#NewsBytesExplainer: अब पुराने संसद भवन का क्या होगा?
संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन आज संसद की कार्यवाही नए संसद भवन में आयोजित हुई, जिसका 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। इसी के साथ 75 सालों तक संसदीय परंपरा की गवाह रही पुरानी संसद इतिहास का हिस्सा बन गई। प्रधानमंत्री मोदी ने पुरानी संसद को 'संविधान सदन' कहे जाने का प्रस्ताव रखा है। आइए जानते हैं कि इस इमारत का इतिहास क्या है और इसका अब क्या होगा।
कब हुआ था संसद भवन का निर्माण?
ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियन और सर हर्बर्ट बेकर ने दिल्ली में मौजूद पुराने संसद भवन का डिजाइन तैयार किया था। इसका निर्माण 1921 और 1927 के बीच किया गया था। इस इमारत का इस्तेमाल ब्रिटिश राज में 'इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल' (शाही विधान परिषद) के रूप हुआ था, लेकिन भारत की आजादी के बाद 144 स्तंभों वाली इस गोलाकार इमारत में संविधान सभा की बैठकें हुईं। 1950 में भारत का संविधान बनने के बाद यह देश की संसद बन गई।
इमारत में 1956 में जोड़े गए थे 2 फ्लोर
मौजूदा पुराने संसद भवन की इमारत में 1956 में 2 फ्लोर जोड़े गए थे। इसके बाद 2006 में इस इमारत में संसद संग्रहालय भी तैयार किया गया, जहां देश की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत के 2,500 सालों को दर्शाया गया है।
अब संसद भवन का आगे क्या होगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुराने संसद भवन को ध्वस्त नहीं किया जाएगा और इसका इस्तेमाल आयोजन स्थल के रूप में भविष्य में संसदीय कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा कि इस ऐतिहासिक इमारत का संरक्षण किया जाएगा क्योंकि यह देश की पुरातात्विक और ऐतिहासिक संपत्ति है। इससे पहले 2021 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में कहा था कि मौजूदा भवन की मरम्मत की जाएगी और इसका इस्तेमाल वैकल्पिक कार्यों के लिए किया जाएगा।
पुरानी संसद को बनाया जा सकता है संग्रहालय
न्यूज 18 के अनुसार, पुराने संसद भवन के एक हिस्से को संग्रहालय में तब्दील किया जा सकता है। यह सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास प्रोजेक्ट के तहत केंद्र सरकार की योजना है। इसके तहत राष्ट्रीय संग्रहालय और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखी हुईं कुछ पेंटिंग्स, मूर्तियों, पांडुलिपियां और अन्य महत्वपूर्ण कलाकृतियों को इस संग्रहालय में स्थानांतरित किया जा सकता है। इस संग्रहालय के अस्तित्व में आने के बाद लोग लोकसभा कक्ष में बैठने का अनुभव भी प्राप्त कर पाएंगे।
पुरानी संसद ने झेला था आतंकी हमला
भारत के संसदीय लोकतंत्र की गवाह रही पुरानी संसद ने साल 2001 में एक आतंकवादी हमले का दंश भी झेला। 13 दिसंबर, 2001 को पाकिस्तान में पोषित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हथियारबंद आतंकवादियों ने कार के जरिए संसद परिसर में घुसकर हमला कर दिया था। इस हमले में दिल्ली पुलिस के 6 जवानों समेत कुल 9 कर्मचारियों की मौत हो गई थी, जबकि सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए 5 आतंकवादियों को ढेर कर दिया था।
क्यों पड़ी नई संसद की जरूरत?
नए संसद भवन का निर्माण 10 दिसंबर, 2020 को शुरू हुआ था और प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। 1927 में बनी संसद की पुरानी इमारत करीब 96 साल पुरानी हो चुकी है और इसमें जगह और अन्य सुविधाओं का भी अभाव था। नई संसद का निर्माण आधुनिक जरूरतों को देखते हुए किया गया है। इसके अलावा 2026 में देश में सांसदों की संख्या भी बढ़नी है, इसलिए नई संसद जरूरी हो जाती है।
न्यूजबाइट्स प्लस
नए संसद भवन का डिजाइन त्रिकोणीय आकार का है। इसमें लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने का इंतजाम है। भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान कक्ष बनाया गया है। संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, लाइब्रेरी, कैंटीन, समिति कक्ष और पार्किंग उपलब्ध है। नए संसद भवन में 3 प्रमुख प्रवेश द्वार बनाए गए हैं, जिनके नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार रखे गए हैं।