सरकार ने किया कोरोना संक्रमण से हुई मौतों की संख्या कम दिखाने के दावों का खंडन
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के दौर में भारत में हुई मौतों को लेकर अंतरराष्ट्रीय पत्रिका और अध्ययन की रिपोर्ट ने सरकारी आंकड़ों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
इन रिपोर्टों में कहा गया था कि भारत में सरकारी आंकड़ों से 10 गुना तक अधिक मौतें हुई है।
अब केंद्र सरकार ने इस प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि रिपोर्ट पूरी तरह से गलत और आधारहीन है और इसे महज संभावनाओं के आधार पर ही प्रकाशित किया गया है।
पृष्ठभूमि
अमेरिकी अध्ययन में किया गया है भारत में 49 लाख मौत होने का दावा
बता दें कि अमेरिका के सेंटर फॉर ग्लोबल डवलपमेंट की ओर से किए गए अध्ययन में सामने आया है कि भारत में कोरोना वायरस महामारी के कारण अपनी जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 34 से 49 लाख तक हो सकती है।
अध्ययन पिछले सालों में हुई कुल मौतों की महामारी में हुई मौतों से तुलना की गई है।
इसी तरह जून में एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ने भारत में मौतों की संख्या सात गुना अधिक होने का दावा किया था।
अध्ययन
आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी- अध्ययन
अध्ययन में कहा गया है, "आंकड़ों से साफ है कि बहुत सारे लोगों, हजारों नहीं बल्कि लाखों को अपनी जान गंवानी पड़ी। ये आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी है।"
अध्ययन में भले ही सभी अधिक मौतों का कारण कोरोना को नहीं माना गया हो, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, अन्य सालों की तुलना में महामारी के दौरान हुई अत्यधिक मौतों को गिनना महामारी के वास्तविक असर का पता लगााने का सबसे बेहतर तरीका है।
खंडन
सरकार ने किया अधिक मौतों के दावों का खंडन
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, सरकार ने इस मामले में आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति कर मौतों की संख्या कम करके बताने के दावों का खंडन किा है।
सरकार ने कहा कि मौतों की गणना के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हमेशा राज्यों को किसी भी कारण से छूटी गई मौतों का पता लगाने के लिए अस्पतालों के रिकॉर्ड की समीक्षा करने की सलाह दी हैं।
स्पष्ट
जारी आंकड़ों से अधिक मौतें होने की संभावना कम- सरकार
सरकार ने कहा है कि मौतों की निगरानी के लिए मजबूत और कानून-आधारित मृत्यु पंजीकरण प्रणाली है। हालांकि, कुछ मामलों में संक्रामक रोग और उसके प्रबंधन के सिद्धांतों के आधार पर पता नहीं चल पता है, लेकिन फिर भी मौतों की संख्या अधिक होने की संभावना नहीं है।
सरकार ने कहा कि 31 दिसंबर तक भारत में मृत्यु दर 1.45 प्रतिशत थी और अप्रैल-मई 2021 में दूसरी लहर के कहर के बाद भी आज मृत्यु दर 1.34 प्रतिशत ही है।
दावा
"मौतों की गणना के लिए किया गया है अमेरिकी और यूरोपीय सिस्टम का उपयोग"
सरकार ने कहा, "सीरोप्रवलेंस अध्ययन में भारत में अतिरिक्त मौतों की गणना के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों की आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर का उपयोग किया गया है। अध्ययन में सभी देशों में संक्रमितों के मरने की समान संभावना को देखा गया है, जबकि महामारी में जलवायु, नस्ल, जातीयता, जनसंख्या और जीनोमक और अन्य कारणों से मृत्यु दर अलग-अलग होती है।"
सरकार ने कहा कि इन अध्ययन में अन्य बीमारियों से हुई मौतों का सही आंकलन नही है।
गलत
अतिरिक्त मौतों का कारण कोरोना संक्रमण को मानना है गलत- सरकार
सरकार ने कहा कि रिपोर्टों में देश में अन्य बीमारियों से हुई मौतों को भी कोरोना संक्रमण से होना बताया गया है, जो कि पूरी तरह गलत है। अतिरिक्त मृत्यु दर का इस्तेमाल सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर में शामिल किया जाता है।
सरकार ने कहा कि अतिरिक्त मौतों को कोरोना में शामिल करना पूरी तरह से भ्रामक है। देश में ब्लॉक स्तर तक मौतों की गणना होती है। ऐसे में आंकड़ों को गलत नहीं कहा जा सकता।