दिल्ली: जहांगीरपुरी में आज नहीं चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट का यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में उत्तर दिल्ली नगर निगम (NDMC) की तरफ से चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए कहा कि मामले की सुनवाई कल होगी। गौरतलब है कि बीते शनिवार को यहां हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद भाजपा ने आरोपियों के अवैध कब्जे पर बुलडोजर चलाने की मांग की थी, जिसके बाद NDMC ने यह अभियान शुरू किया था।
जहांगीरपुरी में क्या हुआ था?
उत्तर-पश्चिम दिल्ली स्थित जहांगीरपुरी में शनिवार शाम को हनुमान जयंती के मौके पर निकाली जा रही शोभायात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हो गई थी। शोभायात्रा वालों का कहना है कि मुस्लिम इलाके से निकलने पर उन पर पत्थर फेंके गए, जिसके बाद ये हिंसा हुई। वहीं मुस्लिमों का कहना है कि शोभायात्रा में शामिल लोगों ने मस्जिद पर भगवा झंडा फहराने की कोशिश की। हिंसा में लगभग 10-12 लोग घायल हुए जिनमें आठ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
अतिक्रमण हटाने पहुंचे थे नौ बुलडोजर
NDMC के आदेश पर नौ बुलडोजर जहांगीरपुरी पहुंचे और भारी पुलिसबल की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने लगे। मौके पर मौजूद सिविल लाइंस के जोन चेयरमैन नवीन त्यागी ने कहा, "दिल्ली MCD ने पहले भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की थी लेकिन उन्होंने फिर से अतिक्रमण कर लिया। इस बार हम बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रहे हैं। ये लोग अतिक्रमण भी करते हैं और गुंडागर्दी भी करते हैं और इनके नाम दंगे में भी सामने आए हैं।"
NDMC ने कही आदेश के पालन की बात
अभियान पर उठ रहे सवाल
दिल्ली भाजपा के प्रमुख आदेश गुप्ता ने NDMC मेयर राजा इकबाल सिंह को पत्र लिखकर जहांगीरपुरी हिंसा के आरोपियों की अवैध अतिक्रमणों की पहचान कर उन्हें नष्ट करने की मांग की थी। इसके बाद NDMC की तरफ से पुलिस को पत्र लिखकर 400 जवानों को तैनात करने की मांग की गई थी। हालांकि, हिंसा के तुरंत बाद भाजपा की मांग पर ऐसे अभियान को चलाने को लेकर NDMC पर कई सवाल उठ रहे हैं।
कई राज्यों में हो रहा बुलडोजर का इस्तेमाल
पिछले कुछ महीनों से बुलडोजर का इस्तेमाल काफी चर्चा में रहा है। सबसे पहले उत्तर प्रदेश में अपराधियों पर समर्पण का दबाव बनाने के लिए बुलडोजर भेजे गए थे। इसके बाद गुजरात और मध्य प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों की संपत्तियों को ढहाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया। हालांकि, बुलडोजर के इस्तेमाल पर सवाल भी उठ रहे हैं और राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा था कि बिना दोषी साबित हुए किसी का घर नहीं तोड़ा जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
हिंसा के आरोपियों के घरों को बुलडोजर से गिराने के प्रचलन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यह याचिका दायर की है। याचिका में बुलडोजर से घर गिराने की कार्रवाई को अपराध रोकथाम की आड़ में अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुस्लिमों, को निशाना बनाने की साजिश बताया गया है। इसमें कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह सरकारों को बिना कोर्ट की अनुमति के घरों को ध्वस्त न करने का निर्देश दे।