बंगाल: दसवीं कक्षा के प्रश्न पत्र में पूछा गया 'जय श्री राम' के नारे पर सवाल
पश्चिम बंगाल में 'जय श्री राम' के नारे और 'कट मनी' का मुद्दा राजनीति से होता हुआ शिक्षा तक पहुंच गया है। राज्य में कक्षा दसवीं के एक प्रश्न पत्र में इन दोनों मुद्दों से संबंधित सवाल पूछे गए। ये सवाल ऐसे थे जो अपने आप में बंगाल की राजनीति की एक तस्वीर बयां करते हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव में 'जय श्री राम' के नारे और 'कट मनी' को लेकर जबरदस्त राजनीति हुई थी।
बंगाली भाषा के प्रश्न पत्र में पूछे गए दोनों सवाल
कोलकाता से 55 किलोमीटर दूर हुगली जिले के अकना यूनियन हाई स्कूल में 5 अगस्त को हुए बंगाली भाषा के प्रश्न पत्र में ये दोनों सवाल पूछे गए थे। प्रश्न पत्र में 'जय श्री राम का नारा लगाने से समाज पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव' और 'कट मनी लौटाकर भ्रष्टाचार रोकने के सरकार के साहसिक कदम' में से किसी एक विषय पर एक न्यूजपेपर रिपोर्ट लिखने को कहा गया था।
प्रधानाचार्य ने रद्द किया प्रश्न
प्रश्न के विवादित चरित्र को देखते हुए स्कूल के प्रधानाचार्य रोहित पाइने ने प्रश्न को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा, "किसी ने कोई भी शिकायत दर्ज नहीं कराई लेकिन हमने खुद से ये कदम उठाया। हमने प्रश्न को रद्द करने का फैसला लिया। अगर किसी ने उसका जवाब देने की कोशिश की तो उसे पूरे नंबर दिए जाएंगे।" उन्होंने बताया कि प्रश्न पक्ष बनाने वाले बंगाली के अध्यापक सुभासीष घोष ने मामले पर माफी मांग ली है।
भाजपा का निशाना, तृणमूल कांग्रेस के गुलाम बन गए हैं अध्यापक
वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने मामले में स्कूल प्रशासन और तृणमूल कांग्रेस दोनों पर निशाना साधा है। हुगली भाजपा जिला संगठन के अध्यक्ष सुबीर नाग ने कहा, "वो हम पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाते हैं, लेकिन अब राज्य के लोगों को देखना चाहिए कि वो क्या कर रहे हैं। अध्यापक सत्तारूढ़ पार्टी के गुलाम बन गए हैं। मेरे पास इसकी निंदा करने लायक कठोर शब्द नहीं हैं।"
क्या है 'जय श्री राम' के नारे की राजनीति?
लोकसभा चुनाव के दौरान 'जय श्री राम' के नारे को भारतीय जनता पार्टी ने तब एक बड़ा मुद्दा बना लिया था, जब उनके काफिले के सामने भाजपा कार्यकर्ताओं के जय श्री राम का नारा लगाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी गाड़ी रोक ली थी और गुस्सा जाहिर किया था। भाजपा ने इसका इस्तेमाल ममता की "हिंदू विरोधी छवि" बनाने के लिए किया था। वहीं, ममता ने जय हिंद और जय बांग्ला के नारों के जरिए इसका जवाब दिया था।
क्या है कट मनी का मुद्दा?
'कट मनी' का मुद्दा भी लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल की राजनीति में छाया रहा था। सरकारी सेवाओं और योजनाओं का प्रयोग कर रहे लोगों से तृणमूल कांग्रेस के नेता योजना का लाभ देने के नाम पर जो अवैध कमीशन दलाली देते हैं, उसे कट मनी कहा जाता है। ममता ने अपने नेताओं को लोगों से अवैध रूप से प्राप्त इस कट मनी को लौटाने को कहा था। ये सिलसिला चुनाव के बाद भी जारी रहा।