#NewsBytesExplainer: 'इंडिया, अर्थात भारत', संविधान सभा ने कैसे तय किया था देश का नाम?
क्या है खबर?
देश का नाम 'इंडिया' से 'भारत' किए जाने की अटकलों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
विपक्षी गठबंधन INDIA के नेता लगातार केंद्र सरकार पर नाम बदलने की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब देश के नाम को लेकर बहस छिड़ी हो। आजादी के बाद बनी संविधान सभा में भी इस मुद्दे पर काफी बहस हुई थी।
विवाद
देश के नाम पर मौजूदा विवाद क्या है?
देश का नाम बदलने को लेकर पूरा विवाद G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान होने वाले रात्रिभोज का आधिकारिक निमंत्रण पत्र सामने आने के बाद शुरू हुआ।
G-20 देशों के प्रतिनिधियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को भेजे गए इस निमंत्रण पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 'प्रेसिडेट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के तौर पर संबोधित किया गया है।
इसी के बाद से अटकलें हैं कि देश का नाम 'इंडिया' हटाकर केवल 'भारत' किया जा सकता है।
चर्चा
संविधान सभा में देश के नाम पर क्या बहस हुई थी?
ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा 1948 में पेश किए गए संविधान के पहले ड्राफ्ट में 'भारत' नाम का जिक्र नहीं था।
हालांकि, जब उन्होंने 17 सितंबर, 1949 को संविधान सभा में 'संघ का नाम और क्षेत्र' प्रस्ताव रखा तो इसमें 'इंडिया, अर्थात भारत' लिखा हुआ था।
इसका कई सदस्यों ने तीखा विरोध किया। उन्होंने 'इंडिया' नाम के इस्तेमाल के खिलाफ थे क्योंकि वे इसे देश के औपनिवेशिक अतीत की याद के रूप में देखते हैं।
पक्ष
'भारत' के पक्ष में क्या कहा गया था?
कांग्रेस के नेता कमलापति त्रिपाठी ने 'भारत' को देश का प्राथमिक नाम बनाने की वकालत की थी।
उन्होंने कहा था, "हमारे सामने जो प्रस्ताव पेश किया गया है, उसमें 'भारत, अर्थात इंडिया' शब्द का इस्तेमाल करना ज्यादा उचित होगा।"
त्रिपाठी ने देश को भारत कहने के अपने पक्ष को विस्तार से रखते हुए कहा था कि जब देश आजाद हो गया है तो इसे अपना प्राचीन नाम वापस अपनाना चाहिए।
पक्ष
'इंडिया' के विरोध में क्या तर्क दिया गया था?
संयुक्त प्रांत के पहाड़ी जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले हरगोविंद पंत ने स्पष्ट किया कि लोग देश का नाम 'भारतवर्ष' या 'भारत' चाहते हैं।
उन्होंने कहा था, "'इंडिया' नाम विदेशियों द्वारा दिया गया था, जो हमारे देश की समृद्धि के बारे में सुनकर इसके प्रति आकर्षित हुए थे। हम यदि यह नाम इस्तेमाल करते हैं तो इससे लगेगा कि हमें उस नाम से कोई शर्म नहीं है, जो विदेशी शासकों द्वारा हम पर थोपा गया है।"
पक्ष
नाम को लेकर और क्या चर्चा हुई थी?
संविधान सभा के सदस्य और फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता हरि विष्णु कामथ ने अनुच्छेद 1 में दिए गए वाक्य को बदलने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इसे 'भारत या, अंग्रेजी भाषा में इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा' लिखा जाना चाहिए।
मध्य प्रांत और बरार का प्रतिनिधित्व करने वाले सेठ गोविंद दास ने प्रस्ताव रखा था कि वाक्य को 'भारत, जिसे विदेशों में इंडिया के नाम से भी जाना जाता है' लिखा जाना चाहिए।
फैसला
संविधान सभा ने अंत में क्या फैसला लिया था?
अंबेडकर ने समयसीमा का हवाला देते हुए बहस को समाप्त करने का अनुरोध किया था।
इसके बाद उनके द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को संविधान सभा ने स्वीकृत किया और संविधान के अनुच्छेद 1 के खंड (1) और (2) प्रतिस्थापित किए गए।
इनमें कहा गया, 'इंडिया, अर्थात भारत राज्यों का एक संघ होगा' और 'राज्य और उसके क्षेत्र पहली अनुसूची के भाग I, II और III के निर्दिष्ट समय के लिए राज्य और उनके क्षेत्र होंगे।'
संविधान
संविधान में अभी नाम को लेकर क्या लिखा हुआ है?
संविधान के अनुच्छेद 1 में 'इंडिया' और 'भारत' दोनों को देश के आधिकारिक नाम के रूप में मान्यता दी गई है।
इसमें देश को परिभाषित करते हुए 'भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा' कहा गया है।
इसके अलावा संविधान की प्रस्तावना में भी हिंदी में 'हम, भारत के लोग' और अंग्रेजी में 'वी, द पीपल ऑफ इंडिया' लिखा हुआ है।
नाम
न्यूजबाइट्स प्लस
प्राचीन काल से हमारे देश को अलग-अलग नामों से जाना जाता रहा है, जिनमें भारतवर्ष, जम्बूद्वीप, हिमवर्ष, इंडिया, आर्यावर्त और हिंदुस्तान शामिल हैं।
'भारत' नाम जैन समुदाय के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव के पुत्र और पहले चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर पड़ा है।
एक धारणा है कि अंग्रेजों ने देश का नाम 'इंडिया' रखा था, लेकिन इसकी उत्पत्ति सिंधु नदी के अंग्रेजी नाम 'इंडस' से हुई है। पहली बार इसका इस्तेमाल यूनानियों ने चौथी सदी ईसा पूर्व में किया था।