39 साल बाद आज क्यों खोला गया पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार?
क्या है खबर?
ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार आज पूरे विधि-विधान के साथ खोला गया है।
राज्य सरकार ने आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची बनाने के लिए इस खजाने को 39 साल बाद खोला है।
इससे पहले आखिरी बार ये खजाना 1985 में खोला गया था। इस दौरान सांप पकड़ने वाले प्रशिक्षित लोग, डॉक्टर, ताला तोड़ने के लिए कारीगर और मंदिर समिति के सदस्य मौजूद रहे।
आइए भंडार से जुड़ी सभी बातें जानते हैं।
रत्न भंडार
क्या है मंदिर का रत्न भंडार?
12वीं शताब्दी में बने जगन्नाथ मंदिर में एक रत्न भंडार है। इसी भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं- जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। ये गहने कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को चढ़ावे में दिए थे।
भंडार 2 हिस्सों में बंटा हुआ है। एक है बाहरी भंडार, जिसमें भगवान को अक्सर पहनाने वाले जेवर रखे हुए हैं। दूसरे भीतरी भंडार में वे जेवर हैं, जिनका आमतौर पर उपयोग नहीं होता है।
खजाना
रत्न भंडार में कितना खजाना है?
मंदिर प्रशासन के अनुसार, रत्न भंडार में 3 कमरे हैं। सबसे अंदर के कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो चांदी है। इनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ है।
बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है। इन्हें त्योहारों पर निकाला जाता है।
अभी जिस कक्ष का इस्तेमाल हो रहा है, उसमें 3 किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है। इनका इस्तेमाल दैनिक अनुष्ठानों में होता है।
समय
कब-कब खोला गया है भंडार?
मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने मीडिया को बताया कि इससे पहले रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था। तब भंडार में रखे आभूषणों की सूची बनाई गई थी।
भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई, 1985 को खोला गया था। हालांकि, उस समय आभूषणों की सूची नहीं बनाई जा सकी। यानी की मंदिर में कितना खजाना है, इसकी आखिरी जानकारी 1978 में ही सामने आई थी।
वजह
आज क्यों खोला गया भंडार?
1978 के बाद से मंदिर के पास कितनी संपत्ति आई, इसका कोई आंकड़ा नहीं है।
दूसरी ओर, ये एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी है। अलग-अलग समय पर भंडार को खोले जाने की मांग उठती रही है।
इस संबंध में ओडिशा हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। हाल ही में हुए ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वादा किया था कि ओडिशा में अगर उसकी सरकार बनेगी तो खजाना खोला जाएगा।
चाबी
भंडार की चाबी को लेकर भी है विवाद?
दरअसल, 2018 में ओडिशा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को रत्न भंडार खोलने का आदेश दिया था।
इसके बाद 4 अप्रैल, 2018 को 16 लोगों की टीम भंडार खोलने पहुंची थी, लेकिन खाली हाथ लौट आई। दावा किया गया कि रत्न भंडार की चाबी खो गई है।
इस पर खूब हंगामा हुआ और तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जांच के आदेश दिए। जांच समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।
प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने भी उठाया था चाबी खोने का मुद्दा
20 मई को एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चाबी खोने के मुद्दे पर तत्कालीन राज्य सरकार पर हमला बोला था।
उन्होंने कहा था, "बीजू जनता दल (BJD) की सरकार में पुरी का जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है। रत्न भंडार की चाबी पिछले 6 साल से गायब है।
लोग कह रहे हैं कि खजाने की चाबियां तमिलनाडु भेज दी गई हैं।" यहां उनका इशारा पटनायक के करीबी वीके पांडियन की ओर था।