क्या है सिंघु बॉर्डर से हिरासत में लिए गए पत्रकार मनदीप पूनिया का पूरा मामला?
शनिवार को सिंघु बॉर्डर से हिरासत में लिए गए स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पूनिया को दिल्ली की एक अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उनके वकील ने यह जानकारी दी है। आज उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। पुलिस ने पूनिया पर ड्यूटी में बाधा पहुंचाने और पुलिसकर्मी की पिटाई का आरोप लगाया है। दूसरी तरफ पूनिया की गिरफ्तारी के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं।
पूनिया के खिलाफ दर्ज FIR में क्या लिखा गया है?
पूनिया के खिलाफ दर्ज FIR के अनुसार, प्रदर्शनकारियों का एक समूह सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेडिंग के पास तैनात पुलिसकर्मियों से चिपट गया और उन्हें प्रदर्शन स्थल की तरफ ले जाने लगा। जब पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए हल्का बलप्रयोग किया तो, जो व्यक्ति पुलिसकर्मी को खिंच रहा था, वह सड़क किनारे नाले में गिर गया। बाद में पुलिसकर्मियों ने उसे काबू किया। उसकी पहचान मनदीप पूनिया के तौर पर हुई है।
पूनिया ने जमानत याचिका में क्या कहा है?
जमानत याचिका में पूनिया ने कहा कि देर रात तक उनको हिरासत में लेने जानकारी उनके परिवार को नहीं दी गई थी। बाद में जब कुछ साथी पत्रकार उनकी गुमशुदगी की शिकायत लिखाने के लिए पुलिस थाने पहुंचे तो ऐसे संकेत दिए गए कि पूनिया को हिरासत में लिया गया है। याचिका में कहा गया है कि आरोपी बतौर पत्रकार अपना काम कर रहा था। उसके साथ हिरासत में लिए गए बाकी पत्रकारों को बाद में छोड़ दिया गया था।
पुलिस ने मामले पर क्या कहा है?
पुलिस का कहना है कि हिरासत में लिए गए एक और पत्रकार धर्मेंद्र सिंह ने अपना प्रेस कार्ड दिखाया, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया। वहीं पूनिया के वकील का कहना है कि आरोपी एक स्वतंत्र पत्रकार है और उसके पास प्रेस कार्ड न होना उसकी गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता। जमानत याचिका में लिखा गया है कि सिंघु बॉर्डर पर कथित झड़प शनिवार शाम को हुई थी, लेकिन FIR कई घंटे बाद रविवार को दर्ज की गई।
हरियाणा के रहने वाले हैं पूनिया
हरियाणा के झज्जर के रहने वाले पूनिया ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता का डिप्लोमा किया है। वो काफी समय से द कारवां पत्रिका के लिए लिखते रहे हैं।
पत्रकार संघों की क्या प्रतिक्रिया रही?
हिरासत में लिए जाने से पहले पूनिया फेसबुक पर लाइव थे। इसमें वो कह रहे थे कि पुलिस ने खुद को स्थानीय बता रहे लोगों को किसानों पर पत्थरबाजी करने दी थी। उनको हिरासत में लिए जाने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन के प्रमुख केबी पंडित ने कहा कि पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाने के बाद उनको गिरफ्तार किया गया था। पूनिया की गिरफ्तारी के विरोध में कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं।