किसान आंदोलन: समाधान की कोशिश में पंजाब सरकार, कानूनों पर तीन साल की रोक का प्रस्ताव
क्या है खबर?
गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हुई घटना और लंबे होते किसान आंदोलन से चिंतित पंजाब सरकार ने किसानों और केंद्र के बीच जारी गतिरोध का हल निकालने की कोशिश तेज कर दी है।
मामले के जल्द समाधान के लिए पंजाब सरकार लगातार किसानों और केंद्र सरकार के साथ चर्चा कर रही है।
इसके लिए पंजाब सरकार के कई बड़े अधिकारी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
पृष्ठभूमि
नवंबर में दिल्ली आए थे किसान
हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों के किसान कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ हजारों किसान पिछले दो महीने से अधिक समय से दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं।
सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन और कुछ समय के लिए इन पर रोक का प्रस्ताव दिया है, लेकिन किसान इन्हें रद्द करने की मांग पर अडे हुए हैं।
जानकारी
गणतंत्र दिवस की घटना के बाद बढ़ी राज्य सरकार की चिंता
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार को इस बात की चिंता थी कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर निशान साहिब फहराए जाने के बाद से आंदोलन नियंत्रण से बाहर हो सकता है और किसानों को खाली हाथ वापस घर लौटना पड़ेगा।
किसान आंदोलन
"किसानों के खाली हाथ लौटने से राज्य में बढेगा गुस्सा"
इस बारे में बताते हुए राज्य के एक अधिकारी ने कहा, "सबको पता है कि इतने महीनों के आंदोलन के बाद अगर किसान खाली हाथ वापस घर लौटे तो राज्य में गुस्सा बढ़ेगा। इससे लोगों का आक्रोश बढेगा, जिसके लिए राज्य तैयार नहीं है।"
इसी लेकर हाल ही में हुई सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि किसानों की समस्याओं की स्थिति का फायदा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान उठा सकता है।
किसान आंदोलन
आंदोलन को तर्कसंगत समाधान तक पहुंचाना जरूरी- सूत्र
राज्य और केंद्र की बीच चल रही बातचीत की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, "राकेश टिकैत की वजह से आंदोलन में नई जान आ गई है। अगर लाल किले जैसी घटना दोबारा होती तो किसान नेताओं के लिए आंदोलन चलाना मुश्किल हो जाता है। इसे तर्कसंगत समाधान तक पहुंचाना और किसानों को मुश्किलों से बचाना ही फायदेमंद होगा।"
गौरतलब है कि टिकैत ने रोते हुए किसानों से दोबारा आंदोलन में शामिल होने की अपील की थी।
प्रस्ताव
पंजाब सरकार ने तीन सालों तक कानूूनों पर रोक का प्रस्ताव दिया
सूत्र ने आगे कहा कि राज्य सरकार केंद्र को कानून वापसी के लिए मनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन मोदी सरकार का कहना है कि वो कानून वापसी के अलावा सभी विकल्पों पर गौर कर सकती है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने कानूनों के अमल पर 18 महीनों की जगह तीन साल तक रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है।
बता दें कि कानूनों पर रोक लगाने के प्रस्ताव को किसान पहले ही ठुकरा चुके हैं।
कृषि कानून
लोकसभा चुनावों तक रोक के बाद किसानों को मनाया जा सकता है- सूत्र
सूत्र ने बताया कि राज्य सरकार किसानों और केंद्र सरकार के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रही है ताकि यह आंदोलन जल्द समाप्त हो सके। अगर इन कानूनों के अमल पर 2024 तक रोक लग जाती है, जिसका मतलब 2024 के आम चुनावों तक, तो किसानों को मनाने की कोशिश हो सकती है।
उन्होंने कहा, "गणतंत्र दिवस की घटना से हम सबने सबक सीखा है। हमें अब किसी बिंदु पर तो सहमति बनानी होगी।"
किसान आंदोलन
किसान नेताओं पर लोगों का भारी दबाव
केंद्र सरकार भी मान रही है कि अगर पंजाब में किसी तरह का गुस्सा भड़कता है तो इसका पूरे देश पर असर हो सकता है।
दूसरी तरफ किसान संगठनों पर भी पंजाब और हरियाणा के लोगों का भारी दबाव है।
सूत्रों ने कहा कि किसान नेताओं को लगता है कि अगर वो कानून रद्द कराये बिना लौटते हैं तो उन्हें समर्थन दे रहे लोगों को भारी निराशा होगी। ये लोग जोरदार तरीके से आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं।