#NewsBytesExplainer: कर्मचारियों की कमी या रखरखाव में लापरवाही, क्यों बेपटरी होती हैं भारतीय ट्रेनें?
ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि घटना की वजह और इसके पीछे के जिम्मेदार लोगों का पता चल गया है। हालांकि, उन्होंने अभी स्पष्ट वजह नहीं बताई है, लेकिन हादसे के बाद भारतीय रेलवे की कार्यप्रणाली से लेकर ट्रैक के रखरखाव तक पर सवाल उठने लगे हैं। समझते हैं आखिर बार-बार ट्रेनों के पटरी पर से उतरने की वजह क्या है।
क्या हैं ट्रेन के पटरी से उतरने के संभावित कारण?
BBC से बात करते हुए रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष विवेक सहाय ने बताया कि ट्रेन के पटरी से उतरने के पीछे कई वजह हो सकती है। इनमें ट्रैक में खराबी, कोच में खराबी, लोकोपायलट की गलती या और भी कई तरह की तकनीकी गड़बड़ी हो सकती है। 2019-20 में जारी एक रेलवे सुरक्षा रिपोर्ट में बताया गया कि 2019-20 में 14 प्रतिशत रेल दुर्घटनाएं आग लगने और 8 प्रतिशत आमने-सामने टक्कर होने की वजह से हुई थी।
क्या है रेल हादसों की सबसे बड़ी वजह?
ट्रेन का बेपटरी होना हादसों की सबसे बड़ी वजह है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 में 70 प्रतिशत रेल दुर्घटनाएं ट्रेन के बेपटरी होने की वजह से हुई। इस रिपोर्ट में 33 यात्री ट्रेनों और 7 मालगाड़ियों के पटरी से उतरने की 40 घटनाओं का विश्लेषण किया गया है। इनमें से 17 बार ट्रेन पटरियों में क्रैक और धंसने की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हुई। इंजन या कोच में खराबी के कारण ट्रेन के पटरी से उतरने की 9 घटनाएं सामने आईं।
ट्रैक के रखरखाव में कमी से हो रहे हादसे?
भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) द्वारा अप्रैल, 2017 से मार्च, 2021 तक के बीच ट्रेन के पटरी पर उतरने के हादसों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक, पटरियों की ज्यामितीय और संरचनात्मक स्थितियों का आकलन करने के लिए आवश्यक ट्रैक रिकॉर्डिंग कारों द्वारा निरीक्षण में 30 से 100 प्रतिशत तक की कमी थी। ट्रेन के पटरी से उतरने के 171 हादसे ट्रैक के रखरखाव में लापरवाही की वजह से हुए।
कितना जरूरी है ट्रैक का रखरखाव?
दरअसल, लोहे की बनी पटरियां गर्मियों में फैलती हैं और सर्दियों में सिकुड़ती हैं, इसलिए इन्हें नियमित रखरखाव की जरूरत होती है। इसके अलावा ट्रैक के नट-बोल्ट को कसना, स्लीपर बदलना, ऑइल-ग्रीस करना जैसे कई काम नियमित अंतराल पर किए जाने जरूरी होते हैं। भारतीय रेलवे के मुताबिक, जिन ट्रैक पर 110 से लेकर 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलती हैं, उनकी हर तीन महीने में कम से कम एक बार मरम्मत करना जरूरी है।
क्या कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है रेलवे?
कुछ वक्त में भारतीय रेलवे में कर्मचारियों की कमी का मुद्दा भी उठाया जा रहा है। अखबार द हिन्दू की जनवरी में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे के 18 जोन में 1 दिसंबर, 2022 तक 3.12 लाख अराजपत्रित पद खाली हैं। हालाकि, फरवरी में रेल मंत्री ने कहा था कि इस साल 1.35 लाख पदों को भरा जाएगा।
कितना बड़ा है भारतीय रेल नेटवर्क?
भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है। 1.08 लाख किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर रोजाना करीब 11,000 ट्रेनें चलती हैं। इनमें से 7,000 यात्री ट्रेनें हैं और बाकी मालगाड़ियां हैं। इन ट्रेनों में रोजाना 2.5 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। रेल मंत्री के मुताबिक, पिछले साल करीब 5,200 किलोमीटर के नए ट्रैक बिछाए गए थे और हर साल 8,000 किलोमीटर पटरियों को अपग्रेड किया जा रहा है।
सिग्नल में गलती की वजह से हुआ ओडिशा हादसा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओडिशा ट्रेन हादसा सिग्नल सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से हुआ है। द हिंदू में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेन संख्या 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन से गुजरने के लिए पहले ग्रीन सिग्नल दिया गया था, लेकिन कुछ ही सेकंड बाद इसे हटा दिया गया। इस वजह से ट्रेन मेन लाइन के बजाय लूप लाइन में चली गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई।