क्या होता है डिजिटल रेप जिसके लिए 65 वर्षीय दोषी को सुनाई गई उम्रकैद की सजा?
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के नोएडा में मंगलवार को स्थानीय कोर्ट ने डिजिटल रेप के मामले में एक 65 वर्षीय शख्स को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
यह देश में इस तरह का पहला मामला है, जिसमें आरोपी को सजा सुनाई गई है। यह अलग तरह के यौन उत्पीड़न का मामला है जिसके बाद डिजिटल रेप शब्द सुर्खियों में आ गया है।
आइये जानते हैं कि क्या होता है डिजिटल रेप और इसमें कितनी सजा का प्रावधान है।
घटना
दोषी ने 2019 में दिया था घटना को अंजाम
पश्चिम बंगाल के मालदा निवासी अकबर अली ने साल 2019 में नोएडा में अपनी बेटी के घर जाने के दौरान पड़ोस में रहने वाली तीन वर्षीय मासूम के साथ डिजिटल रेप को अंजाम दिया था।
आरोपी मासूस का चॉकलेट के बहाने खाली घर डिजिटल रेप किया था। उसी दौरान बच्ची के रोने की आवाज सुनकर पहुंचे परिजनों ने स्थिति को समझते हुए अली के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
इसके बाद मेडिकल जांच में भी इसकी पुष्टि हुई थी।
सजा
सूरजपुर सत्र न्यायालय ने सुनाई उम्रकैद की सजा
परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने अली को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 (बहला-फुसलाकर बलात्कार), धारा 376 (इच्छा के विरुद्ध यौनाचार) और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत मामला दर्ज किया था।
इसके बाद पुलिस ने चार्जशीट पेश की और अब पिछले मंगलवार को सत्र न्यायालय ने उसे तीनों धाराओं में दोषी मानते हुए उमक्रैद की सजा सुनाई है।
सवाल
क्या होता है डिजिटल रेप?
डिजिटल रेप का मतलब इंटरनेट के जरिए यौन उत्पीड़न करना नहीं है। यह दो शब्दों डिजिट और रेप से मिलकर बना है। डिजिट का मतलब हिंदी में अंक होता है, लेकिन अंग्रेजी में अंगुली, अंगूठा, पैर की अंगुली आदि को भी डिजिट कहा जाता है।
जब कोई शख्स महिला की सहमति के बिना उसके निजी अंगों को अंगुलियों या अंगूठे से छेड़ता है तो यह डिजिटल रेप कहलाता है। विदेशों की तरह भारत में इसके लिए कानून बनाया गया है।
मान्यता
भारत में डिजिटल रेप को कब बनाया गया था अपराध?
दिल्ली में घटित निर्भया कांड के महीनों बाद सरकार ने डिजिटल रेप को यौन अपराध के रूप में मान्यता दी और 2013 में भारतीय कानून में इसे अपराध के रूप में शामिल किया गया था।
उससे पहले इसे छेड़छाड़ के रूप में देखा गया था और इसे बलात्कार का कानूनी अधिकार नहीं दिया गया था।
हालांकि, 2013 में संसद द्वारा पारित बलात्कार कानूनों ने इसकी नई परिभाषा को मान्यता दी और उसके बाद यह रेप की श्रेणी में आता है।
सजा
डिजिटल रेप में कितनी सजा का प्रावधान है?
डिजिटल रेप के 70 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़िता का करीबी ही होता है। भारत में इस अपराध के बहुत कम मामले दर्ज होते हैं।
कारण है कि अधिकांश लोग रेप के कानूनों और डिजिटल रेप शब्द के बारे में नहीं जानते हैं।
कानून में इस अपराध के लिए कम से कम पांच साल जेल की सजा हो सकती है। कुछ मामलों में यह 10 साल तक तो कुछ मामलों में उम्रकैद के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
अन्य
भारत में डिजिटल रेप के अन्य मामले
इस महीने की शुरुआत में नोएडा के 50 वर्षीय मनोज लाला को सात महीने की बच्ची के साथ डिजिटल रेप करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
एक अन्य मामले में नोएडा के ही एक पिता पर पांच वर्षीय बच्चे के साथ डिजिटल रेप का आरोप लगाया गया था और मां की शिकायत के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था।
इसी तरह 2021 में एक 80 वर्षीय पेंटर पर सात वर्षीय लड़की से डिजिटल रेप का आरोप लगा था।
डाटा
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रेप के 31,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
साल 2021 में राजस्थान में रेप के सबसे अधिक 6,337 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 2,845, हरियाणा में 1,700 और दिल्ली में रेप के 1,250 मामले दर्ज किए गए।
चौंकाने वाली बात यह है कि देश में रेप के कुल मामलों में से 29 प्रतिशत में आरोपी पीड़िता का जानकार निकला है।