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    क्या है असम और मेघालय के बीच का सीमा विवाद जिसे सुलझाने में लगे 50 साल?

    क्या है असम और मेघालय के बीच का सीमा विवाद जिसे सुलझाने में लगे 50 साल?
    लेखन भारत शर्मा
    Mar 29, 2022, 08:12 pm 1 मिनट में पढ़ें
    क्या है असम और मेघालय के बीच का सीमा विवाद जिसे सुलझाने में लगे 50 साल?
    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (बीच में) की मौजूदगी में सीमा विवाद पर हुए समझौते की फाइल की अदला-बदली करते हुए असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा।

    असम और मेघालय के बीच पिछले 50 सालों से चल रहा सीमा विवाद अब खत्म होने की ओर है। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने मंगलवार को इसे खत्म करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दोनों राज्यों की मुख्य सचिवों की मौजूदगी में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ इस विवाद का 70 प्रतिशत समाधान हो गया है। आइये जानते हैं दोनों राज्यों के बीच क्या है विवाद।

    दोनों राज्यों के बीच 70 प्रतिशत खत्म हुआ विवाद- शाह

    समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद गृह मंत्री शाह ने कहा, "दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद को खत्म करने के लिए आज हुआ समझौता पूर्वोत्तर के लिए ऐतिहासिक दिन है। दोनों राज्यों के बीच 70 प्रतिशत सीमा विवाद सुलझा लिया गया है।" उन्होंने कहा, "जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने पूर्वोत्तर के गौरव के लिए काम किया है। इस समझौते के बाद प्रधानमंत्री ने विकसित पूर्वोत्तर का जो सपना देखा है, वह जल्द ही साकार होगा।"

    गृह मंत्री ने गिनाए समझौते

    गृह मंत्री शाह ने कहा, "मैने प्रधानमंत्री से पूर्वोत्तर सीमा मुद्दे पर बात की थी। जिसके बाद 2019 में त्रिपुरा में सशस्त्र समूहों में समझौता हुआ। 16 जनवरी, 2020 को ब्रू रियांग समझौते से 34,000 लोगों को फायदा हुआ और फिर 27 जनवरी, 2020 को ऐतिहासिक बोडो समझौता हुआ। जिसमें असम के प्रारूप को छेड़े बिना 50 साल पुरानी समस्या को खत्म किया है।" उन्होंने कहा, "2021 में कार्बी आमलांग समझौता और अब यह समझौता हुआ है।"

    मेघालय सरकार के 11 तो असम के नौ प्रतिनिधि हुए शामिल

    समझौते को लेकर गृह मंत्रालय में हुई बैठक में असम और मेघायल के मुख्यमंत्रियों के अलावा मेघालय सरकार के 11 और असम के नौ प्रतिनिधि मौजूद थे। विवाद के मुद्दों पर चर्चा करने के बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने समाधान के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए।

    12 क्षेत्रों में से छह पर बनी है सहमति- संगमा

    समझौते के बाद मेघालय के मुख्यमंत्री संगमा ने कहा कि विवाद वाले 12 क्षेत्रों में से छह पर असम के साथ समझौता किया गया है। इसके अलावा दोनों राज्यों की भागदारी में सर्वे ऑफ इंडिया एक सर्वे कराया जाएगा। इस सर्वे के पूरा होने के बाद वास्तविक सीमांकन होगा। कुल 36 वर्ग किमी के इलाके पर विवाद है। इधर, गृह मंत्री शाह ने भरोसा जताया है कि शेष छह क्षेत्रों का विवाद भी जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।

    असम और मेघालय के बीच आखिर क्या है विवाद?

