कोरोना वायरस: आखिर पश्चिम बंगाल में क्या चल रहा है और क्यों है चिंता की स्थिति?
आज पश्चिम बंगाल सरकार ने पहली बार आधिकारिक तौर पर माना कि राज्य में कोरोना वायरस से संबंधित 57 मौतें हुई हैं।इससे पहले राज्य सरकार ने कोरोना की वजह से 15 मौतें होने की बात कही थी। अब राज्य सरकार के 57 मौतों की बात स्वीकार करने के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या पश्चिम बंगाल सरकार कोरोना से संबंधित स्थिति को छिपाने की कोशिश कर रही है। राज्य में क्या स्थिति है, आइए आपको समझाते हैं।
पश्चिम बंगाल में अन्य बड़े राज्यों के मुकाबले कम मामले
पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है जो डेंगू जैसी बीमारियों के आंकड़ों में भी गड़बड़ करने के लिए जाना जाता है और इसी कारण से राज्य के कोरोना वायरस के आंकड़ों पर भी सवाल उठ रहे हैं। राज्य ने अभी तक कोरोना के 514 मामले दिखाए हैं जो अन्य कई राज्यों के मुकाबले बेहद कम हैं। डॉक्टर्स और विशेषज्ञों ने राज्य में कम टेस्ट को इसका कारण बताया है और उनका अंदेशा है कि यहां स्थिति खराब हो सकती है।
प्रति 10 लाख लोगों पर टेस्टिंग के मामले में बंगाल पीछे
अगर टेस्टिंग के आंकड़ों की बात करें तो 20 अप्रैल तक राज्य में 5,469 टेस्ट हुए थे। ये आंकड़ा कितना कम है इसका अंदाजा इस बात से लगाजा जा सकता है कि लगभग इतने ही टेस्ट असम में हुए हैं, जबकि असम की आबादी बंगाल की एक-तिहाई है। बंगाल में प्रति 10 लाख लोगों पर मात्र 60 लोगों की टेस्टिंग हुई है, जबकि 20 अप्रैल तक राष्ट्रीय स्तर पर ये आंकड़ा प्रति 10 लाख लोगों पर 317 टेस्ट का था।
देश के मुकाबले पॉजिटिव पाए जाने वाले मामलों की दर अधिक
कम टेस्टिंग के विपरीत पश्चिम बंगाल में पॉजिटविटी रेट यानि प्रति 100 टेस्ट पर पॉजिटिव पाए जाने वाले लोगों की संख्या अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक है। राज्य में पॉजिटिविटी रेट छह प्रतिशत से अधिक है यानि हर 16 सैंपल में से एक सैंपल को कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर ये आंकड़ा 4-4.5 प्रतिशत के आसपास है और हर 26 सैंपल में से एक सैंपल पॉजिटिव पाया जाता है।
इस वजह से कम हैं टेस्टिंग रेट
विशेषज्ञों के अनुसार टेस्टिंग रेट कम और पॉजिटिविटी रेट अधिक होने के मतलब है कि पॉजिटिव मामले छूट रहे हैं और ये खतरनाक स्थिति है। उनका कहना है कि इसकी एक मुख्य वजह है कि राज्य में कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग यानि संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान और उन्हें क्वारंटाइन करने का काम ठीक से नहीं हुआ है। 'स्क्रॉल.इन' की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग की गाइडलाइंस का सख्ती से पालन नहीं किया गया है।
ममता सरकार के फैसले से भी पैदा हुआ संदेह
इसके अलावा राज्य की ममता बनर्जी सरकार के कुछ फैसलों ने भी स्थिति को संदेहजनक बनाया है। सरकार ने एक ऑडिट समिति बनाई है और इसकी मंजूरी के बाद ही ये फैसला होता है कि कौन सी मौत कोरोना वायरस से संबंधित है और कौन सी नहीं। राज्य सरकार ने शुरूआत में जांच के लिए आई केंद्र सरकार की अंतर-मंत्रालयीय टीम (IMCT) का भी विरोध किया, लेकिन गृह मंत्रालय की चेतावनी के बाद इसे जांच की मंजूरी दे दी गई।
57 मौतों में भी राज्य सरकार ने जोड़ा "किंतु-परंतु"
आज दिन में IMCT ने राज्य सरकार की ऑडिट समिति से मौतों से संबंधित जानकारी मांगी है और इसी के बाद राज्य सरकार ने 57 मौतों की बात स्वीकार की है। हालांकि राज्य सरकार ने इस आंकड़े में भी "किंतु-परंतु" जोड़ा है और राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने कहा कि इनमें से 39 लोगों की पहले से ही मौजूद बीमारियों की वजह से मौत हुई है और उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाना महज एक संयोग था।
IMCT के साथ सहयोग नहीं कर रहे राज्य के अधिकारी
बंगाल के अधिकारियों के IMCT के साथ सहयोग न करने की बात भी सामने आई है और ऐसा लगता है कि जैसे राज्य सरकार पूरे मामले को केवल राजनीति के नजरिए से देख रही है। उसका ये नजरिया भी चिंता का विषय बना हुआ है।