसान अपनी मांगों को पूरा किए बिना हटने वाले नहीं हैं और वह पूरी तरह तैयार हैं।
कृषि कानूनों पर बनाई गई समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के ओर से जनवरी में कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने गत 19 मार्च को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट इस पर 5 अप्रैल को सुनवाई करेगा।