दिल्ली के जहांगीरपुरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में क्यों हुई देरी?
क्या है खबर?
दिल्ली में हनुमान जयंती पर सांप्रदायिक हिंसा के बाद सुर्खियों में आए जहांगीरपुरी इलाके में बुधवार को भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की।
हालांकि, कार्रवाई के शुरू होने के कुछ देर बाद ही ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी, लेकिन NDMC ने आदेश नहीं मिलने का हवाला देकर कार्रवाई जारी रखी। इससे कोर्ट को फिर से हस्तक्षेप करना पड़ा।
आइये जानते हैं आदेश की पालना की प्रक्रिया क्या है।
पृष्ठभूमि
जहांगीरपुरी में क्या हुआ था?
बता दें कि जहांगीरपुरी में शनिवार शाम को हनुमान जयंती पर निकाली जा रही शोभायात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हो गई थी। इसमें आठ पुलिसकर्मियों सहित 10-12 लोग घायल हो गए।
इस हिंसा को लेकर दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता ने NDMC मेयर राजा इकबाल सिंह को पत्र लिखकर जहांगीरपुर हिंसा के आरोपियों के अवैध अतिक्रमणों को गिराने की मांग की थी।
इस पर NDMC ने बुधवार को अतिक्रमण हटाने का निर्णय किया था।
कार्रवाई
NDMC ने सुबह 9 बजे शुरू की कार्रवाई
NDMC के आदेश पर सुबह करीब 9 बजे नौ बुलडोजर जहांगीरपुरी पहुंचे और भारी पुलिसबल की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने लगे। इसमें कई घर और दुकानों को ध्वस्त कर दिया।
इसके बाद जमीयत उलेमा-ए हिंद की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में मामले को उठाया और मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना से हस्तक्षेप की मांग की।
इस पर कोर्ट ने 20 अप्रैल को यथास्थिति बनाए रखने और 21 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया।
परिणाम
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी जारी रही कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के सुबह 10:58 बजे यथास्थिति के आदेश देने के बाद भी जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी रही।
इस दौरान लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया, लेकिन NDMC आयुक्त ने आदेश की प्रति नहीं मिलने का हवाला देकर कार्रवाई जारी रखी।
इसको लेकर वकील दवे दोपहर 12 बजे फिर से सुप्रीम पहुंचे और मामले को उठाया। उसके बाद CJI ने अपने महासचिव को तत्काल आदेश पहुंचाने के निर्देश दिए।
जानकारी
NDMC ने दोपहर 12:30 बजे रोकी कार्रवाई
CJI के निर्देश पर महासचिव ने वकील दवे से NDMC आयुक्त और पुलिस आयुक्त दीपेंद्र पाठक के मोबाइल नंबर लेकर उन्हें आदेश की कॉपी भेजी। इसके बाद NDMC ने दोपहर 12:30 बजे कार्रवाई रोकी, लेकिन तब तक कई जगह बुलडोजर चल चुका था।
सवाल
घटना को लेकर उठ रहे हैं कई तरह के सवाल?
इस घटना पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी संबंधित अधिकारियों तक आदेश की प्रति पहुंचने में देरी क्यों हुई?
मामले में कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता वृंदा कारत का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद वह 11 बजे जहांगीरपुरी पहुंच गई थी और विशेष पुलिस आयुक्त पाठक को अपने मोबाइल पर आदेश की प्रति दिखाई थी, लेकिन उसके बाद भी कार्रवाई नहीं रोकी गई।
प्रक्रिया
क्या है सुप्रीम कोर्ट के आदेश की तामील की प्रक्रिया?
इंडिया टुडे के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की तामील की एक निर्धारित प्रक्रिया। सामान्य सुनवाई में कोर्ट में मौजूद संबंधित पक्ष या उनके वकील को आदेश से अवगत कराया जाता है।
यदि वह कोर्ट में उपलब्ध नहीं हो तो आदेश को टाइप किया जाता है और फिर उसकी जांच होती है।
उसके बाद आदेश पर संबंधित न्यायाधीश के हस्ताक्षर कराए जाते हैं और फिर उसे रजिस्टर्ड डाक से संबंधित पक्षों को तामील के लिए भेजा जाता है।
तत्काल सुनवाई
तत्काल सुनवाई में कैसे कराई जाती है आदेश की तामील?
सुप्रीम कोर्ट में यदि किसी मामले की तत्काल सुनवाई के दौरान आदेश दिया जाता है तो कोर्ट मास्टर तत्काल अपने साथी समकक्ष अधिकारी को बुलाकर उन्हें कोर्ट की जिम्मेदारी सौंपते हैं और खुद अपने कार्यालय में जाकर आदेश टाइप कराते हैं।
इसके बाद उसकी जांच कर आदेश की प्रति चलते कोर्ट में न्यायाधीश के सामने लाई जाती है और हस्ताक्षर कराए जाते हैं।
इसके बाद आदेश ईमेल, व्हाट्सऐप या फोन के जरिए संबंधित प्राधिकरण को भेज दिया जाता है।
अन्य
FASTER के जरिए भी कराई जाती है तामील
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (FASTER) सिस्टम भी लॉन्च किया था।
इसमें सभी राज्यों के 1,883 अधिकारियों और राज्यों व जेल अधिकारियों के 73 नोडल अधिकारियों की ईमेल आईडी को शामिल किया गया है। इसके तहत कोर्ट के आदेशों को तत्काल अधिकारियों तक पहुंचाया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में चलती कोर्ट में ही आदेश टाइप कराया जाता है और ईमेल से भेजा जाता है।
प्रतिक्रिया
मामले में क्या है विशेषज्ञों की राय?
सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आम तौर पर अधिकारियों को किसी भी माध्यम से मिलने वाली कोर्ट की आदेश की सूचना को सत्यापित करना होता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सूचना पर संबंधित अधिकारियों को कोर्ट में इसका सत्यापन करना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार, विध्वंस और बेदखली जैसे आवश्यक मामलों में रजिस्ट्री अधिकारी फोन के जरिए भी आदेश की सूचना दे सकते हैं।