केंद्र सरकार ने खत्म की 'नो डिटेंशन पॉलिसी', जानिए किन राज्यों के बच्चों पर होगा असर?
केंद्र सरकार ने सोमवार को सभी केंद्रीय विद्यालय (KV) और जवाहर नवोदय विद्यालय (JNV) सहित अपने अधीन आने वाले स्कूलों में 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया है। इसके बाद अब देश में संचालित 3,000 से अधिक केंद्र संचालित विद्यालयों में कक्षा 5 और 8 के विद्यार्थियों को फेल करने की अनुमति मिल गई है। हालांकि, राज्यों में यह फैसला सरकार की इच्छा पर ही निर्भर रहेगा। आइए जानते हैं इस फैसले से किन-किन राज्यों के बच्चे प्रभावित होंगे।
क्या है 'नो डिटेंशन पॉलिसी'?
सरकार ने 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत 6 से 14 साल तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा दिलाने के लिए 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को लागू किया था। इसके अनुसार, किसी भी स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चे को 8वीं तक की प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी कक्षा में फेल नहीं किया जाएगा। इसका मतलब था कि उन्हें परीक्षा में निर्धारित पात्रता से कम नंबर लाने के बाद भी अगली कक्षा में पदोन्नत किया जाएगा।
इस पॉलिसी से क्या आई समस्या?
इस पॉलिसी से स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिर गया। इसका कारण था कि बच्चे बिना पढ़े और मेहनत किए ही अगली कक्षा में पहुंच जाते थे और शिक्षक भी उन पर ज्यादा मेहनत नहीं कर रहे थे। इसका सीधा असर आगे की कक्षाओं में देखने को मिला। 8वीं के बाद जब बच्चे 9वीं कक्षा में पढ़ने गए तो उनमें अधिकतर फेल हो गए। अकेले दिल्ली में ही इस साल 17,308 विद्यार्थी कक्षा 9 में दूसरी बार फेल हुए थे।
कब उठी पॉलिसी को खत्म की मांग?
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE) ने साल 2016 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को 'नो डिटेंशन पॉलिसी' खत्म करने का सुझाव दिया था। इसके पीछे तर्क था कि पॉलिसी से छात्रों के सीखने और समझने का स्तर कम हो रहा है। इसमें मुख्य रूप से स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा के बच्चों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है और सामान्य शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। इसके बाद सरकार ने इस पर विचार करना शुरू कर दिया।
कब किया गया पॉलिसी को खत्म करने का निर्णय?
जुलाई 2018 में लोकसभा में RTE संशोधन विधेयक पेश किया गया था। इसमें स्कूलों में लागू पॉलिसी को खत्म करने की बात थी। इसके बाद 2019 में इसे राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। हालांकि, शिक्षा का विषय राज्यों के पास होने के कारण पॉलिसी को लागू रखने या हटाने का निर्णय राज्यों पर ही छोड़ दिया गया था। उस दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि अधिकांश राज्य सरकारों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।
18 राज्यों ने पॉलिसी को खत्म करने का लिया था फैसला
RTE में संशोधन के बाद 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने पॉलिसी को खत्म कर दिया था। इनमें असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, दादरा-नगर हवेली और दमन और दीव शामिल थे। इसी तरह आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, लद्दाख, लक्षद्वीप, चंडीगढ़ और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह ने इसे लागू रखने का फैसला किया था।
हरियाणा और पुडुचेरी ने नहीं लिया कोई निर्णय
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, RTE में संशोधन के बाद से हरियाणा और पुडुचेरी ने पॉलिसी को लागू रखने या हटाने पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में इन दोनों जगहों पर अभी भी पुराने कानून के तहत यह पॉलिसी लागू हो रही है।
केंद्र सरकार ने पॉलिसी को लेकर अब क्या जारी किया आदेश?
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने पॉलिसी को खत्म करने का ऐलान किया है। अब 5वीं और 8वीं में फेल होने बच्चों के लिए 2 महीने में दोबारा से परीक्षा आयोजित होगी। इससे वह छात्र दोबारा तैयारी कर परीक्षा पास कर सकेंगे। हालांकि, दूसरी परीक्षा में भी फेल होने पर उन्हें अगली कक्षा में पदोन्नत नहीं किया जाएगा। बड़ी बात यह है कि बार-बार फेल होने के बाद भी बच्चों को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।
केंद्र के आदेश से बढ़ेगी शिक्षकों की चिंता
केंद्र सरकार के पॉलिसी खत्म करने के आदेश ने स्कूलों के अध्यापकों की चिंता को जरूर बढ़ा दिया है। आदेश के अनुसार, अब स्कूल के अध्यापकों को फेल होने वाले बच्चों की कमजोरियों का पता लगाना होगा और उसे दूसरे करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। इसके लिए उन्होंने बच्चों के माता-पिता के साथ उनके सहयोग से योजना भी तैयार करनी होगी। इसी तरह प्रधानाध्यापकों को स्कूल में फेल हुए छात्रों की प्रगति की निगरानी करनी होगी।
तमिलनाडु सरकार ने किया केंद्र के फैसले का विराेध
केंद्र के इस फैलसे का तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने सबसे पहले विरोध किया है। राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा कि उनके राज्य में केंद्र के इस फैसले का पालन नहीं किया जाएगा और वह 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को जारी रखेंगे। हालांकि, तमिलनाडु की पूर्ववर्ती सरकार ने इस पॉलिसी को खत्म कर दिया था, लेकिन अब सरकार इसे फिर से जारी रखने की ओर कदम बढ़ाती नजर आ रही है।