क्या है 900 मीटर लंबे महाकाल कॉरिडोर की खासियत, जिसका प्रधानमंत्री मोदी ने किया उद्घाटन?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर (महाकाल कॉरिडोर) विकास परियोजना के पहले चरण के तहत 900 मीटर लंबे 'महाकाल लोक' का उद्घाटन किया।
इस परियोजना में भाजपा ने काफी दिलचस्पी दिखाई थी और यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है। इस दौरान मुख्यमंत्री सहित कई अन्य नेता भी मौजूद रहे।
ऐसे में आइए जानते हैं कि महाकाल कॉरिडोर की प्रमुख खासियत क्या है।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें उद्घाटन का वीडियो
#WATCH | Ujjain, MP: PM dedicates to the nation Shri Mahakal Lok. Phase I of the project will help in enriching the experience of pilgrims visiting the temple by providing them with world-class modern amenities
— ANI (@ANI) October 11, 2022
Total cost of the entire project is around Rs 850 cr.
(Source: DD) pic.twitter.com/J1UnlU9XLa
अवलोकन
प्रधानमंत्री ने कार में बैठकर किया 'महाकाल लोक' का अवलोकन
नंदी द्वार पर महाकाल लोक का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया साथ वाहन में बैठेकर पूरे महाकाल लोक को अवलोकन किया।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने उज्जैन पहुंचकर सबसे पहले महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप किया। उन्होंने गर्भगृह में नंदी के पास बैठककर पूजा-अर्चना पूरी की।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें प्रधानमंत्री मोदी के पूजा-अर्चना करने की फोटोज
Prime Minister Narendra Modi offers prayers at Mahakal temple in Ujjain, Madhya Pradesh. He will dedicate to the nation, 'Shri Mahakal Lok' this evening. pic.twitter.com/uciJtf1rqQ
— ANI (@ANI) October 11, 2022
लागत
856 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगी महाकाल कॉरिडोर विकास परियोजना
महाकाल कॉरिडोर पर कुल 856 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके पहले चरण में 316 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
900 मीटर से अधिक लंबा यह कॉरिडोर को देश में अब तक निर्मित ऐसे सबसे बड़े कॉरिडोर में से एक है।
यह पुरानी रुद्रसागर झील के चारों ओर फैला हुआ है और इसे प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में भी विकसित किया गया है। यह शिव भक्तों के लिए बड़ा उपहार है।
बनावट
कैसी है 'महाकाल लोक' की बनावट?
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित इस 'महाकाल लोक' में प्रवेश करने से पहले दो भव्य प्रवेश द्वार (नंदी और पिनाकी) आपका स्वागत करेंगे।
इसी तरह बलुआ पत्थरों से बने जटिल नक्काशीदार 108 अलंकृत स्तंभों की एक आलीशान स्तम्भावली, फव्वारों और शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 से अधिक भित्ति-चित्रों की एक श्रृंखला इसकी शोभा बढाएगी।
इसके निर्माण में राजस्थान में बंसी पहाड़पुर क्षेत्र में मिलने वाले विशेष बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
जानकारी
इन राज्यों के शिल्पकारों ने पत्थरों को तराशा
'महाकाल लोक' के भित्ति चित्रों को बनाने के लिए राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा के शिल्पकारों ने मुख्य रूप से पत्थरों को तराशा है और उन्हें अलंकृत कर सौंदर्य स्तंभों और पैनल में तब्दील किया है। निर्माण में ये कारीगरी सभी का मन मोह लेगी।
अन्य
'महाकाल लोक' में ये सुविधाएं भी मिलेंगी
'महाकाल लोक' में एक मिड-वे जोन, महाकाल थीम पार्क, कारों और बसों के लिए एक बहुमंजिला पार्किंग स्थल, फूलवाला और अन्य दुकानें, सोलर लाइटिंग, तीर्थयात्रियों के लिए एक सुविधा केंद्र, घाट एवं डेक एरिया, नूतन स्कूल कॉम्पलेक्स, गणेश स्कूल कॉम्पलेक्स, सुरक्षा और निगरानी के लिए CCTV कैमरे, एक पानी की पाइपलाइन और एक सीवर लाइन आदि की सुविधा भी दी गई है।
इसके अलावा लाइट और साउंड सिस्टम भी विकसित किया गया है।
शुरुआत
2019 में हुई थी कॉरिडोर निर्माण की शुरुआत
महाकाल कॉरिडोर का निर्माण कार्य 2019 में शुरू हुआ था। इसमें भगवान शिव के अलावा भैरव, गणेशजी, माता पार्वती और अन्य देवताओं की 200 मूर्तियां बनाई गई है। इसके कुल खर्च में से 21 करोड़ रुपए मंदिर समिति खर्च करेगी।
दूसरे चरण में 310.22 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें मंदिर के पूर्वी और उत्तरी मोर्चों का विस्तार, उज्जैन शहर के महाराजवाड़ा, महल गेट, हरि फाटक ब्रिज, रामघाट मुखौटा और बेगम बाग रोड आदि का विकास किया जाएगा।
प्रयास
खोया हुआ गौरव को वापस लाने का प्रयास
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस कॉरिडोर का निर्माण कर खोए हुए गौरव को वापस लाने का प्रयास किया है। यही कारण है कि इसमें स्तंभों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली पुरानी, सौंदर्य वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है।
इसमें कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम में वर्णित बागवानी प्रजातियों के पौधे भी लगाए गए हैं। इनमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र, सप्तपर्णी शामिल हैं। उद्घाटन से पहले सजावट कर इसे भव्य रूप दिया गया था।