
परिसीमन विवाद: स्टालिन की अगुवाई में JAC ने 7-सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया, ये हैं मांगें
क्या है खबर?
लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर आज चेन्नई में 5 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक हुई। इस दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में एक जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) बनाई गई, जिसने परिसीमन पर 7-सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया है।
इसमें कहा गया है कि 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय क्षेत्रों की सीमा को 25 साल तक के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।
बैठक में 5 राज्यों के 14 नेता शामिल हुए।
प्रस्ताव
7-सूत्रीय प्रस्ताव में क्या-क्या शामिल हैं?
परिसीमन की प्रक्रिया में पारदर्शिता हो और सभी हितधारकों को शामिल किया जाए।
जिन राज्यों की जनसंख्या कम हो गई है, उन्हें सजा नहीं दी जाए।
JPC कोर समिति के सांसद मौजूदा संसदीय सत्र के दौरान प्रधानमंत्री को संयुक्त प्रतिनिधित्व पेश करेंगे।
पार्टियां अपने-अपने राज्यों में विधानसभा में प्रस्ताव लाने की कोशिश करेंगी।
JAC राज्यों में नागरिकों के बीच परिसीमन के इतिहास और संदर्भ पर जागरुकता फैलाने के लिए कोशिश करेगा और परिणामों पर एक समन्वित जनमत संग्रह रणनीति अपनाएगा।
बयान
स्टालिन बोले- हमारे पहचान खतरे में पड़ जाएगी
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, "हमें एकजुट रहना होगा, वरना हमारी पहचान खतरे में पड़ जाएगी। संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कम नहीं होना चाहिए।"
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि भाजपा सरकार इस मामले पर बिना किसी परामर्श के आगे बढ़ रही है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा, "अगर परिसीमन जनसंख्या के आधार पर हुआ तो दक्षिण भारत की राजनीतिक ताकत घटेगी और उत्तरी राज्य हावी हो जाएंगे।"
सदस्य
बैठक में कौन-कौन शामिल हुआ?
बैठक में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष भक्त चरण दास, बीजू जनता दल (BJD) नेता संजय कुमार दास बर्मा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता भी शामिल हुए।
बैठक में एक कोर कमेटी भी बनाई गई, जिसमें अलग-अलग राज्यों के सांसद शामिल होंगे।
स्टालिन ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अगली बैठक हैदराबाद में होगी।
परिसीमन
क्या होता है परिसीमन?
समय के साथ जनसंख्या में बदलाव के कारण किसी लोकसभा या विधानसभा क्षेत्र की सीमाओं के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया को परिसीमन कहा जाता है। परिसीमन आयोग ये कार्य करता है।
आजादी के बाद से अब तक 4 बार परिसीमन हुआ है- 1952, 1963, 1973 और 2002 में।
इसका उद्देश्य इस तरह से सीमाएं निर्धारित करना होता है कि सभी सीटों के अंतर्गत लगभग बराबर आबादी आए। ये सीटों की संख्या घटा और बढ़ा भी सकता है।
विवाद
परिसीमन को लेकर विवाद क्या है?
परिसीमन जनगणना के आधार पर होता है। दक्षिण भारतीय राज्यों का तर्क है कि उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण किया है, इसलिए उनकी लोकसभा सीटें कम हो सकती है। इससे उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम होगा।
अगर परिसीमन में एक लोकसभा सीट पर 20 लाख की आबादी का फॉर्मूला अपनाया जाता है तो लोकसभा सीटें 543 से 707 हो जाएंगी। इससे उत्तरी राज्यों में काफी सीटें बढ़ेंगी, जबकि दक्षिणी राज्यों की कम हो जाएगी।