#NewsBytesExplainer: क्या दुनिया को मिलेगी कैंसर की वैक्सीन? हजारों लोगों पर होने जा रहा परीक्षण
क्या है खबर?
जानलेवा बीमारी कैंसर से निपटने के लिए पूरी दुनियाभर में कोशिशें जारी हैं।
इस बीच इंग्लैंड से एक अच्छी खबर है। यहां नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) हजारों लोगों पर कैंसर वैक्सीन का परीक्षण शुरू करने की तैयारी में है। 30 से ज्यादा अस्पतालों में लोगों को कैंसर वैक्सीन का डोज लगाया जाएगा। इसके बाद दूसरे देशों में भी परीक्षण शुरू किए जाएंगे।
आइए इस वैक्सीन से जुड़ी सभी बातें जानते हैं।
वैक्सीन
कैंसर वैक्सीन के बारे में क्या पता है?
इस वैक्सीन को कोरोना वायरस की वैक्सीन की तरह ही mRNA तकनीक का उपयोग कर बनाया गया है। इसे बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोएनटेक और जेनेंटेक द्वारा संयुक्त रूप से बनाया जा रहा है।
ये वैक्सीन मरीज के प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने में सक्षम बनाने, उन्हें खत्म करने और दोबारा फैलने से रोकते हैं।
माना जा रहा है कि ये वैक्सीन फेफड़े, मूत्राशय और अग्न्याशय समेत कई तरह के कैंसर पर प्रभावी हो सकती है।
तरीका
कैसे काम करती है ये वैक्सीन?
आमतौर पर किसी वैक्सीन को मरीज के बीमार होने से पहले ही दिया जाता है, लेकिन इस वैक्सीन को केवल कैंसर मरीजों को ही दिया जाएगा।
मरीज की कैंसर कोशिका का एक हिस्सा निकाला जाता है और इसमें मौजूद खास म्यूटेशन का अध्ययन किया जाता है। इसके बाद वैक्सीन को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि ये प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन्हें खत्म करने में सक्षम बना देती है।
खासियत
वैक्सीन के बारे में क्या खास बात है?
ये वैक्सीन हर एक मरीज के लिए अलग तरह से बनाई जाएगी। इसके लिए मरीज की कैंसर कोशिकाओं में होने वाले म्यूटेशन का अध्ययन किया जाएगा और फिर उस हिसाब से वैक्सीन में बदलाव किए जाएंगे।
मरीज के ब्लड और कैंसर कोशिकाओं का सैंपल लेने के कुछ ही हफ्तों के भीतर इसे तैयार किया जा सकता है। यानी हर कैंसर मरीज के लिए ये एक खास तरह की वैक्सीन होगी।
परीक्षण
परीक्षण के बारे में क्या पता है?
फिलहाल 55 वर्षीय इलियट फेबवे को वैक्सीन लगाई गई है। उन्हें आंत का कैंसर है।
पहले ट्यूमर को हटाने के लिए फेबवे की सर्जरी की गई और उसके बाद कीमोथेरेपी की गई। इसके बाद उनकी कैंसर कोशिका का नमूना जर्मनी में बायोएनटेक की प्रयोगशालाओं में भेजा गया।
यहां उनकी कोशिका में 20 म्यूटेशन की पहचान की गई इसके बाद व्यक्तिगत टीका बनाया गया। यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स बर्मिंघम में उन्हें टीका लगाया गया है।
प्रभावी
कितने तरह के कैंसर पर प्रभावी है वैक्सीन?
वैज्ञानिक कई अलग-अलग प्रकार की कैंसर वैक्सीन का अध्ययन कर रहे हैं और वे अलग-अलग कैंसर में कैसे काम कर सकते हैं।
हालांकि, इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये वैक्सीन आंत, फेफड़े, मूत्राशय, अग्न्याशय और गुर्दे के कैंसर के इलाज में प्रभावशाली साबित हो सकती है।
इंग्लैंड में ही त्वचा कैंसर की mRNA वैक्सीन का भी परीक्षण चल रहा है।
टाइमलाइन
कब तक पूरा होगा परीक्षण?
उम्मीद है कि वैक्सीन का परीक्षण 2027 तक पूरा हो जाएगा। पहले इंग्लैंड के ही 30 से अधिक केंद्रों पर इसके परीक्षण किए जाएंगे। फिर जर्मनी, बेल्जियम, स्पेन और स्वीडन में 200 से अधिक मरीजों को परीक्षण के लिए भर्ती किया जाएगा। इन्हें वैक्सीन के 15 डोज दिए जाएंगे।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस वैक्सीन के पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में कम साइड इफेक्ट्स होंगे। फेबवे को भी वैक्सीन लगाने के बाद केवल हल्का बुखार आया है।