#NewsBytesExplainer: ईरान के इजरायल-हमास युद्ध में शामिल होने की कितनी संभावना है?
इजरायल और हमास के बीच युद्ध शुरू हुए 12 दिन हो गए हैं। अब तक दोनों ओर से हजारों लोगों की जान गई हैं और इतने ही घायल हुए हैं। इजरायल अब गाजा में जमीनी सैनिक अभियान शुरू करने की तैयारी कर रहा है, जिस पर ईरान ने कड़ी चेतावनी दी है। ईरान ने कहा है कि युद्ध में जल्द ही तीसरा मोर्चा खुल सकता है। आइए समझते हैं कि क्या ईरान इस युद्ध में सीधे शामिल हो सकता है।
क्या बोला ईरान?
ईरान के विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा, "इजरायल के विरोधियों की तरफ से एहतियाती कदम उठाए जा सकते हैं। हिजबुल्लाह शामिल होता है तो ये संघर्ष मध्य-पूर्व के अन्य इलाकों में भी फैल सकता है।" ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा, "अगर इजरायल के हमले जारी रहे तो मुसलमानों को कोई नहीं रोक पाएगा। अगर ये अपराध जारी रहे तो मुसलमान और विद्रोही बल बेचैन हो जाएंगे और फिर उन्हें कोई भी रोक नहीं पाएगा।"
इजरायल के खिलाफ सबसे मुखर है ईरान
युद्ध शुरू होने के बाद से ही ईरान इजरायल के खिलाफ सबसे मुखर है। जब हमास ने इजरायल पर हमला किया तो ईरान ने इसका समर्थन करते हुए उसे प्रोत्साहित किया था। ईरान के कई नेता इजरायल के खिलाफ चेतावनी भरे अंदाज में बयान दे चुके हैं। ईरान के विदेश मंत्री ने पिछले हफ्ते मध्य-पूर्व के कई देशों का दौरा किया था और नेताओं-राजनयिकों से मुलाकात कर इजरायल के खिलाफ सबको एकजुट करने का प्रयास किया था।
क्या सीधे युद्ध में शामिल होगा ईरान?
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, तेल अवीव यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज के राज जिम्मित ने कहा, "ऐसा लगता है कि ईरान की हिजबुल्लाह के साथ पूरी तरह युद्ध में कूदने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसकी एक वजह ये है कि अगर हिजबुल्लाह युद्ध में शामिल होता है तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी। हालांकि, अगर इजरायल जमीनी हमला करता है तो ईरान एक सक्रिय मोर्चा खोलने के बारे में सोच सकता है।"
हिज्बुल्लाह के जरिए युद्ध में शामिल हो सकता है ईरान
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान युद्ध में सीधे तौर पर शामिल न होने के बजाय हिजबुल्लाह के जरिए इजरायल को परेशान करेगा। हिज्बुल्लाह लेबनान का चरमपंथी संगठन है, जिसे ईरान का समर्थन प्राप्त है। हालिया युद्ध में भी हिज्बुल्लाह और इजरायल के बीच छिटपुट संघर्ष देखने को मिला है। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान इजरायल पर साइबर हमले कर सकता है या इजरायल में रहने वाली अरब मूल की आबादी को भड़का सकता है।
मुस्लिम देशों की आवाज बनना चाहता है ईरान
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के प्रोफेसर कमाल पाशा ने BBC से बात करते हुए कहा, "ईरान इस मौके को इस्लामी दुनिया के नेतृत्व पर अपना दावा मजबूत करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है। फिलिस्तीन मुद्दा इस्लामिक है। ईरान हमास का खुला समर्थन कर संदेश दे रहा है कि अरब जगत के अन्य राष्ट्र अमेरिका के पीछे चलते हैं और वो कुछ नहीं कर पाएंगे और वह ही अकेला ऐसा बड़ा राष्ट्र है, जो फिलिस्तीनियों के साथ खड़ा रहेगा।"
सैन्य ताकत के लिहाज से कहां खड़ा है ईरान?
सैनिक ताकत और हथियारों के लिहाज से ईरान इजरायल के मुकाबले मजबूत दिखाई पड़ता है। ईरान की सेना में करीब 5.75 लाख जवान हैं, वहीं इजरायल के पास 1.73 लाख सक्रिय सैनिक हैं और रिजर्व सैनिकों को मिलाकर ये संख्या 4.65 लाख तक पहुंच जाती है। इजरायल के पास 2,200 टैंक हैं, जबकि ईरान के पास 4,071 टैंक हैं। ईरान के पास बख्तरबंद गाड़ियों, मिसाइलों, पनडुब्बियों, जहाजों और लड़ाकू विमानों की संख्या भी इजरायल से ज्यादा है।