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बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण: 94 प्रतिशत फॉर्म जमा हुए, कट सकते हैं 36 लाख नाम
बिहार में 25 जुलाई तक SIR के तहत फॉर्म जमा किए जाने हैं

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण: 94 प्रतिशत फॉर्म जमा हुए, कट सकते हैं 36 लाख नाम

लेखन आबिद खान
Jul 19, 2025
11:51 am

क्या है खबर?

बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण (SIR) कर रहा है। आयोग का कहना है कि अब तक 94.68 प्रतिशत लोगों को फॉर्म मिल गए हैं। 5.2 प्रतिशत यानी 41,10,213 मतदाताओं के गणना फॉर्म अभी जमा किए जाने हैं। अब तक 7,48,59,631 मतदाताओं का सत्यापन हो चुका है। बता दें कि फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख 25 जुलाई है। आयोग को बड़ी संख्या में अनियमितता भी मिली है।

आंकड़े

30 सितंबर को जारी होगी अंतिम मतदाता सूची

चुनाव आयोग ने कहा कि अब तक 7.48 करोड़ फॉर्म प्राप्त हो चुके हैं और उनमें से 6.85 करोड़ का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। आदेश के अनुसार, 1.5 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (BLA) काम में लगे हैं, जिनमें से हर BLA रोजाना 50 फॉर्म सत्यापित कर जमा कर सकता है। 25 सितंबर तक दावों और आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को जारी की जाएगी।

नाम कटना

36.86 लाख मतदाता पते से गायब

चुनाव आयोग ने बताया कि 36.86 लाख मतदाता अपने पतों पर नहीं पाए गए हैं। इनकी संभवत: मृत्यु हो गई है या स्थायी रूप से कहीं और रहने चले गए हैं या कई स्थानों पर पंजीकृत पाए गए हैं। आयोग के मुताबिक, इनमें से 12,71,414 मतदाताओं की मौत हो चुकी है, 18,16, 306 मतदाता स्थायी रूप से पता बदल चुके हैं, 5,92,273 मतदाताओं का एक से ज्यादा स्थानों पर नामांकन है और 6,978 मतदाताओं का कोई पता नहीं चला है।

सूची

BLA को दी जाएगी 'गायब' मतदाताओं की सूची

जो 36 लाख मतदाता पते पर नहीं मिले हैं, उनकी सूची राजनीतिक पार्टियों के जिला अध्यक्षों या उनके द्वारा नियुक्त BLA के साथ साझा की जाएगी। चुनाव आयोग ने फिर कहा है कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर नहीं होगा। अंतिम मतदाता सूची की प्रिंटेड और डिजिटल कॉपी सभी राजनीतिक पार्टियों को दी जाएंगी और चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी अपलोड की जाएगी। इससे पहले एक महीने तक मतदाताओं को अपील करने का मौका भी मिलेगा।

SIR

क्या है SIR?

चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाताओं से जन्म के साल के आधार पर अलग-अलग दस्तावेज जमा करने को कहा है। अगर ऐसा नहीं किया जाएगा, तो मतदाता का नाम सूची से हटाया जा सकता है। आयोग का कहना है कि 2003 के बाद से मतदाता सूची की समीक्षा नहीं हुई है, इसलिए ऐसा किया जा रहा है। वहीं, विपक्ष का कहना है कि ये गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं से वोट डालने का हक छीनने की साजिश है।