#NewsBytesExplainer: उत्तराखंड UCC के मसौदे में बहुविवाह पर प्रतिबंध समेत क्या-क्या प्रावधान हैं?
क्या है खबर?
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) का मसौदा बनकर तैयार हो गया है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि दिवाली के बाद उत्तराखंड सरकार विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाकर UCC से जुड़ा विधेयक ला सकती है।
मसौदे के तैयार करने के लिए समिति ने विभिन्न वर्गों के नागरिकों और 2 लाख से ज्यादा प्रमुख हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया है।
आइए जानते हैं कि UCC के विधेयक में क्या-क्या प्रावधान हो सकते हैं।
बहुविवाह
बहुविवाह पर लगेगा पूर्ण प्रतिबंध
रिपोर्ट्स के मुताबिक, UCC के मसौदे में बहुविवाह पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है। इसके तहत पुरुषों को बिना तलाक लिए 2 पत्नियों को रखने की इजाजत नहीं होगी।
साथ ही बच्चों को गोद लेने और तलाक के लिए सभी धर्मों में समान प्रावधान भी प्रस्तावित हैं। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को भी पंजीयन करवाना अनिवार्य होगा। प्रस्तावित कानून में विवाह के किसी धार्मिक रीति-रिवाज से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
उम्र
नहीं बढ़ाई जाएगी शादी की उम्र
पहले कहा जा रहा था कि मसौदे में लड़कियों की शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। हालांकि, अब खबर है कि समिति ने ऐसा नहीं करने का सुझाव दिया है।
सिफारिश में कहा गया है कि लड़कियों के लिए शादी की कानूनी उम्र 18 साल ही बरकरार रखी जानी चाहिए। समिति ने पैतृक संपत्तियों में बेटियों के लिए समान अधिकार पर भी जोर दिया है।
बच्चे
बच्चों की संख्या तय नहीं
समिति को सुझाव मिले थे कि एक दंपति के लिए बच्चों की संख्या निर्धारित होनी चाहिए। हालांकि, मसौदे में इस संबंध में कोई सिफारिश नहीं की गई है।
मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कुछ 'मजबूत मांगें' की गई हैं। कथित तौर पर इसमें राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाने की सिफारिश शामिल है।
इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि समिति बच्चों की संख्या तय करने की सिफारिश कर सकती है।
कानून
उत्तराखंड की तर्ज पर ही केंद्र सरकार बनाएगी कानून
माना जा रहा है कि उत्तराखंड में UCC कानून को आधार मानकर केंद्र सरकार भी इसी तरह के प्रावधान कर सकती है। इस मुद्दे पर सांसदों की राय जानने के लिए संसदीय स्थायी समिति की 3 जुलाई को बैठक भी हुई थी।
14 जून को 22वें विधि आयोग ने UCC के मुद्दे पर धार्मिक संगठनों और आम लोगों से राय मांगी थी। खबर है कि उत्तराखंड के बाद गुजरात में UCC कानून लाया जा सकता है।
आदिवासी
राष्ट्रीय स्तर के UCC से बाहर रखे जा सकते हैं आदिवासी लोग
कई आदिवासी संगठनों ने UCC का विरोध किया है। उनका तर्क है कि UCC से उनकी पहचान और स्वायत्तता खत्म हो जाएगी।ॉ
भाजपा के राज्यसभा सांसद और कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी ने भी पूर्वोत्तर और अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को UCC के दायरे से बाहर रखे जाने की बात कही थी।
केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने भी कहा था कि आदिवासियों के अधिकार और रीति-रिवाज UCC से प्रभावित नहीं होंगे।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
उत्तराखंड सरकार ने 27 मई, 2022 UCC के कार्यान्वयन और सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच के लिए 5 सदस्यों की विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
इसकी अगुवाई सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं। उनके अलावा समिति में दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, पूर्व मुख्य सचिव और IAS अधिकारी शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल शामिल हैं।