इंच-इंच जमीन पर अवैध आप्रवासियों की पहचान करके देश से बाहर भेजेंगे- अमित शाह
आज संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने देश के हर हिस्से से अवैध आप्रवासियों की पहचान करने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक उनके देश भेजने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। ये बात उन्होंने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कही। समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने पूछा था कि क्या नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) को असम की तरह बाकी राज्यों में लागू किया जाएगा।
शाह ने कहा, NRC लागू करना है भाजपा का चुनावी वादा
सपा सांसद के इस सवाल के जवाब में गृह मंत्री शाह ने घोषणापत्र में किए गए अपने वादे की याद दिलाई। उन्होंने कहा, "ये एक बहुत अच्छा सवाल है। NRC असम समझौते का हिस्सा है और ये चुनावी घोषणापत्र (भारतीय जनता पार्टी) में भी था, जिसके आधार पर सरकार सत्ता में आई है। देश की इंच-इंच जमीन पर जो अवैध प्रवासी रहते हैं, हम उनकी पहचान करेंगे तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उन्हें निर्वासित करेंगे।"
पश्चिम बंगाल में NRC लागू करने की बात कह चुके हैं शाह
बता दें कि लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अमित शाह ने पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्यों में NRC लागू करने की बात कही थी। खासकर पश्चिम बंगाल में ये एक बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा है और ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था।
असम में NRC के लिए है 31 जुलाई की डेडलाइन
बता दें कि असम में अभी सुप्रीम कोर्ट की सख्त निगरानी में NRC को अपडेट किया जा रहा है और अंतिम सूची के लिए 31 जुलाई की डेडलाइन तय की गई है। लेकिन इस बीच सूची में शामिल नहीं किए गए 25 लाख आवेदकों ने केंद्र सरकार और राष्ट्रपति को पिटीशन भेजकर NRC की विसंगतियों को दूर करने के लिए इसकी डेडलाइन बढ़ाए जाने की मांग की है। कई पूर्व सैनिकों का नाम भी इस सूची में शामिल नहीं है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से की डेडलाइन बढ़ाने की मांग
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संसद में माना कि हो सकता है NRC में कुछ भारतीयों को भारत का नागरिक नहीं माना गया हो जबकि कुछ बाहरी लोगों को भारत का नागरिक मान लिया गया हो। उन्होंने कहा कि इसलिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से NRC की डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है। राय ने आश्वासन दिया कि NRC को बिना किसी दोष के लागू किया जाएगा और कोई भी असली भारतीय नागरिक इससे बाहर नहीं रहेगा।
ऐसे शुरू हुआ था असम में NRC का मुद्दा
बांग्लादेश से असम में आने वाले अवैध घुसपैठियों पर बढ़े विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने NRC को अपडेट करने को कहा था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है। असम देश का इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है। इसके अंतिम ड्राफ्ट में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं थे, उन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में अपील करने का विकल्प दिया गया था।