जम्मू-कश्मीर: बैंकों समेत चुनिंदा जगहों पर शुरू होगी ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस, सोशल मीडिया पर पाबंदी जारी
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर में बुधवार से आंशिक रूप से ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा शुरू हो जाएगी।
पिछले साल अगस्त में सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले से पहले इंटरनेट पर रोक लगाई थी।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन का ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के कुछ दिन बाद आया है, जिसमें प्रशासन से जम्मू-कश्मीर में लागू पाबंदियों की समीक्षा करने को कहा गया था।
आदेश
15 जनवरी से 22 जनवरी तक लागू रहेगा आदेश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा कि बुधवार से अस्पतालों, बैंकों, सरकारी कार्यालयों, होटल, शिक्षण संस्थानों और टूरिज्म कंपनियों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस शुरू हो जाएगी।
इसके अलावा प्रशासन ने कहा जम्मू, सांबा, कठुआ और रईसी जिलों में भी 2G मोबाइल इंटरनेट सर्विस बहाल होगी।
यह आदेश 15 जनवरी से 22 जनवरी तक जारी रहेगा। आदेश में प्रशासन ने कहा कि कश्मीर में 400 अतिरिक्त इंटरनेट कियोस्क स्थापित किए जाएंगे।
इंटरनेट सर्विस
अगले एक-दो दिनों में पूरे कश्मीर में शुरू हो सकती है ब्रॉडबैंड सर्विस
इस आदेश के बाद भी कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट पर रोक जारी रहेगी। वहीं जम्मू में भी हाई स्पीड इंटनरेट सर्विस नहीं मिलेगी।
हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगले एक-दो दिनों में पूरे कश्मीर में आंशिक तौर पर ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू की जा सकती है। इसकी शुरुआत राजधानी श्रीनगर से होगी।
इसके बाद उत्तर कश्मीर (कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बारामूला) और बाद में दक्षिण कश्मीर (पुलवामा, कुलगाम, शोपियां और अनंतनाग) में यह सर्विस शुरू हो सकती है।
आदेश
जारी रहेगी सोशल मीडिया पर लगी पाबंदी
जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में इंटरनेट सर्विस शुरू हो रही है, लेकिन सोशल मीडिया पर पाबंदियां पहले की तरह जारी रहेगी। प्रशासन ने कहा है कि जिन संस्थानों में इंटरनेट सर्विस दी जा रही है, वे इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए जिम्मेदार होंगे।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के करगिल में 145 दिनों के बाद 27 दिसंबर को इंटरनेट शुरू कर दिया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि यहां स्थिति सामान्य है। इसलिए इंटरनेट पर लगी पाबंदी को हटाया गया।
समीक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था पाबंदियों की समीक्षा का आदेश
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट और अन्य सेवाओं पर लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को फैसला दिया था।
कोर्ट ने इंटरनेट और अन्य सेवाओं पर अनिश्चितकालीन रोक को अनुचित बताते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन से एक हफ्ते के अंदर यहां लगी सभी पाबंदियों की समीक्षा करने का आदेश दिया था।
इसी दौरान कोर्ट ने इंटरनेट को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत एक मौलिक अधिकार भी करार दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत इंटरनेट एक मौलिक अधिकार"
न्यायाधीश एनवी रमणा, आर सुभाष रेड़्डी और बीआर गवाई की सुप्रीम कोर्ट ने बेंच ने अपने फैसले में कहा, "इसमें कोई शक नहीं है कि अभिव्यक्ति की आजादी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक आवश्यक चीज है। इंटरनेट के उपयोग की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की आजादी के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत एक मौलिक अधिकार है। इसलिए इटंरनेट पर पाबंदियों को अनुच्छेद 19(2) के तहत आनुपातिकता के सिद्धांत का पालन करना होगा।"
प्रतिबंध की वजह
इसलिए कश्मीर में जारी है पाबंदियां
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिए अनुच्छेद 370 में बदलाव करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। इसके अलावा राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला लिया गया था।
फैसले के खिलाफ विरोध की संभावना को देखते हुए राज्य में इंटरनेट, केबल टीवी और मोबाइल सेवाओं पर रोक समेत तमाम तरह की पाबंदियां लगाईं गईं थीं। इनमें से कुछ पाबंदियां धीरे-धीरे हटा ली गईं।
आदेश
मनमाने तरीके से नहीं लगाया जा सकता मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि शक्तियों के मनमाने उपयोग के जरिए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट और अन्य सेवाओं पर एक निश्चित समय के लिए ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है और ये न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
इसके बाद कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक हफ्ते के अंदर राज्य में लगी सभी तरह की पाबंदियों की समीक्षा करने का आदेश दिया।