लोकसभा चुनाव: एग्जिट पोल क्या होते हैं और कैसे किए जाते हैं?
लोकसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में है। 6 चरणों का मतदान हो चुका है और अंतिम और 7वें चरण का मतदान 1 जून को होगा। इसके बाद 4 जून को नतीजे घोषित किए जाएंगे। हालांकि, आखिरी चरण के मतदान वाली शाम ही अलग-अलग एजेंसियां अपने-अपने एग्जिट पोल जारी करेंगी। इनमें अनुमान लगाया जाता है कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं। आइए एग्जिट पोल के बारे में जानते हैं।
क्या होते हैं एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है, जो मतदान के दिन किया जाता है। इसमें वोट डालकर आ रहे मतदाता से जानने की कोशिश की जाती है कि उसने किस पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है। मतदाताओं से कई सवाल पूछे जाते हैं। ये सर्वे अधिकतर निजी एजेंसियों द्वारा किए जाते हैं, न कि किसी सरकारी संस्था द्वारा। इसे आखिरी चरण के मतदान के बाद ही जारी किया जाता है।
कैसे किया जाता है सर्वे?
मतदाताओं से मिले जवाब का विश्लेषण कर कंपनियां ये अनुमान लगाती हैं कि किसकी सरकार बनने जा रही है या किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं। इसके लिए एजेंसियां अलग-अलग नमूने और तरीकों का उपयोग करती हैं। सर्वे के दौरान नमूना जितना सटीक होगा, अनुमान भी उतना ही सटीक निकलकर आएगा। हालांकि, ये ध्यान रखना जरूरी है कि एग्जिट पोल हमेशा सटीक नहीं होते हैं और केवल अनुमान दर्शाते हैं।
सबसे पहला एग्जिट पोल कहां हुआ था?
माना जाता है कि सबसे पहला एग्जिट पोल अमेरिका में 1936 में हुआ था। तब जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने न्यूयॉर्क में मतदान कर निकले मतदाताओं से पूछा था कि उन्होंने किस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को वोट दिया है। इस सर्वे से मिले आंकड़ों का विश्लेषण कर अनुमान लगाया गया था कि फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट चुनाव जीतेंगे और वे जीत भी गए। इसके बाद एग्जिट पोल दूसरे देशों में भी लोकप्रिय हो गए।
भारत में कब हुआ पहला एग्जिट पोल?
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने 1957 में दूसरे लोकसभा चुनावों का सर्वे किया था। इसे भारत का पहला एग्जिट पोल माना जाता है। 1996 में दूरदर्शन ने देश भर में एग्जिट पोल करने के लिए सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) को जिम्मा सौंपा। इसके बाद 1998 में पहली बार किसी निजी न्यूज चैनल ने एग्जिट पोल जारी किए। आज देश में 10 से ज्यादा एजेंसियां एग्जिट पोल जारी करती हैं।
एग्जिट पोल को लेकर क्या है कानून?
भारत में एग्जिट पोल कई कानून हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 A के अनुसार, मतदान की शुरुआत से लेकर आखिर तक एग्जिट पोल जारी नहीं किए जा सकते। ऐसा करने पर दोषी को 2 साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसका उद्देश्य चुनावों के दौरान एग्जिट पोल के द्वारा मतदाता को धोखा देना, प्रभावित करना या चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने से रोकना है।