पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने क्यों की एक व्यक्ति को एक सिम कार्ड की सिफारिश?
क्या है खबर?
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने ऑनलाइन धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए एक व्यक्ति के पास एक ही सिम कार्ड होने की वकालत की है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से एक नाम से जारी कई सिम और उनके उपयोग की जानकारी जुटाने के साथ भविष्य में प्रत्येक व्यक्ति को एक ही सिम देने का सुझाव दिया है।
इसके अलावा केंद्र सरकार से ऐसे मामलों की निगरानी करने और नियम बाने को कहा है।
प्रकरण
क्या है ऑनलाइन धोखाधड़ी का मामला?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हिसार के सहायक पुलिस अधीक्षक राजेश मोहन ने बताया कि 27 अगस्त, 2023 को हिसार निवासी राकेश को उसके व्हाट्सऐप पर घर बैठे पैसे कमाने का मैसेज मिला था। राकेश ने पैसा कमाने के लिए मैसेज भेजने वाले के निर्देश पर एक फर्जी वेबसाइट पर पंजीकरण कर लिया।
उन्होंने बताया कि पंजीकरण के नाम पर उससे अलग-अलग किश्तों में 8 लाख रुपये वसूले गए और बाद में आरोपी ने सभी नंबर बंद कर लिए।
जांच
पुलिस ने लंबी जांच के बाद किया आरोपी को गिरफ्तार
पुलिस ने बताया कि राकेश की शिकायत पर मामले की जांच की तो धोखाधड़ी से जुड़े कई बैंक खाते और मोबाइल नंबर सामने आए।
इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी मध्य प्रदेश निवासी सुमित नंदवानी को गिरफ्तार कर लिया।
जांच में सामने आया कि नंदवानी ने POS एजेंट के रूप में काम करते हुए धोखाधड़ी के लिए अपने आधार कार्ड के जरिए 35 सिम कार्ड सक्रिय किए और उन्हें मामले में शामिल अन्य आरोपियों को वितरित कर दिया।
खारिज
हाई कोर्ट ने खारिज की आरोपी की जमानत याचिका
पुलिस ने आरोपी नंदवानी को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट के आदेश पर हिसार जेल भेज दिया था। उसके बाद आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।
हालांकि, पुलिस की ओर से पेश किए तथ्यों के बाद जस्टिस अनूप चितकारा ने गत 27 मई को आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी और पुलिस को मामले से जुड़े अन्य आरोपियों को भी जल्द गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया।
टिप्पणी
कोर्ट ने मामले में की अहम टिप्पणी
कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करने के साथ कहा, "अपराधी एक निश्चित संख्या में पीड़ितों को निशाना बनाकर अपने सिम कार्ड निष्क्रिय कर देते हैं और अपने नापाक कार्यों को जारी रखने के लिए नए सिम कार्ड ले लेते हैं। सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि अपराधी न केवल अपनी पहचान से, बल्कि अनजान लोगों की पहचान से भी धोखाधड़ी के जरिए सिम खरीद लेते हैं। इससे ऐसे मामलों में बेगुनाह लोग भी फंस जाते हैं।"
फैसला
कोर्ट ने कही प्रत्येक व्यक्ति को एक सिम कार्ड देने की बात
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड विशेष रूप से OTP के लिए एक ही सिम कार्ड से जुड़ा हुआ है तो ऐसे में कई सिम जारी करने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार एक नाम से जारी कई सिम कार्ड और उनके उपयोग की जानकारी जुटाने के साथ भविष्य में प्रत्येक व्यक्ति को एक ही सिम जारी करे।
इसी तरह कोर्ट ने केंद्र को इस मामले की निगरानी कर सख्त नियम बनाने को भी कहा है।
नियम
सिम कार्ड खरीदने को लेकर क्या है नियम?
भारत में कोर्ट और सरकार ने पहले पहचान सत्यापन के बिना सिम कार्ड की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है।
इसके अलावा, संचार मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग (DoT) ने भी प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए 2006 और 2009 में अधिसूचनाएं जारी की थी।
अधिसूचनाओं में स्पष्ट किया था कि बिना पहचान सत्यापन के कोई भी सिम सक्रिय नहीं की जाएगी और प्री-एक्टिवेटेड सिम की बिक्री दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगी।
खरीद
एक नाम से कितनी सिम खरीदने का है नियम?
दूरसंचार मंत्रालय के एक परिपत्र के अनुसार, एक व्यक्तिगत श्रेणी का ग्राहक (स्थानीय, बाहरी और विदेशी) दूरसंचार सेवा प्रदाता और लाइसेंस प्राप्त सेवा क्षेत्र (LSA) में अपने नाम पर अधिकतम 9 मोबाइल कनेक्शन या सिम ले सकता है।
इसी तरह जम्मू-कश्मीर, असम और पूर्वोत्तर भारत में अधिकतम 6 सिम निर्धारित है।
इसी तरह सभी जगहों पर सिम खरीदने से पहले आवेदक को अपने पास पूर्व में मौजूद सभी सिम की जानकारी घोषणा पत्र में देनी होती है।