केंद्र सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट पहुंचा ट्विटर, कंटेंट हटाने के आदेश को चुनौती
क्या है खबर?
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल कुछ अकाउंटों से कंटेंट को हटाने के आदेश को अब कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
कंपनी ने सरकार के इन आदेशों को सत्ता का दुरुपयोग बताया है और उन्हें कानूनी तौर पर चुनौती देते हुए हाई कोर्ट से सरकार को इन आदेशों को वापस लेने के निर्देश देने की मांग की है।
ट्विटर के इस कदम से अब सरकार और उसके बीच फिर से तनातनी बढ़ सकती है।
पृष्ठभूमि
सरकार ने पिछले साल दिए थे कंटेट हटाने के आदेश
अप्रैल 2021 में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम को 100 से अधिक भड़काऊ पोस्ट वाले कंटेंट को हटाने के आदेश दिए थे। इनमें से कुछ पोस्ट्स कोरोना वायरस महामारी से जुड़ी भी थीं।
जिन लोगों के अकाउंट्स से कंटेट हटाने के लिए कहा गया था, उनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और विनोद कापड़ी जैसे नेता शामिल थे।
नोटिस
MeitY ने जून में दी थी ट्विटर को कार्रवाई की चेतावनी
MeitY ने आदेश के बाद भी कंटेंट नहीं हटाने को लेकर जून में ट्विटर को अंतिम नोटिस जारी करते हुए आदेशों की पालना नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।
मंत्रालय का कहना था कि आदेश का उल्लंघन करने पर ट्विटर के मुख्य अनुपालन अधिकारी के खिलाफ IT अधिनियम की धारा 69A के तहत आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह कंपनी धारा 79 (1) के तहत सोशल मीडिया मध्यस्थ का दर्जा भी खो सकती है।
सवाल
धारा 69 (A) के तहत क्या है प्रावधान?
IT अधिनियम की धारा 69 (A) के अनुसार, यदि किसी सोशल मीडिया पोस्ट या अकाउंट से सामाजिक व्यवस्था बिगड़़ती है या बिगड़ने का कारण बन सकती है या फिर देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ है तो फिर ऐसी पोस्ट्स और अकाउंट के खिलाफ सरकार द्वारा नियुक्त अनुपालन अधिकारी उन्हें हटाने का आदेश जारी कर सकता है।
इसी के तहत सरकार ने पिछले साल कई ट्विटर अकाउंटों की पोस्ट हटाने के आदेश दिए थे।
याचिका
ट्विटर ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका
सरकार के आदेश के बाद भी ट्विटर ने कुछ अकाउंट के कंटेंट को नहीं हटाया है और अब कार्रवाई से बचने के लिए सरकार के आदेश को होई कोर्ट में चुनौती दी है।
कंपनी ने याचिका में कहा है कि धारा 69 (A) सत्ता का दुरुपयोग करने वाली है। कई बार अकाउंट्स को ही निलंबित करने के लिए कहा जाता है। ऐसे में अकाउंट्स को निलंबित करने और सभी कंटेंट को हटाने के आदेश पूरी तरह मनमाने नजर आते हैं।
दावा
सरकार का आदेश है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन
ट्विटर की ओर से याचिका में कहा गया है कि कई कंटेंट राजनीति से भी जुड़े हो सकते हैं, जो राजनीतिक दलों के आधिकारिक हैंडल द्वारा पोस्ट किए जाते हैं।
इसी तरह के कंटेंट को हटाना प्लेटफॉर्म की ओर से यूजर्स को दिए जाने वाले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
इसके अलावा, विवादित कंटेंट का इस धारा से कोई स्पष्ट निकट संबंध नहीं है। जबकि, कंपनी खुलेपन और पारदर्शिता के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है।
जानकारी
कंपनियों को करना चाहिए भारतीय कानूनों का पालन
इस बीच केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कोई भी कंपनी हो, किसी भी क्षेत्र में हो, उसे भारत के कानून मानने ही चाहिए। यह सभी की जिम्मेदारी है कि जो देश की संसद से पास कानून है उसका पालन करें।