
#NewsBytesExplainer: पाकिस्तान को FATF की ग्रे सूची में क्यों शामिल कराना चाहता है भारत? क्या होगा असर?
क्या है खबर?
भारत अब पाकिस्तान को आर्थिक चोट देने की तैयारी कर रही है।
वो जून में होने वाली वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की बैठक में पाकिस्तान को दोबारा से ग्रे सूची में शामिल कराने की कोशिश कर रहा है। खबर है कि इस संबंध में भारत सरकार FATF को डोजियर सौंपने की तैयारी कर रही है।
आइए जानते हैं ग्रे सूची में शामिल होने से पाकिस्तान पर क्या असर होगा।
FATF
सबसे पहले जानिए क्या होता है FATF?
FATF एक अंतर-सरकारी संस्था है, जिसे 1989 में G-7 देशों ने बनाया था।
इसका मकसद मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग, हथियारों के वित्तपोषण समेत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के लिए दूसरों खतरों को रोकने के लिए कानूनी और दूसरे कदम उठाना है।
इसका सचिवालय पेरिस में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) मुख्यालय में स्थित है।
FATF में भारत समेत 40 सदस्य हैं। भारत 2006 में इसका पर्यवेक्षक बना और 2010 में पूर्ण सदस्य बन गया।
काम
FATF क्या काम करता है?
FATF निगरानी संस्था के रूप में काम करता है। यह निगरानी करता है कि आतंकवादी कैसे धन जुटाते हैं और कहां उसका उपयोग करते हैं। इससे FATF मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण तकनीकों के बारे में देशों को जागरुक करता है।
यह वित्तीय और आतंकी अपराधों को रोकने के लिए नियम बनाता है।
FATF संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को रोकने के लिए नियम-कायदों की सिफारिश करता है। जो देश इनका पालन नहीं करते उन्हें अलग-अलग सूची में डालता है।
सूची
ग्रे और ब्लैक लिस्ट जारी करता है FATF
FATF साल में 3 बार ग्रे और ब्लैक सूची जारी करता है।
ग्रे सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिनमें कुछ कमियां हैं, लेकिन वे इन कमियों को ठीक करने के लिए FATF के साथ काम करते हैं।
ग्रे सूची में शामिल देशों पर FATF लगातार ज्यादा निगरानी करता है। FATF इन देशों को कमियों को दूर करने के लिए प्रेरित करता है।
फिलहाल इस सूची में 24 देश हैं।
ब्लैक सूची
ब्लैक सूची क्या होती है?
ब्लैक सूची में वे देश शामिल किए जाते हैं, जो लगातार नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इन्हें उच्च जोखिम वाला माना जाता है और इन्हें आर्थिक प्रतिबंधों और वित्तीय अलगाव का सामना करना पड़ता है।
FATF देशों को चेतावनी देता है कि वे ब्लैक सूची वाले देशों से व्यवहार करते समय सावधानी बरतें और इन देशों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की रक्षा करें।
फिलहाल उत्तर कोरिया, म्यांमार और ईरान ब्लैक सूची में हैं।
असर
ग्रे सूची में शामिल होने से पाकिस्तान पर क्या असर होगा?
अगर पाकिस्तान को ग्रे सूची में शामिल किया गया तो उसे विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से आर्थिक सहायता मिलना बंद हो जाएगी।
विदेश से आने वाला निवेश भी कम हो जाएगा, जिससे व्यापार बुरी तरह से प्रभावित होगा। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक जैसी वित्तीय संस्थानों और देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या आएगी। IMF पाकिस्तान को मिलने वाली लोन की अगली किश्त भी रोक सकता है।
पिछला कार्यकाल
पहले भी FATF की ग्रे सूची में रह चुका है पाकिस्तान
पाकिस्तान पहले भी FATF की ग्रे सूची में रह चुका है।
2008 में उसे पहली बार ग्रे सूची में डाला गया, लेकिन 2009 में हटा लिया गया।
इसके बाद 2012 से 2015 तक वह फिर से FATF की ग्रे सूची में रहा।
2018 में पाकिस्तान को फिर ग्रे सूची में शामिल किया गया। ये प्रतिबंध अक्टूबर, 2022 तक रहा। तब FATF ने कहा था कि पाकिस्तान ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी फंडिंग रोकने के लिए 2 एक्शन प्लान पूरे किए।