दो महीने बाद पार्टी नेताओं को मिली उमर और फारूक अब्दुल्ला से मिलने की इजाजत
क्या है खबर?
दो महीने बाद अब आखिरकार नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता घर में नजरबंद फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से मिल सकेंगे।
पार्टी का प्रतिनिधिमंडल रविवार को दोनों नेताओं से मुलाकात करेगा।
पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा इस प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करेंगे और इसमें 15 पूर्व विधायक शामिल होंगे।
बता दें कि इससे पहले उमर अब्दुल्ला के परिजनों को उनसे मिलने की इजाजत भी दी गई थी और वो दो बार उनसे मुलाकात कर चुके हैं।
अनुरोध
राणा ने मांगी थी राज्य प्रशासन से इजाजत
NC प्रवक्ता मदन मंटू ने शनिवार को समाचार एजेंसी ANI को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि राणा ने अब्दुल्ला बाप-बेटे से मिलने के लिए राज्य प्रशासन से इजाजत मांगी थी।
उन्होंने बताया कि राज्य प्रशासन से मंजूरी मिलने के बाद राणा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल रविवार सुबह जम्मू से रवाना होगा।
बता दें कि पिछले दो महीने में यह पहली बार होगा जब NC नेताओं को अपने दोनों शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।
पृष्ठभूमि
अनुच्छेद 370 पर फैसले से पहले 400 नेताओं को लिया गया था हिरासत में
बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो हिस्सों में बांटने के फैसले से एक शाम पहले जम्मू-कश्मीर के 400 से अधिक नेताओं को विरोध-प्रदर्शन की संभावनाओं को देखते हुए घर में नजरबंद और हिरासत में लिया गया था।
उमर और फारूक अब्दुल्ला के अलावा इन नेताओं में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन शामिल हैं।
जानकारी
अलग-अलग जगह पर बंद हैं उमर और फारूक अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला को जहां श्रीनगर स्थित गेस्ट हाउस 'हरि निवास' में नजरबंद किया गया है, वहीं फारूक अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत श्रीनगर स्थित उनके घर में हिरासत में रखा गया है। मुफ्ती को चश्माशाही में पर्यटन विभाग में नजरबंद किया गया है।
रिहाई कब?
रिहा किए गए जम्मू के नेता, कश्मीरी नेताओं की बारी कब?
इसी बुधवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हिरासत में लिए गए जम्मू के सभी नेताओं को छोड़ दिया था और उन पर लगी पाबंदियों हटा दी थीं।
इसके एक दिन बाद जब जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के सलाहकार फारूक खान से कश्मीरी नेताओं की रिहाई पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि उन्हें समीक्षा के बाद एक-एक करके रिहा किया जाएगा।
हालांकि उन्हें कब रिहा किया जाएगा, इसके बारे में खान ने कोई जानकारी नहीं दी थी।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन
प्रशासन का मत, नेताओं को हिरासत में लेने से टला "खून-खराबा"
खबरों के अनुसार, राज्यपाल मलिक और राज्य प्रशासन का मानना है कि अब्दुल्ला बाप-बेटे और मुफ्ती समेत तमाम कश्मीरी नेताओं को समय रहते हिरासत में लेकर उन्होंने राज्य को "खून-खराबे" से बचाया है।
खान के अनुसार, "क्षेत्र में स्थिति सामान्य है क्योंकि नेता हिरासत में हैं। इन हिरासतों को नतीजा साफ है। अगर पुराने मामले देखेंगे तो पाएंगे कि ऐसे फैसलों के बाद कश्मीर में खून-खराबा देखने को मिला है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।"