जातिगत जनगणना: केंद्र ने पहले कहा- केवल हमें इसका अधिकार; फिर बताया अनजाने में हुई गलती
केंद्र सरकार ने बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नया और संशोधित हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र ने सोमवार को अपने पहले हलफनामे में स्पष्ट शब्दों में बिहार सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि केवल वह जनगणना करवा सकती है, लेकिन इसके कुछ घंटों बाद ही हलफनामे को संशोधित कर दिया गया। गौरतलब है कि पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में जातिगत जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं को खरिज कर दिया था।
केंद्र ने हलफनामों में क्या कहा?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने पहले हलफनामे में बिहार सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि संविधान के तहत केंद्र सरकार को छोड़कर अन्य कोई भी निकाय या संस्था जनगणना या जनगणना के समान कोई भी कार्रवाई करने की हकदार नहीं है। हालांकि, सरकार ने कुछ घंटों बाद एक नया हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि वह अपने पुराने हलफनामे में अनजाने में शामिल हुए इस उपर्युक्त अनुच्छेद को हटाना चाहती है।
केंद्र ने नए हलफनामे में और क्या कहा है?
केंद्र सरकार ने अपने नए और संशोधित हलफनामे में सीधे तौर पर बिहार सरकार के जातिगत जनगणना करवाने का फैसले का विरोध नहीं किया है। केंद्र ने अपने नए हलफनामे में कहा, "जनगणना एक वैधानिक प्रक्रिया है और जनगणना अधिनियम, 1948 द्वारा शासित होती है। इस अधिनियम की धारा 3 के तहत केवल केंद्र सरकार को जनगणना करवाने का अधिकार है। इसके साथ ही जनगणना का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत संघ सूची में शामिल है।"
पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को दी थी राहत
पटना हाई कोर्ट ने 1 अगस्त को बिहार सरकार को बड़ी राहत देते हुए जातिगत जनगणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने उस दलील को भी खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि जनगणना का काम सिर्फ केंद्र सरकार का है। इससे पहले 4 मई को पटना हाई कोर्ट ने बिहार में जातिगत जनगणना के कार्य पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
क्या है जातिगत जनगणना?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने पिछले साल जून में जातिगत जनगणना करवाने का फैसला किया था। जनगणना का पहला चरण जनवरी में पूरा हो गया था और दूसरे चरण का काम अप्रैल में चल रहा था, जिसके बाद इस पर अंतरिम रोक लग गई थी। बिहार विधानसभा में जातिगत जनगणना का प्रस्ताव 18 फरवरी, 2019 और विधान परिषद में 27 फरवरी, 2020 को पारित हो चुका है।
बिहार सरकार क्यों करा रही जातिगत जनगणना?
बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना करवाने को लेकर कहा था कि उसके पास अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और दूसरी जातियों का डाटा उपलब्ध नहीं है। राज्य सरकार द्वारा नगर निकाय और पंचायत चुनाव में OBC को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों को 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों को एक प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वह 13 प्रतिशत आरक्षण और दे सकती है।