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    भारत का रक्षा निर्यात 22,000 करोड़ रुपये पर पहुंचा, अमेरिका सहित ये देश हैं शीर्ष खरीदार
    भारत का रक्षा निर्यात 22,000 करोड़ रुपये क पार पहुंचा (तस्वीर: एक्स/@VivekSi85847001)

    भारत का रक्षा निर्यात 22,000 करोड़ रुपये पर पहुंचा, अमेरिका सहित ये देश हैं शीर्ष खरीदार

    लेखन भारत शर्मा
    Oct 28, 2024
    05:19 pm

    क्या है खबर?

    भारत में तैयार हथियार और अन्य रक्षा उपकरणों की अब विदेशों में मांग बढ़ती जा रही है।

    यही कारण है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात बढ़कर 260 करोड़ डॉलर (लगभग 22,800 करोड़ रुपये) पर पहुंच गया।

    बड़ी बात यह है कि भारत निर्मित उपकरणों के सबसे बड़े खरीदारों में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया जैसे देश शामिल है।

    इस प्रगति को आत्मनिर्भर भारत मिशन की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

    निर्यात

    100 देशों में किया जा रहा है रक्षा उपकरणों का निर्यात

    TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां दुनिया के करीब 100 देशों को भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और फ्यूज का निर्यात कर रही है।

    इसके साथ ही, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, डोर्नियर-228 विमान, आर्टिलरी गन, रडार, आकाश मिसाइल, पिनाका रॉकेट और बख्तरबंद वाहन सहित कुछ पूर्ण हथियार प्रणाली और प्लेटफॉर्म भी भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में निर्यात किए जा रहे हैं।

    भारत निर्मित उपकरणों पर विदेशी प्रतिक्रिया भी सराहनीय रही हैं।

    खरीदार

    अर्मेनिया है भारत का सबसे बड़ा खरीदार

    अर्मेनिया भारत में तैयार हथियार प्रणालियों का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। वह भारत से आकाश वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली, पिनाका मल्टी-लॉन्च रॉकेट प्रणाली और 155mm आर्टिलरी गन की बहुतायत में खरीद कर रहा हैं।

    अर्मेनिया ने पिछले 4 सालों में भारत के साथ मिसाइलों, आर्टिलरी गन, रॉकेट सिस्टम, रडार, बुलेट-प्रूफ जैकेट और नाइट-विजन उपकरण तथा विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद और तोपखाने के गोले जैसे तैयार उत्पादों के आयात के लिए कई सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं।

    जानकारी

    अर्मेनिया बना भारत निर्मित आकाश वायु रक्षा मिसाइलों का पहला खरीदार

    आर्मेनिया भारत में निर्मित आकाश वायु रक्षा मिसाइलों का पहला विदेशी खरीदार भी बना है। इसके साथ ही, ब्राजील ने इस प्रणाली के उन्नत संस्करणों के सह-उत्पादन और सह-विकास में रुचि दिखाई है। वह इस पर एक अंतर-सरकारी समझौता करना चाहता है।

    अमेरिका

    भारत से क्या खरीद रहा है अमेरिका?

    भारत से अमेरिका की रक्षा खरीद में उप-प्रणालियां और घटक शामिल हैं, जिनमें बोइंग और लॉकहीड मार्टिन जैसी वैश्विक रक्षा कंपनियां शामिल हैं, जो विमानों और हेलीकॉप्टरों के ढांचे, पंखे और अन्य भागों की खरीद करती हैं।

    इसी तरह फ्रांस बड़ी मात्रा में सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भारत से ही आयात कर रहा है।

    आसियान देश और कुछ खाड़ी देशों में भारत की ब्रह्मोस एंटी-शिप तटीय मिसाइल बैटरियों के लिए भी रुचि बढ़ी है।

    जानकारी

    भारत को मिला 3,150 करोड़ रुपये का अनुबंध

    भारत को जनवरी 2022 में तीन सटीक-स्ट्राइक मिसाइलों के निर्यात के लिए 37 करोड़ डॉलर (करीब 3,150 करोड़ रुपये) का अनुबंध मिला मिला था। उसके बाद से ही विदेशों में भारतीय हथियारों की मांग में एकाएक उछाल देखने को मिला है।

    खरीद

    भारत है दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयात करने वाला देश

    भारत निर्मित रक्षा प्रणालियों के निर्यात में लगातार इजाफा होने के बाद भी भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयात करने वाला देश है।

    भारत द्वारा खरीदे गए हथियार 2019 से 2024 की अवधि में कुल वैश्विक आयात का 9.8 प्रतिशत है।

    हालांकि, अब भारत अपने घरेलू रक्षा औद्योगिक आधार (DIB) का तेजी से विस्तार कर रहा है और अपनी आत्मनिर्भरता या मेक इन इंडिया पहल के तहत कुछ हथियार प्रणालियों के आयात पर प्रतिबंध लगा रहा है।

    लक्ष्य

    भारत ने रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा

    रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023-24 में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 1.2 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।

    इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने 2028-29 तक इसे 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

    इसी तरह सरकार ने 2028-29 तक विदेशों में 50,000 करोड़ रुपये के हथियार निर्यात करने का भी लक्ष्य रखा है। अगर भारत यह लक्ष्य पूरा करता है तो दुनिया में उसकी अलग पहचान बन सकेगी।

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