#NewsBytesExplainer: इजरायल-हमास युद्ध से मिस्र को क्या खतरा और कैसे हो सकता है फायदा?
क्या है खबर?
इजरायल-हमास युद्ध के बीच मिस्र भी चर्चा में बना हुआ है।
मिस्र इजरायल और गाजा पट्टी दोनों के साथ सीमा साझा करता है। गाजा फिलिस्तीन का एक छोटा-सा इलाका है, जिस पर 2007 से हमास का नियंत्रण है।
मिस्र के इजरायल और फिलिस्तीन दोनों से अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति ने उसे दुविधा में डाल दिया है।
ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस युद्ध में मिस्र के लिए क्या दांव पर लगा है।
प्रतिक्रिया
इजरायल-फिलिस्तीन पर क्या रही है मिस्र की नीति और अभी क्या प्रतिक्रिया दी?
मिस्र के संबंध दोनों देशों के साथ अच्छे हैं, लेकिन वो सार्वजनिक तौर पर फिलिस्तीन का समर्थन करता है क्योंकि ऐसा न करने पर अरब देश नाराज हो सकते हैं।
भौगोलिक निकटता के कारण भी वह उसके समर्थन में हैं क्योंकि गाजा में किसी भी तरह का तनाव सीधे उसके राष्ट्रीय हितों को प्रभावित करता है।
जब हमास ने इजरायल पर हमला किया, तब भी मिस्र ने फिलिस्तीन को पीड़ित और इजरायल को हमलावर के रूप में चित्रित किया था।
अहमियत
मौजूदा संघर्ष में क्यों अहम है मिस्र?
मिस्र ने लंबे समय से न केवल इजरायल और फिलिस्तीन के बीच, बल्कि अलग-अलग फिलिस्तीनी गुटों के बीच संघर्ष में भी मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। इसी कारण इस संघर्ष में उसकी भूमिका अहम हो जाती है।
इसके अलावा गाजा से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता राफा क्रॉसिंग भी उसके नियंत्रण में आता है।
गाजा पट्टी के लाखों निवासी इसके खुलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मिस्र ने अभी तक रास्ते को नहीं खोला है।
प्रभाव
मौजूदा संकट मिस्र को कैसे प्रभावित कर सकता है?
मिस्र विस्थापित फिलिस्तीनियों के गाजा से सटे उसके सिनाई प्रांत में जाने के विरोध में रहा है, लेकिन ये जंग एक बार फिर से गाजा के लोगों के बड़ी संख्या में यहां पलायन का कारण बन सकती है।
दरअसल, मिस्र सिनाई प्रांत की संप्रभुता पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं चाहता है, जिससे यहां सुरक्षा और आर्थिक संकट खड़ा हो जाए।
उसके राफा क्रॉसिंग को अभी तक बंद रखने के पीछे भी यही कारण है।
डर
मिस्र को इस जंग से किस बात का डर सता रहा?
मिस्र को डर है कि यदि गाजा से पलायन करके लोग सिनाई प्रांत में आते हैं तो उनके साथ कट्टरपंथी समूहों से जुड़े लोग भी हो सकते हैं।
इससे यहां आतंकवादी हमले और अस्थिरता बढ़ सकती है, जैसा कि हमास के साथ 2017 में हुए समझौते से पहले सिनाई में था। तब यहां गाजा में ट्रेनिंग ले चुके आतंकी वारदातों को अंजाम देते रहते थे।
इससे मिस्र की सीमा पर हथियारों और लड़ाकों की तस्करी को भी बढ़ावा मिलेगा।
लाभ
मिस्र जंग को कैसे अपने हक में इस्तेमाल कर सकता है?
गाजा की सत्ता पर काबिज हमास मुस्लिम ब्रदरहुड से निकला है, जो मिस्र का कट्टरपंथी संगठन है।
इसी कारण मिस्र गाजा में फिलिस्तीनी प्राधिकरण की वापसी चाहता है और सशस्त्र विद्रोह की बजाय विकास के लिए कूटनीतिक वार्ता के लिए अधिक इच्छुक है।
यदि इस जंग में हमास का खात्मा हो जाता है तो उस स्थिति में गाजा में फिलिस्तीनी प्राधिकरण की वापसी का रास्ता खुल सकता है।
ये मिस्र के लिए एक बड़ी राहत होगी।
मुस्लिम ब्रदरहुड
न्यूजबाइट्स प्लस
मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र का सबसे बड़ा और सबसे पुराना इस्लामी संगठन है। इसकी स्थापना 1928 में हसन अल-बन्ना ने की थी।
इस संगठन ने पूरे विश्व में चल रहे इस्लामी आंदोलनों को काफी प्रभावित किया और मध्य-पूर्व के कई देशों में इसके सक्रिय सदस्य हैं।
शुरुआत में इस संगठन का उद्देश्य इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार करना था, लेकिन बाद में यह राजनीति में शामिल हो गया।
मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र में ब्रिटेन के औपनिवेशिक प्रभाव के खिलाफ भी काम करता था।