क्या है CAT III तकनीक, जो घने कोहरे में भी विमानों की लैंडिंग में है मददगार?
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) को इस बार भी वायु प्रदूषण की धुंध ने अपनी चपेट में ले लिया है। कोहरे की मोटी चादर ने दृश्यता को कम कर दिया है। इससे हवाई उड़ान सेवा खासी प्रभावित हुई है। इस बीच CAT III तकनीक पर चर्चा शुरू हो गई है, जो घने कोहरे में विमानों को सुरक्षित लैंडिंग में मदद करती है। ऐसे में आइए जानते हैं यह तकनीक क्या है और यह लैंडिंग में कैसे मददगार होती है।
दिल्ली में घने कोहने से कैसे प्रभावित हुई उड़ान सेवा?
दिल्ली में मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 494 दर्ज किया गया। इससे कोहरे की मोटी चादर छाई रही और दृश्यता बहुत कम हो गई। इसके चलते 6 उड़ाने रद्द करने के साथ 15 का मार्ग बदला गया और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे पर 100 से अधिक उड़ानें देरी चली। सोमवार को भी IGI हवाई अड्डे पर आगमन और प्रस्थान सहित 600 से अधिक उड़ानें देरी से चली और करीब 21 उड़ानों को रद्द कर कर दिया गया।
उड़ानों का मार्ग क्यों परिवर्तित किया गया?
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कुछ विमानों का मार्ग परिवर्तित करना इसलिए जरूरी हो गया था क्योंकि उनके पायलटों को CAT III के सफल संचालन का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था, जो बहुत कम दृश्यता की स्थिति में उड़ान के प्रबंधन के लिए आवश्यक है। दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (DIAL) ने कम दृश्यता के कारण उड़ान संचालन प्रभावित होने की चेतावनी दी है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली में 21 नवंबर तक घना कोहरा छाया रहेगा।
क्या है CAT III तकनीक?
CAT III (श्रेणी III) एक उपकरण लैंडिंग सिस्टम (ILS) है, जो पायलटों को घने कोहरे जैसी खराब दृश्यता की स्थिति में विमान की सुरक्षित लैंडिंग में सक्षम बनाता है। ILS एक मार्गदर्शन प्रणाली है जो रेडियो सिग्नलों के साथ-साथ कभी-कभी उच्च-तीव्रता वाली प्रकाश व्यवस्था का उपयोग करके विमान को खराब दृश्यता की स्थिति में उतरने की अनुमति देती है। वर्तमान में अधिकतर आधुनिक विमान और रनवे को CAT III तकनीक से ही सुसज्जित किया गया है।
CAT III में कैसे काम करता है ILS?
ILS लैंडिंग के दौरान पायलटों को लंबाई और चौड़ाई के अनुसार मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए दो रेडियो बीम (लोकलाइजर और ग्लाइडस्लोप) का उपयोग करता है। ILS को ऊंचाई का निर्णय (DH) और रनवे दृश्य सीमा (RVR) के आधार पर 4 श्रेणियों में विभाजित किया गया है। DH को लैंडिंग के समय सबसे कम ऊंचाई के रूप में परिभाषित किया जाता है और RVR के जरिए पर पायलट रनवे पर रोशनी या निशान देख सकता है।
DH और RVR के आधार पर ILS की 4 श्रेणियां कौनसी हैं?
श्रेणी I- जब DH 200 फीट से अधिक हो और रनवे दृश्य सीमा 550 मीटर से अधिक हो। श्रेणी II- DH 100 फीट से कम और RVR 300 मीटर से कम नहीं होना चाहिए। श्रेणी IIIA- DH 100 फीट से कम और RVR 200 मीटर से कम न हो। श्रेणी IIIB- DH 50 फीट से कम हो और RVR 50 मीटर से कम न हो। इसी तरह DH या RVR लागू न होने पर CAT IIIC तकनीक काम आती है।
किन-किन हवाई अड्डों पर है CAT III और CAT IIIC तकनीक की सेवा?
भारत में वर्तमान में दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, अमृतसर, बेंगलुरु और कोलकाता सहित छह हवाई अड्डे ही CAT IIIB परिचालन तकनीक से सुसज्जित हैं। इसी तरह शून्य दृश्यता पर भी विमान को लैंडिंग की अनुमति देने वाली CAT IIIC प्रणाली अभी दुनिया के कुछ ही हवाई अड्डों पर उपलब्ध है। इनमें न्यूयॉर्क का जॉन एफ कैनेडी हवाई अड्डा और लंदन का हीथ्रो हवाई अड्डा शामिल हैं। भारत में अभी तक यह तकनीक उपलब्ध नहीं हो पाई है।
उड़ानें और पायलट CAT III तकनीक का कैसे कर सकते हैं इस्तेमाल?
CAT IIIB प्रमाणन प्राप्त करने के लिए एयरलाइन को अपनी उड़ानों को CAT IIIB से सुसज्जित करना होगा तथा पायलटों को इस तकनीक को संचालित करने के लिए प्रशिक्षित करना होगा। इस तकनीक के बीना उड़ानों को खराब मौसम और कम दृश्यता वाली स्थितियों में परिचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती है। भारतीय एयरलाइंस कंपनियों के लिए पायलटों को CAT IIIB से सुसज्जित विमानों को चलाने के लिए प्रशिक्षित करना आज भी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
भारत में बहुत कम पायलटों को मिला है CAT IIIB तकनीक का प्रशिक्षण
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन वीपी अग्रवाल ने 2016 में स्क्रॉल से कहा था, "घरेलू विमान उड़ाने वाले सभी पायलटों को CAT IIIB सिस्टम पर उतरने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है।" उन्होंने आगे कहा, "वर्तमान में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) पायलटों को CAT IIIB का प्रशिक्षण दिलाने पर सख्त है, लेकिन घरेलू एयरलाइंस इससे बचती हैं। यह एक महंगा मामला है क्योंकि प्रशिक्षण पर प्रति पायलट लगभग 10 लाख रुपये से अधिक का खर्च आता है।"