किसानों का भारत बंद शुरू, सब्जियों और दूध की सप्लाई भी रोकी गई
क्या है खबर?
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का 'भारत बंद' शुरू हो गया है। किसान जगह-जगह पर ट्रेनों और सड़क मार्गों को रोक रहे हैं और उन्होंने पंजाब से दिल्ली आने वाले नेशनल हाईवे-9 को भी बंद कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने कहा है कि बंद के दौरान सब्जियों और दूध की सप्लाई को भी रोका जाएगा। पहले किसानों की बंद की सूची से ये दोनों चीजें बाहर थीं।
भारत बंद
12 घंटे तक चलेगा बंद
सुबह 6 बजे शुरू हुआ किसानों का ये भारत बंद शाम 6 बजे तक चलेगा। 30 से अधिक किसान संगठनों के समूह 'किसान संयुक्त मोर्चा' ने ये बंद बुलाया है।
बंद का ऐलान करते हुए करते हुए संयुक्ता मोर्चा ने कहा था कि सरकार की दमनाकारी नीति के खिलाफ किसान एकजुट हो गए हैं और बंद के तहत विभिन्न सड़कों, रेल परिवहन, बाजार, दुकानों, डेयरियों और अन्य सार्वजनिक स्थानों को बंद किया जाएगा।
अप्रभावित सेवाएं
इन राज्यों और सेवाओं को भारत बंद से छूट
जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उन्हें भारत बंद से छूट दी गई है और वहां किसी भी प्रकार की सेवा पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
इसी तरह आम जनता की सुविधा के लिए पेट्रोल पंप, मेडिकल स्टोर और जनरल स्टोर आदि को खुला रखने का निर्णय लिया गया है। फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस जैसे आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों के संचालन में भी किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंचाई जाएगी।
अन्य प्रदर्शन
पहले भी भारत बंद और चक्का जाम कर चुके हैं किसान
बता दें कि यह हालिया समय में किसानों द्वारा बुलाया गया दूसरा भारत बंद है और इससे पहले 8 दिसंबर को भी भारत बंद किया गया था। इसका मुख्य तौर पर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और असम में असर देखा गया था।
इसके अलावा किसानों ने 6 फरवरी को चक्का जाम भी बुलाया था और इसका लगभग पूरे देश में असर देखा गया था। इसके तहत किसानों ने सड़कें, राज्य हाईवे और नेशनल हाईवे जाम किए थे।
मुद्दा
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
नई रणनीति
देश के अंदरूनी इलाकों में आंदोलन का विस्तार कर रहे हैं किसान
सरकार से 11 दौर की वार्ता असफल रहने के बाद किसानों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और दिल्ली बॉर्डर पर भीड़ कम करके आंदोलन का देश के अंदरूनी इलाकों में विस्तार किया जा रहा है।
किसान जिले-जिले जाकर महापंचायतों के जरिए लोगों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा किसान नेता जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां जाकर लोगों से भाजपा के खिलाफ वोट देने की अपील भी कर रहे हैं।