निर्भया गैंगरेप: गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को भेजी दोषी की दया याचिका, खारिज करने की सिफारिश
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्भया गैंगरेप केस में दोषी विनय शर्मा की दया याचिका की फाइल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजते हुए इसे खारिज करने की सिफारिश की है। इससे पहले दिल्ली सरकार ने भी इस दया याचिका को खारिज कर दिया था। गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार की इन सिफारिशों को देखते हुए राष्ट्रपति कोविंद भी दया याचिका को खारिज कर सकते हैं और जल्द ही चारों दोषियों को फांसी दी जा सकती है।
केवल एक दोषी ने दायर की थी दया याचिका
29 अक्टूबर को तिहाड़ जेल प्रशासन ने निर्भया गैंगरेप केस में जेल में बंद चारों दोषियों को सूचित किया था कि उनके सारे कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं और अगर वो राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर नहीं करते तो उन्हें जल्द फांसी दे दी जाएगी। इसके बाद विनय शर्मा ने दया याचिका दायर की थी, जबकि अन्य तीन दोषियों, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और मुकेश सिंह, ने दया याचिका नहीं दायर करने का फैसला लिया।
एक की दया याचिका से टली सभी दोषियों की फांसी
विनय की दया याचिका के बाद बाकी तीन दोषियों की फांसी पर भी इस याचिका पर फैसले तक अमल नहीं करने का फैसला लिया गया था। दया याचिका पर राष्ट्रपति को गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार की सिफारिश पर फैसला लेना है, इसलिए ये याचिका पहले दिल्ली सरकार के पास गई। दिल्ली सरकार ने इसे ये कहते हुए खारिज कर दिया कि घटना में हुई क्रूरता को देखते हुए फांसी की सजा की समीक्षा के लिए कोई जगह नहीं है।
दोषियों की फांसी पर जल्द मुहर लगा सकते हैं राष्ट्रपति
दिल्ली सरकार के दया याचिका को खारिज करने के बाद राष्ट्रपति गृह मंत्रालय की सिफारिश का इंतजार कर रहे थे। अब गृह मंत्रालय के भी इसे खारिज करने की सिफारिश के बाद वो जल्द ही दोषियों की फांसी पर मुहर लगा सकते हैं।
एक आरोपी ने लगा ली थी फांसी, एक नाबालिग होने के कारण फांसी से बचा
16 दिसंबर, 2012 की रात अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही 23 वर्षीय छात्रा के साथ छह लोगों ने दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप किया था। छात्रा की कुछ दिन बाद इलाज के दौरान मौत हो गई थी। रेप के एक आरोपी राम सिंह ने राम सिंह ने मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। वहीं नाबालिग दोषी को तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया था।
महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर देश गुस्से में
बता दें कि गृह मंत्रालय की ओर से दया याचिका खारिज करने की सिफारिश ऐसे समय पर की गई है जब देशभर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को लेकर गुस्सा देखने को मिल रहा है। हैदराबाद में महिला डॉक्टर को रेप के बाद जलाए जाने और उन्नाव में आरोपियों के रेप पीड़िता को जिंदा जलाने की घटनाओं की पृष्ठभूमि में ये गुस्सा अपने चरम पर है और संसद में भी इसका प्रदर्शन देखने को मिल रहा है।
राष्ट्रपति ने महिला सुरक्षा को बताया बेहद गंभीर मुद्दा
इसी गुस्से के बीच राष्ट्रपति कोविंद ने भी महिला सुरक्षा पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राजस्थान के सिरोही में एक कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "बेटियों पर होने वाले आसुरी प्रहारों की वारदातें देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख देती हैं। लड़कों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी हर माता-पिता की है, हर नागरिक की है, मेरी है, आपकी भी है।"
"POCSO एक्ट के तहत दोषियों को न दिया जाए दया याचिका का अधिकार"
दया याचिकाओं पर बोलते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, "इस प्रकार के दोषियों को संविधान में दया याचिका का अधिकार दिया गया है। पर मैंने कहा है कि इस पर आप पुनर्विचार कीजिए। दया याचिका के अधिकार को ऐसे मामलों में जो POCSO एक्ट के तहत जो घटनाएं होती हैं, उनको दया याचिका के अधिकार से वंचित कर दिया जाए। उन्हें इस प्रकार के किसी भी अधिकार की जरूरत नहीं है। अब ये सबकुछ संसद पर निर्भर करता है।"