मध्य प्रदेश: कांग्रेस सरकार पर क्यों पैदा हुआ संकट? समझें पूरा घटनाक्रम
क्या है खबर?
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर गहराते संकट के बीच कांग्रेस और भाजपा दोनों अपने-अपने विधायकों को होटलों में रख रहे हैं।
मंगलवार शाम को भाजपा ने अपने विधायकों को भोपाल से दिल्ली बुलाया और उन्हें गुरुग्राम के एक होटल में रखा जा रहा है।
वहीं कांग्रेस अपने 92 विधायकों को जयपुर के एक होटल ले जा रही है।
इसके अलावा कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले 22 विधायक बेंगुलरू के एक होटल में ठहरे हुए हैं।
पृष्ठभूमि
ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के साथ शुरू हुआ सियासी नाटक
मध्य प्रदेश में इस सियासी नाटक की शुरूआत काफी समय से अपनी पार्टी कांग्रेस से नाराज चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के साथ हुई।
मंगलवार सुबह वे गृह मंत्री अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके आवास पहुंचे। इस मुलाकात के बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया।
वहीं कांग्रेस ने सिंधिया पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी से बाहर निकाल दिया।
विधायकों का इस्तीफा
22 कांग्रेस विधायकों ने दिया इस्तीफा
सिंधिया के इस्तीफे के बाद शाम होते-होते कांग्रेस के अन्य 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया जिनमें छह मंत्री भी शामिल हैं। इन विधायकों को सिंधिया के खेमे का माना जा रहा है।
ये सभी विधायक बेंगलुरू के एक होटल में ठहरे हुए हैं और किसी से संपर्क नहीं कर रहे हैं।
कांग्रेस ने अपने दो नेताओं, सज्जन सिंह वर्मा और गोविंद सिंह, को इन विधायकों से बात करने और उन्हें मनाने के लिए बेंगलुरू भेजा है।
जानकारी
बचे हुए विधायकों को जयपुर भेज रही कांग्रेस
इस बीच अन्य विधायकों को टूटने से बचाने के लिए कांग्रेस ने अपने 92 विधायकों को जयपुर के एक होटल में रखने का फैसला किया है। कांग्रेस चार निर्दलीय विधायकों पर भी नजर बनाए हुए है जो उसकी सरकार का समर्थन कर रहे हैं।
कारण
क्या है सिंधिया की बगावत की वजह?
सिंधिया की बगावत की मुख्य वजह पार्टी में उन्हें लगातार दरकिनार किया जाना है और ये सिलसिला 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद से ही चल रहा है।
जीत के बाद सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का अहम उम्मीदवार माना जा रहा था लेकिन अंत में इस रेस में बाजी कमलनाथ के हाथ लगी। इस बीच कमलनाथ राज्य कांग्रेस के प्रमुख भी बने रहे और यहीं से सिंधिया की नाराजगी की शुरूआत हुई।
राज्यसभा चुनाव
मौजूदा घटनाक्रम की जड़ में राज्यसभा सीट
अब जब मध्य प्रदेश से राज्यसभा चुनाव की बारी आई तो यहां भी कांग्रेस की ओर से सिंधिया को कम महत्व दिया गया।
दरअसल, मध्य प्रदेश की दो राज्यसभा सीटों पर जल्द ही चुनाव होने हैं और इनमें से एक सीट कांग्रेस के खाते में जाना पक्का है जबकि दूसरी सीट को वो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से जीत सकती है।
सिंधिया अपने लिए पक्की वाली सीट चाहते थे, लेकिन कांग्रेस इससे दिग्विजय सिंह को राज्यसभा भेजना चाहती है।
रिपोर्ट्स
सिंधिया को मिल सकती है मोदी सरकार की कैबिनेट में जगह
इसके बाद वही हुआ जिसकी संभावना पिछले काफी समय से जताई जा रही थी और सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर दी।
खबरों के अनुसार, वे जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं और उन्हें उसकी टिकट पर राज्यसभा भेजा जाएगा। उन्हें मोदी सरकार की कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना भी जताई जा रही है।
हालांकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से अभी तक इस पर कुछ नहीं कहा गया है।
समीकरण
बागी विधायकों को इस्तीफा स्वीकार हुआ तो गिर जाएगी कांग्रेस सरकार
अगर कांग्रेस के 22 बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है तो कांग्रेस की सरकार गिरना तय है।
230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 116 है। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और वो बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार चला रही है।
बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने पर कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की संख्या गिरकर 99 रह जाएगी और उसकी सरकार गिर जाएगी।
आंकड़े
भाजपा बना सकती है सरकार
कांग्रेस के बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने पर मध्य प्रदेश विधासभा का संख्याबल घटकर 208 रह जाएगा और बहुमत के लिए 105 सीटें चाहिए होंगी।
भाजपा के पास 107 सीटें हैं और वो आसानी से अपने दम पर ही सरकार बनाने में कामयाब रहेगी।
इस सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "हम बहुमत साबित करेंगे। हमारी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।"