#NewsBytesExplainer: जम्मू में बढ़ते आतंकी हमलों के पीछे क्या वजह बता रहे हैं विशेषज्ञ?
जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी वारदातें बढ़ती जा रही हैं। 15 जुलाई को डोडा में आतंकियों की गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी और 4 जवान शहीद हो गए। इस इलाके में आज भी सेना और आतंकियों के बीच गोलीबारी की खबरें हैं। जम्मू-कश्मीर में बीते एक महीने के अंदर 7 बड़ी वारदातों में 12 जवान शहीद हुए हैं। आइए विशेषज्ञों के हवाले से जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं क्यों बढ़ रही है।
सीमा से सटे इलाकों में हमले कर रहे हैं आतंकी
विशेषज्ञों ने हमलों की प्रवृत्ति से अंदाजा लगाया है कि अब आतंकी अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों को निशाना बना रह हैं। इंडियन एक्सप्रेस से एक अधिकारी ने कहा, "राजौरी और पुंछ के विपरीत, ये क्षेत्र भले ही जम्मू का हिस्सा हों, लेकिन ये सेना की पश्चिमी कमान के अंतर्गत आते हैं, जो आतंकवाद विरोधी अभियान नहीं चलाती है। आने वाले दिनों में अतिरिक्त सैनिकों को इस क्षेत्र में तैनात किया जा सकता है, लेकिन उन्हें पहले प्रशिक्षित करना होगा।"
सेना के सामने 3 मोर्चों पर चुनौतियां
अखबार से एक सूत्र ने कहा, "2019 में जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव के बाद घाटी में शांति आ गई थी। फिर 2020 में गलवान भड़क गया। उसके बाद जम्मू में ज्यादा हमले होने लगे। इसलिए कश्मीर को मिलाकर सेना के सामने 3 मोर्चों पर चुनौतियां हैं।" राज्य पुलिस के एक सूत्र ने भी कहा कि जम्मू को एक सुनियोजित रणनीति के तहत आतंकवादी संगठनों द्वारा सुरक्षाबलों के खिलाफ हमलों की नई कमान बनाया गया है।
सेना का जमीनी संपर्क कम हुआ- विशेषज्ञ
एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि तकनीक पर बढ़ती निर्भरता के चलते सेना का जमीनी संपर्क कम हुआ है, जो खुफिया जानकारी देने के लिए अहम है। एक अधिकारी ने कहा, "पर्याप्त जमीनी स्तर की खुफिया जानकारी की कमी और सावधानीपूर्वक योजना बनाने वाले कठोर और प्रेरित आतंकवादी बढ़ते हमलों की प्रमुख वजह हैं।" एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, "यहां सबसे उपयोगी चीज मानवीय खुफिया जानकारी है और पिछले कुछ वर्षों से जम्मू में इसकी कमी रही है।"
आधुनिक हथियारों से हमले कर रहे आतंकी
अधिकारियों ने यह भी कहा कि आतंकवादी नाइट-विजन ग्लास और M4 राइफल जैसे अत्याधुनिक हथियारों से हमला कर रहे हैं। कठुआ में मुठभेड़ में जो 2 आतंकी मारे गए थे उनके पास से नाइट स्कोप और फ्रीक्वेंसी सैटेलाइट कम्युनिकेशन डिवाइस वाली M4 राइफल बरामद हुई थी। इसके अलावा आतंकवादी ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में ड्रग्स, विस्फोटक, हथियार और पैसे ले जाने वाले कई ड्रोन पकड़ाए हैं।
छोटे-छोटे समूह में घुसपैठ कर रहे आंतकी- विशेषज्ञ
इंडिया टुडे से जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) दिलबाग सिंह ने कहा, "पाकिस्तान ने घुसपैठ की लाल रेखा पार कर ली है। ये स्थानीय आतंकवादी नहीं हैं, इसलिए ये लोग पाक सेना की जानकारी के साथ आए हैं। ऐसा लगता है कि सांबा-हीरानगर और राजौरी-पुंछ से नई घुसपैठ हुई है और घुसपैठ करने वाले आतंकवादी छोटे-छोटे समूहों में बंटे हुए हैं। मुझे चिंता है कि वे यहीं नहीं रुकेंगे। लक्ष्य बड़े होते जा रहे हैं।"
जम्मू में 2 महीने में 5 आतंकी घटनाएं
8 जुलाई को कठुआ में आतंकवादी हमले में 5 जवान शहीद हुए थे और 5 घायल हुए थे। 12 जून को डोडा में आतंकी हमले में 2 जवान घायल हुए थे। 11 जून को कठुआ में मुठभेड़ में 1 जवान शहीद और 4 घायल हुए थे। 9 जून को रियासी में आतंकियों ने तीर्थयात्रियों की बस को निशाना बनाया था, जिसमें 9 लोगों की मौत और 33 घायल हुए थे।