लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर में हुआ सुधार, पिछले साल 3 लाख रहा आंकड़ा
देश में लड़कियों की शिक्षा में पहले के मुकाबले सुधार हो रहा है। 2021-22 में 11 से 14 साल की तीन लाख लड़कियों ने ही स्कूल छोड़ा, जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा 10.3 लाख था। लड़कियां माध्यमिक स्तर पर लड़कों की तुलना में कम संख्या में स्कूल छोड़ रही हैं। यह जानकारी केंद्र सरकार की तरफ से संसद में एक सवाल के जवाब में दिए गए आंकड़ों से सामने आई है।
माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के स्कूल छोड़ने में लगभग 5 प्रतिशत की कमी आई
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी की तरफ से संसद में अप्रैल, 2022 और बुधवार यानी 27 जुलाई को जारी किए आंकड़ों से पता चलता है कि 2020-21 में माध्यमिक स्तर (कक्षा 9-10) पर लड़कियों के स्कूल छोड़ने में 2017-18 के मुकाबले लगभग 5 प्रतिशत की कमी आई है। 2017-18 में जहां 18.4 प्रतिशत लड़कियों ने स्कूल छोड़ा तो वहीं 2020-21 में यह दर घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई।
उत्तर प्रदेश, गुजरात और असम की सबसे अधिक लड़कियों ने छोड़ी पढ़ाई
पढ़ाई बीच में छोड़ने वाली 3.03 लाख में से करीब 2.30 लाख लड़कियां सिर्फ तीन राज्यो, उत्तर प्रदेश, गुजरात और असम, से हैं। यह तस्वीर तब है जब कोरोना वायरस महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लड़कियों का रिकॉर्ड दाखिला हुआ था। नेशनल फैमिली हेल्थ के सर्वे के मुताबिक, 2018-19 में 13.2 लाख लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ी थी।, वहीं 2020-21 में महामारी के कारण यह सर्वे नहीं हो पाया था।
प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर भी हुआ सुधार
प्राथमिक (कक्षा एक से पांच) और उच्च-प्राथमिक (कक्षा छह से आठ) स्तर पर भी लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर में सुधार हुआ है। प्राथमिक स्तर पर लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर 2017-18 में 3.3 प्रतिशत के मुकाबले 2020-21 में 0.7 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसी तरह उच्च-प्राथमिक स्तर पर यह दर 5.6 प्रतिशत से घटकर 2.6 प्रतिशत हो गई है।
UNICEF ने बताए लड़कियों के स्कूल छोड़ने के कारण
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के एक सर्वेक्षण में लड़कियों के बीच में स्कूल छोड़ने के कारण बताए गए हैं। इसमें कहा गया है कि 33 प्रतिशत लड़कियां घर पर घरेलू कार्य करने लगी हैं, जबकि 25 प्रतिशत लड़कियों की पढ़ाई शादी के कारण छूट गई है। कई जगहों पर यह भी पाया गया कि लड़कियों ने स्कूल छोड़ने के बाद परिजनों के साथ मजदूरी या लोगों के घरों में सफाई करने का काम शुरू कर दिया।
लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनने से हुआ सुधार- पूर्व शिक्षा सचिव
हिंदुस्तान से बात करते हुए पूर्व शिक्षा सचिव डॉ एके रथ ने कहा कि लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर पहले के मुकाबले कम होने की वजह स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनना है। उन्होंने कहा, "यह बड़ा सामाजिक असर है, जिसे सही तरीके से समझने की जरूरत है। शौचालय न होने से अभिभावक भी लड़कियों को स्कूल भेजने से बचते थे।" उन्होंने कहा कि ओडिशा के कोरापुट में UNICEF के अध्ययन में इसकी पुष्टि भी हुई थी।