    बता दें कि 1972 में मेघालय को असम में अलग कर नया राज्य बनाया गया था। उसके बाद से ही दोनों राज्यों के बीच विवाद चल रहा है। दोनों राज्य 884.9 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं, लेकिन दोनों के बीच 12 जगहों को लेकर विवाद है। इनमें ऊपरी ताराबारी, गजांग रिजर्व फॉरेस्ट, हाहिम, लंगपीह, बोरदुआर, बोकलापारा, नोंगवा, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोरिया ब्लॉक I और ब्लॉक II, खंडुली और रेटाचेरा शामिल हैं। सबसे बड़ा विवाद लंगपीह जिला रहा है।

    क्या है विवाद का कारण?

    दरअसल, असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 के तहत मेघालय को अलग किया गया था, लेकिन बंटवारे में लंगपीह जिला मेघालय के हिस्से में चला गया। असम का दावा है कि यह उसके कामरूप जिले की पहाड़ियों का हिस्सा है। ऐसे में दोनों राज्यों में विवाद शुरू हो गया। ऐसे कई इलाकों पर मेघालय अपना दावा करता आया है। इससे यह विवाद गहरा गया। साल 2010 में लंगपीह में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी, जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी।

    इन छह जगहों को लेकर हुआ है समझौता

    दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते में हाहिम, गजांग, ताराबारी, बोकलापारा, खानापारा-पिलंगकाटा और रेटाचेरा के 36.79 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का विवाद सुलझा है। ये क्षेत्र असम के कछार, कामरूप, कामरूप मेट्रोपोलिटन और मेघालय के पश्चिमी खासी हिल्स, री-भोई और पूर्वी जैनतिया हिल्स जिले के हिस्से हैं। इस विवादित हिस्से में 18.51 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा असम को दिया गया है और 18.28 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा मेघालय को मिला है।

    समिति ने तैयार किया था समझौते का मसौदा

    गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने दोनों राज्यों के अधिकारियों के साथ मिलकर समझौते का मसौदा तैयार कर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी थी।

    समझौते के तहत किसे क्या दिया गया है?

    समझौते के तहत हाहिम के 3.51 वर्ग किलोमीटर के विवादित क्षेत्र में से 0.3 वर्ग किलोमीटर असम और 3.21 वर्ग किलोमीटर हिस्सा मेघालय को दिया गया है। इसी तरह गजांग के 13.53 वर्ग किलोमीटर में से 10.63 असम और 2.9 मेघालय को, बोकलापारा के 1.57 वर्ग किलोमीटर में से 1.01 किलोमीटर असम और 0.56 किलोमीटर मेघालय को दिया गया है। इसी तरह ताराबारी का पूरा 4.69 वर्ग किलोमीटर विवादित इलाका मेघालय को मिला है।

    अन्य दो इलाकों में क्या रही है स्थिति?

    खानापारा-पिलंगकाटा के कुल 2.29 वर्ग किलोमीटर विवादित इलाके में से 1.79 वर्ग किलोमीटर असम को और 0.5 वर्ग किमी मेघालय को मिला है। इसी तरह रेटाचेरा के कुल 11.2 वर्ग किलोमीटर विवादित इलाके में से 4.78 वर्ग किलोमीटर असम और 6.42 वर्ग किलोमीटर मेघालय के पास गया है। इसके साथ ही इन विवादित क्षेत्रों में आने वाले 36 गांवों में 30 मेघालय के हिस्से में आए हैं। ऐसे में इन गांवों के लोगों को मेघालय का निवासी माना जाएगा।

    अन्य राज्यों से भी चल रहा है असम का सीमा विवाद

    असम का अपने अन्य पड़ोसी राज्यों से भी सीमा विवाद है। पिछले साल असम और मिजोरम के पुलिस बलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। जिसमें असम पुलिस के पांच जवान शहीद हो गए थे। बाद में केंद्र के दखल से तनाव कम हुआ था। इसी तरह अरूणाचल प्रदेश और नागालैंड से भी सीमा विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हालांकि, 31 जुलाई, 2021 को असम ने नागालैंड के साथ विवाद खत्म करने का ऐलान किया था।

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