जल्द बाजार में आएगी देश में बनी सर्वाइकल कैंसर रोकने वाली वैक्सीन, जानें अहम बातें
क्या है खबर?
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए देश में निर्मित पहली वैक्सीन को पेश कर दिया गया है। इसे पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर तैयार किया है।
SII प्रमुख अदार पूनावाला ने बताया कि अगले कुछ महीनों में यह वैक्सीन बाजार में आ जाएगी और इसकी कीमत 200-400 रुपये के बीच रह सकती है। बताया जा रहा है कि शुरुआत में इसका इस्तेमाल 9-14 साल की लड़कियों के लिए होगा।
जानकारी
शोध और विकास का काम हो चुका पूरा
देश की इस पहली क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (qHPV) वैक्सीन के शोध और विकास का काम पूरा हो चुका है। अब अगले चरण में इसे लोगों के लिए उपलब्ध करवा दिया जाएगा। तब तक इससे जुड़ी और जानकारियां सामने आ जाएंगी।
ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन ने शानदार नतीजे दिए थे। उपलब्ध होने के बाद लाभार्थी की उम्र के हिसाब से इसकी दो या तीन खुराकें लगाई जा सकती हैं।
वैक्सीनेशन
15 से कम उम्र के लाभार्थियों को मिल सकती हैं दो खुराकें
अभी तक इस वैक्सीन से जुड़ी सारी जानकारियां सामने नहीं आई हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि 15 साल से कम उम्र के लाभार्थी को इसकी दो और 15 से अधिक उम्र के लाभार्थी को तीन खुराकें दी जाएंगी।
इसकी कीमत तय होना बाकी है, लेकिन कंपनी ने कहा है कि हर खुराक की कीमत 200 से 400 रुपये के बीच रह सकती है।
यह देश में मौजूद दूसरी वैक्सीनों की तुलना में काफी कम होगी।
मौजूदा स्थिति
देश में सर्वाइकल कैंसर की दो वैक्सीनें उपलब्ध
देश में फिलहाल विदेश कंपनी मर्क का गार्डसिल और गलैक्सो स्मिथक्लाइन की सर्वेरिक्स नाम से वैक्सीन उपलब्ध हैं और इनकी कीमत 2,000-3,000 रुपये के बीच है। SII की वैक्सीन आने के बाद ये कीमतें कम हो सकती हैं।
पूनावाला ने उम्मीद जताई है कि अगले दो सालों में इस वैक्सीन की 20 करोड़ खुराकें तैयार हो जाएंगी। पहले भारत में इनका इस्तेमाल शुरू होगा और फिर इन्हें विदेशों में भेजा जाएगा।
जानकारी
बेहद खतरनाक है सर्वाइकल कैंसर
सर्विक्स एरिया में होने वाले कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को यह बीमारी हो सकती है।
यह भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं को दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है और 44 साल तक की महिलाओं में यह बीमारी आम है।
देश में हर साल इसके 1.6 लाख से अधिक मामले सामने आते हैं और हजारों महिलाओं को इसके कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है।