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    भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों से कैसे प्रभावित होती है GDP?
    भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों से GDP कैसे प्रभावित होती है?

    भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों से कैसे प्रभावित होती है GDP?

    लेखन भारत शर्मा
    Jul 05, 2022
    09:00 pm

    क्या है खबर?

    भारत में सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। हालात यह है कि हर साल 1.30 लाख से अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में हो रही है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।

    इससे जहां लाखों परिवारों को अपनों को खोना पड़ता है, वहीं देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 3.14 प्रतिशत का नुकसान होता है।

    विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

    मौत

    साल 2020 में हुई 1.31 लाख से अधिक मौतें

    सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 1,31,714 लोगों की मौत हुई है।

    इनमें से 69.3 प्रतिशत यानी 91,239 मौतें तेज रफ्तार, 30.1 प्रतिशत यानी 39,798 मौतें हेलमेट न पहनने और 11.5 प्रतिशत यानी 26,896 मौतें कार चलाते समय सीट बेल्ट न लगाने से हुई है।

    इससे साफ है कि सड़क हादसों में होने वाली मौतों में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन बड़ा कारण रहा है।

    रिपोर्ट

    भारत में हर साल होती है 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं

    विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सड़क हादसों में भारत में सबसे अधिक मौतें होती है। भारत में दुनिया के महज एक प्रतिशत वाहन है, लेकिन दुर्घटनाओं में वैश्विक मौतों का 11 प्रतिशत हिस्सा है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में हर साल 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और इनमें 1.5 लाख मौतें होती हैं। ऐसे में देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और हर चार मिनट में एक मौत होती है।

    जानकारी

    पिछले 10 सालों में दुर्घटनाओं में हुई 13 लाख मौतें

    रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले 10 सालों में सड़क हादसों में करीब 13 लाख लोगों की मौत हुई है और 50 लाख से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह दुनिया में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा सकता है।

    प्रभाव

    देश की GDP को झटका दे रही सड़क दुर्घटनाएं

    विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटनाओं की लागत 5.96 लाख करोड़ रुपये है, जो GDP का 3.14 प्रतिशत हिस्सा है।

    इसी तरह 2019 की 'सड़क सुरक्षा के अवसरों और चुनौतियों के लिए गाइड: निम्न और मध्यम आय वाले देशों की रूपरेखा' शीर्षक से प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर चोटों के कारण 2016 में GDP में 12.9 लाख करोड़ यानी 7.5 प्रतिशत का नुकसान हुआ था।

    सबसे ज्यादा

    कम आय वाले देशों में सबसे अधिक है मृत्यु दर

    रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में विभिन्न कारणों से होने वाली मौतों में सड़क दुर्घटनाएं आठवां प्रमुख कारण है।

    इसी तरह कम आय वाले देशों में उच्च आय वाले देशों की तुलना में दुघर्टनाओं में होने वाली मृत्यु दर तीन गुना अधिक है।

    हादसों में मरने वालों में सबसे अधिक गरीब लोग (दैनिक वेतन भोगी) शामिल होते हैं। यह घरों पर वित्तीय बोझ डालता है और उन्हें गरीबी में और पहले से ही गरीबों को कर्ज में धकेल देता है।

    जानकारी

    18-45 वर्ष के लोगों की होती है सबसे अधिक मौतें

    रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में से 76.2 प्रतिशत की उम्र 18-45 के बीच होती है। ऐसे में ये मौतें परिवारों में कमाने वालों की कमी का सबसे बड़ा कारण भी बन रही है।

    बचाव

    रफ्तार पर लगाम से हर साल बच सकती है 3.47 लाख जिंदगी

    लैंसेट के नए अध्ययन के अनुसार, तेज रफ्तार पर लगाम और बुनियादी ढांचे में बदलाव से हर साल वैश्विक स्तर पर 3,47,258 जान बचाई जा सकती है।

    इसमें शराब पीकर वाहन चलाने से रोककर 16,304, हेलमेट इस्तेमाल को बढ़ावा देने से 1,21,083 तथा सीट बेल्ट के पालन से 51,698 जान बचाई जा सकती है।

    इसी तरह भारत में रफ्तार पर नियंत्रण से 20,554, हेलमेट इस्तेमाल से 5,683 और सीट बेल्ट इस्तेमाल से 3,204 जानें बचाई जा सकती है।

    लक्ष्य

    भारत सरकार ने 2024 तक मौतों को आधा करने का रखा लक्ष्य

    केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को 2024 तक आधा करने का लक्ष्य रखा है।

    इससे पहले भारत ने 2015 में ब्राजील में आयोजित सड़क सुरक्षा सम्मेलन में 2030 तक इन मौतों को आधा करने के लक्ष्य पर हस्ताक्षर किए थे।

    इसके तहत सरकार मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 में ट्रैफिक नियमों को कड़ा करते हुए उल्लंघन पर लगने वाले जुर्माने को भी बढ़ा दिया है।

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