#NewsBytesExplainer: यहोवा साक्षी ईसाई कौन हैं, जिनकी प्रार्थना सभा में केरल में सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए?
क्या है खबर?
केरल के एर्नाकुलम जिले के कालामासेरी में ईसाई प्रार्थना सभा में सिलेसिलेवार बम धमाकों में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 36 से अधिक लोग घायल हो गए।
ये यहोवा के साक्षियों की वार्षिक प्रार्थना सभा थी, जिसमें लगभग 2,500 लोग जुटे थे।
केरल में यहोवा साक्षियों की एक महत्वपूर्ण उपस्थिति है और इस संप्रदाय के जुड़े लोग सालों से देश में रह रहे हैं।
आइए जानते हैं कि यहोवा साक्षी कौन हैं और इनका क्या इतिहास है।
साक्षी
कौन हैं यहोवा साक्षी?
यहोवा के साक्षी एक ईसाई संप्रदाय है, लेकिन ईसाई धर्म के केंद्रीय त्रिमूर्ति सिद्धांत में विश्वास नहीं रखता और बूतपरस्ती के खिलाफ है।
ये संप्रदाय यहोवा को अपना ईश्वर मानता है, जिसे अब्राहम, मूसा और यीशु ने भी अपना ईश्वर माना था। इस संप्रदाय के लोग क्रिसमस या ईस्टर भी नहीं मानते हैं और बाइबिल के हर शब्द को ईश्वर के वचन के रूप में देखते हैं।
ये संप्रदाय खुद को प्रोटेस्टेंट भी नहीं मानता।
उत्पत्ति
कब हुई यहोवा साक्षी संप्रदाय की उत्पत्ति?
यहोवा साक्षी संप्रदाय की उत्पत्ति 1870 के दशक में अमेरिका में पादरी चार्ल्स टेज रसेल द्वारा शुरू किए गए बाइबिल छात्र आंदोलन से हुई।
1916 में रसेल की मृत्यु के बाद जोसेफ फ्रांकलिन रदरफर्ड संप्रदाय के नेता बने, जिनके नेतृत्व में यहोवा साक्षी संप्रदाय ने तेजी से विकास किया।
इस संप्रदाय के सिद्धांतों को प्रसारित करने वाली मुख्य संस्था को वॉच टावर बाइबिल एंड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ पेनसिल्वेनिया कहा जाता है, जिसका मुख्यालय न्यूयॉर्क के वारविक में है।
मान्यता
क्या है यहोवा साक्षियों की मान्यता?
यहोवा के साक्षी अपने सुसमाचारी कार्यों के लिए जाने जाते हैं। वो अपनी धार्मिक मान्यताओं और बाइबिल में लिखी बातों का लोगों के बीच प्रचार-प्रसार करते हैं।
उनका मानना है कि दुनिया का अंत निकट है, लेकिन सचमुच एक सरकार स्वर्ग से हुकूमत करती है और ये सरकार दुनिया की सभी सरकारों को हटा देगी और इसके बाद धरती पर वही होगा, जो ईश्वर चाहता है।
इस संप्रदाय के दुनियाभर में 85 लाख से ज्यादा अनुयायी हैं।
भारत
भारत में कब से मौजूद हैं यहोवा के साक्षी?
जेडब्ल्यूडॉटऑआरजी वेबसाइट के अनुसार, भारत में यहोवा साक्षी संप्रदाय के लगभग 56,747 धर्मगुरू हैं, जो बाइबिल पढ़ाते हैं।
ये संप्रदाय 1905 से भारत में मौजूद है। इससे जुड़े लोगों ने 1926 में मुंबई में अपना एक कार्यालय स्थापित किया था। साल 1978 में यहोवा साक्षियों ने कार्यालय का कानूनी पंजीकरण कराया था।
इन्हें भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त सभी अधिकार प्राप्त हैं। इसमें अपनी धार्मिक मान्यताओं का अभ्यास करने और धर्म का प्रचार करने जैसे सभी अधिकार शामिल हैं।
शिक्षा
भारत में क्या करता है यहोवा साक्षी संप्रदाय?
दुनिया के अन्य हिस्सों के तरह भारत में भी यहोवा साक्षी संप्रदाय अपनी धार्मिक मान्यताओं का प्रचार-प्रसार करता है।
देश में कई राज्यों में समय-समय पर यहोवा साक्षियों के सम्मेलन और सभाएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।
ये संप्रदाय शिक्षा पर भी विशेष जोर देता है। भारत में यहोवा साक्षी एक व्यापक शैक्षिक कार्यक्रम संचालित करते हैं, जिसमें बाइबिल का अध्ययन और अन्य धार्मिक शैक्षिक सामग्री शामिल है।
कब
भारत में पहले कब चर्चा में रह चुके हैं यहोवा साक्षी?
जुलाई, 1985 में केरल में हिंदू संगठन के एक स्कूल ने इस संप्रदाय से जुड़े 3 बच्चों को राष्ट्रगान में न शामिल होने पर निष्कासित कर दिया था।
मामले में बच्चों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।
1986 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था बच्चों को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करना संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।