#NewsBytesExplainer: पूरे भारत के विपरीत गोवा में UCC कैसे लागू है और इसमें क्या-क्या प्रावधान?
देश में समान नागरिक संहिता (UCC) पर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को UCC का समर्थन करते हुए कहा कि देश दोहरी व्यवस्था के साथ कैसे चल सकता है। फिलहाल गोवा देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर UCC पहले से ही लागू है। आइए जानते हैं कि गोवा में UCC कैसे अस्तित्व में आया था और इसमें क्या-क्या प्रावधान हैं।
गोवा में कैसे लागू हुआ UCC?
पुर्तगाल 1867 में अपनी नागरिक संहिता लेकर आया था। इसे 1869 में गोवा समेत पुर्तगाल के अन्य विदेशी उपनिवेशों में भी लागू कर दिया गया था। गोवा 1961 में पुर्तगाल से आजाद होकर भारत में शामिल हो गया था, लेकिन गोवा, दमन और दीव (प्रशासन) अधिनियम, 1962 के कारण पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया यह कानून लागू रहा। यहां समझने वाली बात है कि कानून बनाने वाले पुर्तगाल में खुद 1966 में एक नई नागरिक संहिता लागू हो चुकी है।
गोवा के UCC में क्या प्रावधान?
गोवा में सभी धर्मों के लोगों को अपनी-अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों से विवाह करने का अधिकार है। हालांकि, किसी भी विवाह को कानूनी तौर पर मान्यता मिलने के लिए उसका पंजीकरण अनिवार्य है। एक बार विवाह का पंजीकरण होने के बाद तलाक लेने के लिए सिर्फ कोर्ट का ही रुख किया जा सकता है। तलाक मंजूर होने के बाद पति की संपत्ति में आधा हिस्सा पत्नी को दिए जाने का प्रावधान है।
संपत्ति पर पति-पत्नी का है समान अधिकार
गोवा में सभी धर्मों के लोगों की संपत्ति पर पति और पत्नी का समान अधिकार है। इसका मतलब यह है कि पति और पत्नी के पास जो भी संपत्ति है, चाहे उसे उन्होंने खुद बनाया है या विरासत में हासिल की है, उस पर दोनों का बराबर अधिकार है। इसके अलावा माता-पिता को अनिवार्य रूप से अपने बच्चों के साथ संपत्ति का कम से कम आधा हिस्सा साझा करना होता है, जिसमें बेटियां भी हकदार होती हैं।
एक से अधिक शादी को लेकर क्या कहता है कानून?
गोवा में मुसलमानों समेत किसी भी धर्म के लोगों को एक से अधिक बार विवाह करने की अनुमति नहीं है। हालांकि, अगर पत्नी 21 साल की आयु तक एक बच्चे या 30 साल की आयु तक एक बेटे को जन्म नहीं दे पाती है तो हिंदू पुरुषों को दोबारा शादी करने की छूट है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत बता चुके हैं कि 1910 के बाद से इस नियम का फायदा किसी भी हिंदू ने नहीं लिया है।
क्या है UCC?
UCC का मतलब है कि देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वह उन्हीं के मुताबिक चलते हैं। UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। यह महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।
UCC के विरोध का क्या कारण है?
UCC के विरोधियों का सबसे बड़ा डर है कि इसके बहाने अल्पसंख्यकों पर हिंदुओं के बहुसंख्यकवाद को थोपा जा सकता है। इसके अलावा UCC के खिलाफ संंविधान के अनुच्छेद 25 का भी हवाला दिया जाता है जिसमें हर भारतीय नागरिक को अपने धर्म को मानने और इसका पालन और प्रचार करने का अधिकार दिया गया है। उनका तर्क है कि अगर UCC लागू किया जाता है तो ये लोगों की धार्मिक आजादी और निजी कानूनों में दखलअंदाजी होगी।