Page Loader
CAA प्रदर्शन: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को रिकवरी नोटिस वापस लेने को कहा
CAA प्रदर्शन: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को रिकवरी नोटिस वापस लेने को कहा

CAA प्रदर्शन: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को रिकवरी नोटिस वापस लेने को कहा

Feb 12, 2022
08:28 am

क्या है खबर?

नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को भेजे गए रिकवरी नोटिस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि वह रिकवरी से जुड़ी पूरी कार्रवाई को वापस लें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो कोर्ट इस कार्रवाई को खारिज कर देगा क्योंकि यह नियमों के खिलाफ है।

पृष्ठभूमि

क्या है मामला?

CAA के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान कुछ असमाजिक तत्वों ने सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस नुकसान की वसूली के लिए रिकवरी नोटिस भेजे थे। परवेज आरिफ टूटू ने जनवरी, 2020 में जिला प्रशासन की तरफ से जारी इन नोटिसों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना है कि ये नोटिस सुप्रीम कोर्ट के 2009 और 2018 में दिए गए फैसलों के खिलाफ हैं।

टिपप्णी

ADM नहीं ले सकते फैसला- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि इन नोटिसों पर अतिरिक्त जिला अधिकारियों (ADMs) ने फैसले लिए थे न कि न्यायिक अधिकारियों ने। बेंच ने कहा, "आप शिकायतकर्ता बन गए, आप ही इसका फैसला लेने लगे और फिर आप आरोपियों की संपत्ति कुर्क कर रहे हैं।" बेंच ने उत्तर प्रदेश की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद से पूछा, "जब हमने कहा था कि फैसला न्यायिक अधिकारियों को लेना होगा तो ADM कैसे कार्रवाई कर रहे हैं?"

जानकारी

सुप्रीम कोर्ट किस फैसले की बात कर रहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में एक फैसला दिया था कि ऐसे मामलों में नुकसान का अनुमान लगाने और लेनदारी की जांच करने अधिकारी जज होगा। 2018 में दिए एक और फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इसी बात को दोहराया था।

टिप्पणी

आप नहीं तो हम नोटिसों को रद्द कर देंगे- कोर्ट

बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह दिखाने को कहा है कि कानून बनने से पहले ADM कैसे इन नोटिसों को जारी कर रहे थे और कैसे ये नोटिस सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन नहीं हैं। कोर्ट ने कहा, "हम इन नोटिसों को रद्द कर देंगे और तब आपके पास नए कानून के तहत कार्रवाई करने की आजादी होगी। आप अगले शुक्रवार तक बताइये कि आप क्या करना चाहते हैं और हम आदेश देकर मामले को बंद करेंगे।"

फटकार

"कार्रवाई न करने पर नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें"

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कार्रवाई के लिए 18 फरवरी तक का समय दिया है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "यह एक सुझाव है। यह याचिका दिसंबर, 2019 में भेजे गए नोटिसों से जुड़ी है। आप कागजी कार्रवाई से इन नोटिसों को वापस ले सकते हैं। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में 236 नोटिस बड़ी बात नहीं है। अगर आप नहीं सुनेंगे तो नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहिये। हम आपको बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले कैसे लागू कराते हैं।"

जानकारी

उत्तर प्रदेश सरकार ने भेजे थे कुल 274 नोटिस

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि इस मामले में 106 FIR दर्ज हुई हैं। कुल 274 लोगों को नोटिस जारी किया गया है, जिनमें से 38 मामले बंद हो चुके हैं और 236 में आदेश पारित हो चुका है।