पंजाब में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं किसान?
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ भाजपा नेताओं को विशेषतौर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच अब पंजाब में किसानों ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भी प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। खास बात यह है कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने इस तरह के कोई निर्देश भी नहीं दिए हैं। इसके बाद भी कांग्रेस नेताओं का विरोध चर्चा का विषय है। यहां जानते हैं आखिर क्या है कारण।
पंजाब में किसानों ने 15 जून से शुरू किया कांग्रेस नेताओं का विरोध
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पंजाब में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की शुरुआत 15 जून को नवांशहर से शुरू हुआ था। उस दिन आनंदपुर साहिब के कांग्रेस सांसद कुछ विकास परियोजनाओं का उद्घाटन के लिए नवांशहर पहुंचे थे। उसी दौरान दोआबा किसान यूनियन (DKU) ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर दिया। इसी तरह कांग्रेस विधायक हरदयाल सिंह कंबोज को 27 जून को पटियाला के बुधनपुर में किसानों का विरोध झेलना पड़ा था।
अन्य नेताओं को भी झेलना पड़ा है किसानों का विरोध
28 जून को कांग्रेस सांसद तिवारी को नवांशहर में किसानों ने काले झंडे दिखा दिए। उसी दिन किसानों ने नवांशहर से कांग्रेस विधायक अंगद सैनी का भी विरोध किया था। कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को 14 जुलाई को किसानों के विरोध के कारण अपना जालंधर के धनोवली गांव में डिस्पेंसरी के उद्घाटन को लेकर दौरा रद्द करना पड़ा था। उस दौरान KKU और भारती किसान यूनियन (राजेवाल) के कार्यकर्ता उनका विरोध किया था।
नवजोत सिंह सिद्धू का आधा दर्जन गांवों में हुआ विरोध
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को भी भारी विरोध झेलना पड़ा है। उन्हें 20 जुलाई को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में KKU और DKU के किसानों का विरोध झेलना पड़ा था। इसके बाद 22 जुलाई, 24 जुलाई, 5 अगस्त और 6 अगस्त को उन्हें क्रमशः तरनतारन, चमकोर साहिब, मोगा और जालंधर में इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा। इन विरोधों का नेतृत्व KMSC, KKU और BKU (राजेवाल) ने किया था।
क्यों कांग्रेस नेताओं का विरोध कर रहे हैं किसान?
किसान नेताओं ने कहा कि 8 महीने सड़कों पर बैठने के बाद भी कुछ नहीं मिला है। वो सत्तारूढ़ कांग्रेस के झूठे वादों से भी थक चुके हैं और स्थानीय स्तर पर अपनी योजना के अनुसार विरोध कर रहे हैं। BKU (दोआबा) के महासचिव सतनाम सिंह साहनी ने कहा कि किसानों का मानना है कि कोई भी राजनीतिक दल उनके बचाव में नहीं आएगा और विरोध ही दबाव बनाने का एकमात्र तरीका है। ऐसे में उन्होंने विरोध शुरू कर दिया।
सरकार के झूठे वादों से ठगा हुआ महसूस कर रही है जनता- साहनी
साहनी ने कहा, "न केवल किसान, बल्कि समाज का हर वर्ग सत्ताधारी पार्टी के अधूरे और झूठे वादों के कारण ठगा हुआ महसूस कर रहा है और चुनाव से पहले अब स्थानीय स्तर पर किसानों ने सरकार को जगाने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किया है।" उन्होंने यह भी कहा कि किसान उन्हें कृषि संकट से उबारने के लिए ठोस योजना चाहते हैं। कुछ लोग व्यक्तिगत हित के लिए किसान संघ के झंडों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या SKM का हिस्सा हैं प्रदर्शनकारी किसान संघ?
BKU (राजेवाल), BKU (क्रांतिकारी), KKU सभी SKM का हिस्सा हैं। दिल्ली सीमा पर विरोध कर रहे BKU (डकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, "हमारा एकमात्र निर्देश भाजपा नेताओं के खिलाफ विरोध करना है क्योंकि सत्तारूढ़ कांग्रेस सहित किसी अन्य पार्टी के खिलाफ विरोध करने के लिए कोई निर्देश नहीं हैं।" उन्होंने कहा, "कभी-कभी संदेश सही तरह से नहीं पहुंचता है और अब हम निर्देशों को सही तरह से स्पष्ट करेंगे।"