#NewsBytesExplainer: क्या होता है मानसून और कैसी की जाती है इसके आने की आधिकारिक घोषणा?
भीषण गर्मी से जूझ रहे मध्य और उत्तर भारत के राज्यों को जल्द ही राहत मिल सकती है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने कहा है कि मानसून समय से पहले केरल समेत उत्तर-पूर्वी राज्यों तक पहुंच गया है। 15 जून तक इसके मध्य भारतीय राज्यों और 5 जुलाई तक पूरे देश में छाने की संभावना है। आइए जानते हैं कि मानसून क्या होता है और कैसे पता चलता है कि इसका आगमन हो गया है।
क्या होता है मानसून?
मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द 'मौसिम' से हुई है, जिसका मतलब मौसम होता है। समुद्री व्यापारी समुद्र से चलने वाली हवा को मौसिम कहते थे, जिसे मानसून के रूप में जाना जाने लगा। बाद में इसका प्रयोग हिंद महासागर से बारिश लाने वाली मौसमी हवाओं का वर्णन करने के लिए किया जाने लगा। अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आने वाली हवाओं को मानसून कहते हैं। इनसे भारत समेत कई देशों में बारिश होती है।
कैसे बनती हैं मानसूनी हवाएं?
दरअसल, गर्मी में सूरज हिंद महासागर में भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर होता है। इससे समुद्री सतह गरम होने लगती है और उसका तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है। इसी दौरान धरती का तापमान 45-46 डिग्री होता है। इस स्थिति में गर्म हवाएं ठंडे क्षेत्रों की ओर बहने लगती हैं और अपने साथ नमी भी ले आती हैं। धरती तक आते-आते ये ऊपर उठने लगती हैं और बारिश करती हुई आगे बढ़ती हैं।
कब की जाती है मानसून आने की घोषणा?
IMD ने मानसून की घोषणा के लिए निर्धारित पैमाना बना रखा है। इसके मुताबिक, जब केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक में मानूसन की शुरुआत की घोषणा करने वाले 8 स्टेशनों में लगातार 2 दिन तक 2.5 मिलीमीटर या इससे ज्यादा बारिश होती है तो इसे मानसून का आधिकारिक आगमन माना जाता है। हालांकि, इसके अलावा भी दूसरे कई पैमानों का ध्यान रखा जाता है। इसी तरह मानसून की वापसी निर्धारित करने का भी पैमाना होता है।
मानसून सामान्य है या अच्छा, इसे कैसे मापा जाता है?
पूरे देश में हुई औसतन बारिश को लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाता है। LPA के 96 से 104 प्रतिशत के बीच हुई बारिश को सामान्य, 90 से 96 प्रतिशत बारिश को सामान्य से कम, 104 से 110 प्रतिशत से ज्यादा बारिश को सामान्य से ज्यादा, 90 प्रतिशत से कम को सूखा और 110 प्रतिशत से ज्यादा बारिश को अति बारिश माना जाता है।
क्या मानसून से बस भारत में ही बारिश होती है?
नहीं। दुनिया की करीब 60 प्रतिशत आबादी मानसून से होने वाली बारिश वाले इलाकों में रहती है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका जैसे महाद्वीप भी शामिल हैं। भारत में जो मानसून आता है, उससे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया, म्यांमार समेत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश होती है। अगर हिमालय पर्वत नहीं होता तो उत्तर भारत मानसून से वंचित रह जाता, क्योंकि मानसूनी हवाएं हिमालय से टकराकर ही उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश करती हैं।
इस साल कैसा रहेगा मानसून?
IMD के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल करीब 106 प्रतिशत बारिश की संभावना है। हालांकि, इसमें 5 प्रतिशत कम-ज्यादा हो सकता है। IMD के मुताबिक, मानसून कर्नाटक, असम, त्रिपुरा और गोवा में 5 जून, तेलंगाना, सिक्किम और महाराष्ट्र में 10 जून, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में 15 जून के आसपास दस्तक दे सकता है। लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में 20 जून तक प्रवेश कर सकता है।