#NewsBytesExplainer: पुरानी संसद बनने से लेकर नए संसद भवन के उद्घाटन तक महत्वपूर्व पड़ाव क्या रहे?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया।
संसद की पुरानी इमारत ने 75 से अधिक वर्षों तक भारत की संसद के रूप में कार्य किया और यह सांसदों के बीच गरमागरम बहसों से लेकर कई महत्वपूर्ण कानूनों के बनने की गवाह रह चुकी है, लेकिन अब यह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है।
आइए पुराने संसद भवन के निर्माण से लेकर नई संसद के महत्वपूर्ण पड़ावों के बारे में जानते हैं।
संसद
1921 से 1927 के बीच हुआ था पुराने संसद भवन का निर्माण
ब्रिटिश वास्तुकार हर्बर्ट बेकर और एडविन लुटियंस ने 1918 में कई चर्चाओं के बाद दिल्ली में काउंसिल हाउस को गोलाकार आकार का बनाने का निर्णय लिया था। उनकी पसंद के पीछे इटली की राजधानी रोम में स्थित कोलोसियम को प्रेरणा बताया गया था।
12 फरवरी, 1921 को पुराने संसद भवन का शिलान्यास हुआ था और यह 1927 में बनकर तैयार हुआ। 18 जनवरी, 1927 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने इस संसद भवन का उद्घाटन किया था।
खर्च
पुराने संसद भवन पर आया था 83 लाख रुपये का खर्च
दिल्ली में 24,281 वर्ग मीटर में मौजूदा संसद का निर्माण हुआ था और इसे बनाने में 83 लाख रुपये खर्च हुए थे।
इसे उस वक्त 'हाउस ऑफ पार्लियामेंट' कहा जाता था, जिसमें ब्रिटिश परिषद काम करती थी।
देश को आजादी मिलने और 1950 में संविधान बनने के बाद इस इमारत को संसद भवन कहा जाने लगा, लेकिन जब जगह की जरूरत पड़ी तो 1956 में संसद भवन में दो और मंजिलें जोड़ी गईं।
निर्माण
पुरानी संसद के निर्माण में 2,500 कारीगर किए गए तैनात
पुरानी संसद के निर्माण दौरान पत्थर काटने वालों और राजमिस्त्रियों समेत 2,500 कारीगरों को पत्थरों को आकार देने के उद्देश्य से तैनात किया गया था। संसद के चारों तरफ 144 स्तंभ भी लगाए गए थे।
इस दौरान क्रेन समेत उन्नत यांत्रिक उपकरणों का भी इस्तेमाल किया गया था।
बता दें कि काउंसिल हाउस का निर्माण शुरू होने तक नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक की इमारतों का निर्माण भी लगभग पूरा हो चुका था।
उद्घाटन
दिसंबर, 2020 में रखी गई थी नई संसद की आधारशिला
प्रधानमंत्री मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को एक कार्यक्रम में नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, कैबिनेट मंत्रियों और विभिन्न देशों के राजदूतों ने भाग लिया था।
केंद्र सरकार ने 64,500 वर्ग मीटर में फैली इस नई संसद समेत सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए करीब 20,000 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2022 में भवन के ऊपर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण भी किया था।
खर्च
नई संसद पर आया 971 करोड़ रुपये का खर्च
आंकड़ों के मुताबिक, नई संसद को बनाने के लिए करीब 971 करोड़ रुपये का खर्च आया। इसमें 26,045 मीट्रिक टन (MT) स्टील और 63,807 मीट्रिक टन (MT) सीमेंट का इस्तेमाल हुआ। निर्माण के दौरान 9,689 क्यूबिक मीटर फ्लाई ऐश का
नई संसद का निर्माण कोरोना वायरस महामारी के दौरान शुरू हुआ था और इसमें करीब 60,000 कर्मचारियों ने भूमिका निभाई और यह 23.04 लाख मानव दिवस के श्रम बाद तैयार हुई।
जानकारी
नए संसद भवन में कब शुरू होगा कामकाज?
बतौर रिपोर्ट्स, नए संसद भवन में कामकाज इस मानसून सत्र से शुरू होने की उम्मीद है। संसद का मानसून सत्र जुलाई के आखिरी सप्ताह या अगस्त के पहले सप्ताह से शुरू हो सकता है, जब लोकसभा और राज्यसभा के सांसद कार्यवाही में भाग लेंगे।
भविष्य
पुरानी इमारत का विरासत के रूप में होगा कायाकल्प
मौजूदा संसद भवन को तोड़ा नहीं जाएगा और एक ऐतिहासिक संपत्ति होने के नाते इसका संरक्षण किया जाएगा। केंद्र सरकार के मुताबिक, पुराने संसद भवन की समृद्ध विरासत का संरक्षण और कायाकल्प राष्ट्रीय महत्व का विषय है।
बतौर रिपोर्ट्स, मौजूदा संसद भवन के एक हिस्से को एक संग्रहालय में परिवर्तित किया जा सकता है। यदि यह संग्रहालय अस्तित्व में आता है तो लोग लोकसभा कक्ष में बैठने का अनुभव भी प्राप्त कर पाएंगे।